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लेखन को भी बना सकते हैं करियर : चौधरी

। हिदी भाषा को प्रफुल्लित करने के मकसद से प्रभा खेतान फाउंडेशन ने शहर में अपनी भाषा अपने लोग के तहत कार्यक्रम कलम का आयोजन जूम एप के जरिए करवाया।

By JagranEdited By: Published: Thu, 23 Jul 2020 11:47 PM (IST)Updated: Fri, 24 Jul 2020 06:08 AM (IST)
लेखन को भी बना सकते हैं करियर : चौधरी
लेखन को भी बना सकते हैं करियर : चौधरी

हरदीप रंधावा, अमृतसर

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हिदी भाषा को प्रफुल्लित करने के मकसद से प्रभा खेतान फाउंडेशन ने शहर में अपनी भाषा अपने लोग के तहत कार्यक्रम कलम का आयोजन जूम एप के जरिए करवाया।

वीरवार को प्रभा खेतान फाउंडेशन की अध्यक्षता व श्री सीमेंट व एहसास वूमेन ऑफ अमृतसर के सहयोग से हुए इस कार्यक्रम में दैनिक जागरण मीडिया पार्टनर रहा। इसमें लेखिका अनु सिंह चौधरी मुख्य वक्ता थीं। वह सिर्फ एक लेखिका ही नहीं, एक अनुवादक और फिल्म मेकर भी हैं। वह रेडियो, टीवी, फिल्म इंडस्ट्री और न्यूज मीडिया के लिए भी लिख चुकी हैं और पुरस्कार प्राप्त डॉक्यूमेंट्री और वेब सीरीज का लेखन व निर्देशन कर चुकी हैं। उनकी किताब नील स्कार्फ एक कथा संग्रह है और उनकी दूसरी किताब मम्मा की डायरी हर कामकाजी मां के लिए पढ़ने योग्य जरूरी किताब है। उनकी वेब सीरीज दा गुड गर्ल शो का रूपांतरण पुरस्कार प्राप्त नाटक अंटरवांड दा कंफलिक्ट विद इन में किया गया था, जिसे अब एक उपन्यास की शक्ल दी जा रही है। वह दो दर्जन के करीब अंग्रेजी किताबों का हिदी अनुवाद भी कर चुकी हैं और अपने ब्लॉग पर लिखती हैं। अनु सिंह चौधरी के साथ प्रिसिपल रीना कुंद्रा ने उनके साहित्यक सफर व उनकी किताबों संबंधी बातचीत करके लोगों के उपस्थित दर्शकों के रूबरू करवाया, जिसका आगाज जसमीत नैय्यर ने स्वागती भाषण से किया।

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सोचा नहीं था लिखना ही करियर बन जाएगा

लेखिका अनु सिंह चौधरी ने बताया कि ठीक-ठीक याद नहीं कि लिखना कब शुरू किया था। कच्ची-पक्की कविताएं तो बचपन में ही आकाशवाणी के साप्ताहिक बाल कार्यक्रम में सुनाने लगी थीं, लेकिन लिखना करियर बन जाएगा, ऐसा कभी नहीं सोचा था। कॉलेज में साहित्य की पढ़ाई की, फिर पत्रकारिता करने के बाद निजी टीवी चैलन के साथ काम करने लगी। नौकरी स्क्रिप्ट लेखन के दम पर ही मिली थी, लेकिन तब भी लिखने को करियर नहीं मानती थी। अब सोशल मीडिया के दौर में सब लेखक हैं। मैंने उस दिन लेखन को अपना करियर माना जिस दिन यह एहसास हुआ कि मैं दिन के आठ से दस घंटे लिखने, या लिखने की कोशिश करने में बिताती हूं। यह तय कर पाना बेहद मुश्किल है कि किस माध्यम में लिखना ज्यादा पसंद है। टीवी आपको ऐसे किरदार रचने के अवसर देता है जो हर रोज दर्शकों के घर तक पहुंचते हैं, उनके दुख-सुख में शामिल होते हैं। फिल्मों के लिए लिख पाना हर नए लेखक की चाहत होती है, लेकिन फिल्म लेखक का नहीं बल्कि निर्देशक का माध्यम है। किताबें वो दुनिया है जो आप अपने शब्दों, अपने किरदारों के जरिए रचते हैं और किताबें आपकी बेहद निजी दुनिया भी है।

महिलाओं में सशक्त होने की दौड़ सराहनीय : जसमीत नैय्यर

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एहसास वूमेन ऑफ अमृतसर की सदस्य जसमीत नैय्यर का कहना है कि आज महिलाओं को सशक्त होने की जो दौड़ चल रही है, वो बेहद सराहनीय है। हर उम्र और हर कदम पर शिक्षा में आगे बढ़ना है। घर संभालने के साथ-साथ कमाई करके अपना मुकाम हासिल करने के लिए यह जरूरी है। बाक्स-2-फोटो:167

एहसास वूमेन ऑफ अमृतसर की सदस्य रीना कुंद्रा का कहना है कि कार्यक्रम का हिस्सा बनने की खुशी है।अनु सिंह चौधरी का कार्यक्रम में आना अच्छा लगा है, जो अपने लेखन में महिला का जिक्र करती हैं। एक महिला होने के बावजूद उन्होंने फिल्मीस्तान में अपनी बिल्कुल अलग पहचान बनाई है। बाक्स-3-फोटो:166

एहसास वूमेन ऑफ अमृतसर की सदस्य इंदु अरोड़ा का कहना है कि महिलाओं का एजुकेटेड और इंडिपेंडेंट होना जरूरी है। यदि महिला एजुकेटेड और इंडिपेंडेंट रहेगी तो वह समाज में कहीं भी सरवाइव कर सकती है और बेटी को भी बेटों की तरह आगे बढ़ने का अवसर मिलना चाहिए। बाक्स-4-फोटो:168

एहसास वूमेन ऑफ अमृतसर की सदस्य किरण खन्ना का कहना है कि हिदी साहित्य को प्रफुल्लित करने के मकसद से शहर में आयोजन करवाया गया है, जिसमें शहरवासियों ने खूब सहयोग दिया है। दूसरी भाषाओं के मुकाबले हिदी को प्रफुल्लित करने के लिए भविष्य में भी आयोजन जारी रहेगा। बाक्स-5-फोटो:169

एहसास वूमेन ऑफ अमृतसर की सदस्य परनीत बब्बर का कहना है कि कलम के तहत आयोजित कार्यक्रम शहर में लोगों को साहित्य के नई दिशा व दशा देगा। कलम का मंच युवाओं के लिए एक खास प्लेटफार्म है, जिसके जरिए युवा अपनी-अपनी प्रतिभा का बाखूबी प्रदर्शन कर सकते हैं।


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