मंदिरों में कम हुए श्रद्धालु, नहीं सुनती जयघोष की गूंज
पूजा सिगला बरनाला राज्य सरकार द्वारा मंदिरों के कपाट खोलने की इजाजत दे दी है परंतु इसक
पूजा सिगला, बरनाला : राज्य सरकार द्वारा मंदिरों के कपाट खोलने की इजाजत दे दी है, परंतु इसके बावजूद मंदिरों में न तो श्रद्धालु की भीड़ देखने को मिल रही है और न ही जयकारों की गूंज सुनाई दे रही है। कोरोना के कारण मंदिरों में बैठे पुजारी भी श्रद्धालुओं का इंतजार कर रहे हैं, परंतु श्रद्धालु मंदिरों में नहीं आ रहे। चढ़ावा भी हुआ कम
श्री प्राचीन शिव मंदिर स्टेशन वाला 10 दशकों से भी ज्यादा पुराना है। इस मंदिर में सेवा कर रहे पंडित हनुमान प्रसाद ने बताया कि मंदिरों में श्रद्धालु न के बराबर ही आ रहे हैं। कर्फ्यू व लॉकडाउन के बाद मंदिरों में सन्नाटा पसर गया है। अब मंदिरों में न तो जयकारे लग रहे है व न ही श्रद्धालु दिखाई दे रहे हैं। इसके साथ ही मंदिरों में चढ़ने वाला मासिक चढ़ावा भी 90 फीसद कम हो गया है। आम दिनों में स्टेशन वाला शिव मंदिर में श्रद्धालुओं की आस्था से करीब 50,000 का चढ़ावा एकत्रित होता था, परंतु वह भी अब 5000 से कम हो गया है और मंदिरों में कपाट खुलने के बाद भी श्रद्धालु नहीं आ रहे हैं।
महज तीन से चार श्रद्धालु ही आ रहे प्राचीन श्री कृष्णा पंचायती मंदिर जोकि 12 दशकों से भी अधिक पुराना है, में सेवा कर रहे पंडित प्रदीप कुमार दुबे ने बताया कि उनकी तरफ से सुबह 5:00 बजे मंदिर के कपाट खोल दिए जाते हैं। परंतु दोपहर तक केवल तीन से चार श्रद्धालु ही आ रहे हैं। इसके अलावा शाम के समय कोई भी श्रद्धालु नहीं पहुंच रहा है। लॉकडाउन से पहले मंदिरों में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता था और महिला कीर्तन मंडल द्वारा भजन संध्या की जाती थी, परंतु अब सब सुनसान पड़ा है। मंदिरों में चढ़ने वाला चढ़ावा भी अब दो हजार ही रह गया है, जबकि पहले 30000 तक चढ़ावा चढ़ा जाता था। घर पर ही कर रहे पूजा
शिवभक्त एडवोकेट सोमनाथ ने बताया कि कोरोना के कारण वह मंदिर नहीं जा रहे हैं। वह घर में ही पूजा अर्चना कर रहे हैं और भगवान शिव की आराधना कर रहे हैं, ताकि इस महामारी से बचा जा सके। उन्होंने कहा कि लोगों को भी चाहिए मंदिरों में जाने की जगह घरों में ही पूजा अर्चना करें। नियमों का पालन करते हुए मंदिरों में नहीं जा रहे
सतीश बांसल जज ने कहा कि आम दिनों में वह सोमवार को भगवान शिव को जलाभिषेक के लिए प्राचीन शिव मंदिर में जाते थे। परंतु कोरोना के कारण वह सरकार के नियमों का पालन करते हुए मंदिरों में नहीं जा रहे हैं, क्योंकि इस महामारी में सावधानी जरूरी है।