गांव वजीदके कलां में मुख्य कृषि अफसर ने किया दौरा
बरनाला खेती के नए तरीके अपनाने के कारण धान व बासमती नीचे क्षेत्रफल बढ़ने का प्रयास जारी।
जागरण संवाददाता, बरनाला : खेती के नए तरीके अपनाने के कारण धान व बासमती नीचे क्षेत्रफल बढ़ने के कारण, मौसम में तबदीली आने के कारण कुछ कीड़े जैसे तने की सुंडी, पत्ता लपेट सुंडी, पौधों के टिड्डे व बीमारियां जैसे तने आसपास पत्तों का झुलस रोग, भूरे टिड्डो का रोग आदि बढ़ सकते हैं। फसल से अधिक झाड़ लेने के लिए कीड़ों की पहचान व कंट्रोल करना जरूरी है। यह बात मुख्य कृषि अफसर डॉक्टर बलदेव सिंह ने गांव वजीदके कलां में धान की सीधी बिजाई के सर्वेक्षण दौरान किया। जिसके खेत में घास ज्यादा हो गए थे। मुख्य कृषि अफसरो बरनाला ने अपील की कि घास की रोकथाम की जा सकती है, इसको जोत कर नुकसान करना सही नहीं है। उन्होंने कहा कि धान की फसल को लगने वाली बीमारियां, धान में उगने वाले घास पातों के कारण लगतीं हैं, इसलिए घास पातों की रोकथाम बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि झुलस रोग, शीत की झुलस रोग, झूठी फसल को लगने वाला रोग, भूरे धब्बों का रोग, भरड़ रोग व जड़ों का गलना आदि घास पातों को भी लगते हैं। इस लिए खेतों में से घास पातों की रोकथाम करनी बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि कुछ किसान कीड़े मकोड़ों व बीमारियों की रोकथाम सिर्फ कीटनाशक दवाई के साथ ही करना चाहते हैं, परन्तु किसानों को यह करने की बजाय सर्वपक्षीय विधि भी अपनानी चाहिएं, जैसे किसानों को खाद का प्रयोग भूमि हैल्थ कार्ड अनुसार पत्ता रंग चार्ट अनुसार ही करनी चाहिए, जिससे अनावश्यक खाद के खर्च को कम किया जा सके। उन्होंने कहा कि धान को लगने वाले पर कीड़ों व बीमारियों की रोकथाम के लिए कीटनाशक रसायनों का प्रयोग कृषि महिरों की सलाह के साथ ही करनी चाहिए।