ईद-उल-फितर को लेकर इस्लामिक भाईचारें में चहल पहल खरीददारी व तैयारियां शुरू
जिला बरनाला में ईद-उल-फितर मीठी ईद की तैयारियां जोरों शोरों से चल रही हैं।
महमूद मंसूरी, बरनाला :
जिला बरनाला में ईद-उल-फितर मीठी ईद की तैयारियां जोरों शोरों से चल रही हैं। शहर से लेकर जिले के अन्य शहरों व गांवों के लोग ईद को लेकर खुब खरीददारी करते नजर आ रहे है। ईद का त्योहार प्यार-मोहब्बत और भाई-चारे का संदेश देता है। ऐसा माना जाता है कि इसी महीने में ही कुरान-ए-पाक का अवतरण हुआ था। चांद के दीदार के अगले दिन ईद मनाने का रिवाज है। ईद को ईद-उल-फितर भी कहा जाता है। ईद-उल-फितर सबसे पहले 624 ई. में मनाया गया था। इस त्योहार को मनाने के पीछे भी एक किस्सा है। जिला बरनाला के समूह इस्लामिक भाईचारे द्वारा ईद का त्योहार 5 जून को संघेड़ा रोड़ बरनाला पर बनी ईदगाह में नामाज अता करके धूमधाम से मनाया जाएगा व नामाज अता करने के बाद सभी एक दूसरे को गले मिलकर ईद की मुबारक बाद देगें। ईद को लेकर ईदगाह के बाहर मेला लग जाता है, जिसमें खाने-पीने से लेकर बच्चों के खिलौने सजाएं जाते है। इस्मालिक लोग नामाज के बाद खुब खरीददारी करते है व जरूरतमंदों को दान देकर पुम्य कमाते है।
साल में दो बार आती है ईदहिजरी कैलेण्डर के अनुसार साल में दो बार ईद का त्योहार मनाया जाता है। इस बार 5 या 6 जून को जो ईद मनायी जाएगी, उसे ईद-उल-फितर या मीठी ईद कहा जाता है। इस दिन सेवैया बनाने का रिवाज है। दूसरी ईद को ईद-उल-जुहा या बकरीद कहा जाता है।
ईद पर दान देने का रिवाजइस्लाम में ऐसा माना जाता है कि ईद के दिन जरूरतमंद लोगों को अपनी हैसियत के मुताबिक दान करना चाहिए। इससे गरीब और जरूरतमंद लोग भी खुशियों के साथ ईद का त्योहार मना पाएं। यह रिवाज इस त्योहार में चार चांद लगाता है।
--दुल्हन की तरह सज गई मस्जिदें--
ईद को लेकर शहर के जामा मस्जिद, नासा वली मस्जिद सहित अन्य मस्जिदें रंग बिरंगी लाइटों व सजावट से दुल्हन की तरह सजना शुरू हो गई, जिससे रात के समय मस्जिदें में लगी लाइटों से जगमगा उठती है व भाईचारें के चेहरे पर बीतते दिनों केसाथ खुशी भी बढ़ती नजर रही है व ईद का इंतजार है।