किसान आंदोलन को बदनाम करने के लिए केंद्र सरकार अपना रही हथकंडे
केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए तीन कृषि कानूनों को रद करवाने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर विभिन्न किसान संगठनों द्वारा रेलवे स्टेशन बरनाला के बाहर पार्किंग स्थल के समक्ष जारी रोष धरना मंगलवार को 223वें दिन में प्रवेश कर गया।
संवाद सहयोगी, बरनाला
केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए तीन कृषि कानूनों को रद करवाने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर विभिन्न किसान संगठनों द्वारा रेलवे स्टेशन बरनाला के बाहर पार्किंग स्थल के समक्ष जारी रोष धरना मंगलवार को 223वें दिन में प्रवेश कर गया। किसानों ने केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए कृषि कानूनों को रद करने की मांग की।
किसान नेता बूटा सिंह ढिलवां व मजदूर नेता भान सिंह संघेड़ा की विगत दिन बीमारी के चलते मौैत हो गई। मंगलवार को धरने में उक्त दोनों नेताओं को दो मिनट का मौन धारण कर श्रद्धांजलि दी गई।
किसान नेता बाबू सिंह खुड्डी कलां, गुरदेव सिंह मांगेवाल, नेकदर्शन सिंह, हरचरण सिंह, बलजीत सिंह, मनजीत राज, बिक्कर सिंह औलख व काका सिंह फरवाही ने कहा कि किसान आंदोलन में जान गंवाने वाले उनके साथियों के कारण काफी नुकसान हुआ है कितु उनके साथियों की कुर्बानी आंदोलन को और मजबूत बनाती है। किसान नेताओं ने कहा कि सरकार उनके आंदोलन को बदनाम करने का कोई न कोई ढंग सोचती रहती है। विगत दिनों दिल्ली के किसान मोर्चे में शामिल होने आई बंगाल की एक लड़की की मौत को भी किसान आंदोलन से जोड़ा जा रहा है। संयुक्त किसान मोर्चे के नेता पहले ही इस घटना पर दुख प्रकट कर चुके हैं। किसान नेता पुलिस से इस घटना की विस्तारपूर्वक जांच करने की मांग कर रहे हैं व इस जांच में पूर्ण सहयोग देने का विश्वास दिला रहे हैं। संयुक्त किसान मोर्चे ने आगामी दिनों में दिल्ली मोर्चों को और मजबूत करने का फैसला किया है। अजमेर अकलिया, नरिदरपाल सिगला, जगदीश लद्दा ने गीत व कविताएं पेश की।