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संघर्ष कर रहे जिले के आठ किसान अब तक गवां चुके हैं जान

केंद्र के विरोध कृषि कानून को लेकर किसानों द्वारा तीन माह से चल रहे धरने में आठ किसानों की मौत।

By JagranEdited By: Published: Tue, 29 Dec 2020 05:12 PM (IST)Updated: Tue, 29 Dec 2020 05:12 PM (IST)
संघर्ष कर रहे जिले के आठ किसान अब तक गवां चुके हैं जान
संघर्ष कर रहे जिले के आठ किसान अब तक गवां चुके हैं जान

संवाद सहयोगी, बरनाला : केंद्र के विरोध कृषि कानून को लेकर किसानों द्वारा तीन माह से चल रहे किसानी संघर्ष में किसान सर्दी, शीत सर्द हवाओं, न्यूनतम तापमान के बावजूद पंजाब, दिल्ली व हरियाणा में डटे है। किसानों द्वारा संघर्ष में बिना किसी परवाह लगातार कृषि कानून रद्द करवाने के लिए संघर्ष किया जा रहा है। अगर जिला बरनाला की बात करें, तो किसानी संघर्ष में जिले में 8 किसान मौत का शिकार हो चुके है।

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कस्बा महलकलां में महलकलां निवासी एक रिटायर्ड टीचर व किसान नेता यशपाल सिंह की हार्ट अटैक, गंगोहर निवासी एक निजी स्कूल में नौकरी करने वाली महिला राजिदर कौर व किसान नेता की हार्ट अटैक से मौत, महलकलां निवासी किसान काहन सिंह धनेर की दिल्ली कूच दौरान सड़क हादसे में मौत, किसान भाग सिंह सदोवाल की हार्ट अटैक से मौत, भाजपा पंजाब वाइस प्रधान के घर समक्ष किसान जोर सिंह निवासी सेखा की हार्ट अटैक से मौत, भाजपा जिला प्रधान के घर समक्ष किसान सुखदेव सिंह निवासी गुरम की हार्ट अटैक से मौत, धनौला निवासी 42 वर्षीय हरमिदर सिंह की दिल्ली से बरनाला वापसी के दौरान सड़क हादसे में मौत, धनौला निवासी किसान जनक राज की हरियाणा के बहादुरगढ़ में कार में जलने से मौत, किसान भाग सिंह सदोवाल की हार्ट अटैक से मौत हो चुकी है।

भाकियू कादिया के जिला प्रधान जगसीर सिंह छीनीवाल ने कहा कि महलकलां में अब तक चार किसान अपनी जान गवां चुके हैं। उन्होंने कहा कि किसानों के संघर्ष में राज्य में 50 किसानों की जान जा चुकी है।लेकिन केंद्र सरकार द्वारा किसानों की मांग को लेकर कोई समाधान नहीं किया जा रहा है। किसान की मौत पर सरकार से 10 लाख मुआवजा व सरकारी नौकरी समेत कर्ज माफ का प्रस्ताव यूनियन द्वारा पास किया है।

भाकियू एकता उगराहां के ब्लाक प्रधान बलौर सिंह छन्ना व जरनैल सिंह बदरा ने कहा कि बरनाला ब्लाक में चार किसान संघर्ष में जान गवा चुके है। जिसमें दो किसान संघर्ष के दौरान सड़क हादसे का शिकार हो चुके है।


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