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सिविल अस्पताल में 'सरकारी अत्याचार', गर्भवती को डाक्टरों ने एडमिट करने से इन्कार किया

सिविल अस्पताल में गर्भवती महिलाओं के साथ सरकारी अत्याचार हो रहा है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 08 Oct 2021 08:00 AM (IST)Updated: Fri, 08 Oct 2021 02:52 PM (IST)
सिविल अस्पताल में 'सरकारी अत्याचार', गर्भवती को डाक्टरों ने एडमिट करने से इन्कार किया
सिविल अस्पताल में 'सरकारी अत्याचार', गर्भवती को डाक्टरों ने एडमिट करने से इन्कार किया

जासं, अमृतसर: सिविल अस्पताल में गर्भवती महिलाओं के साथ 'सरकारी अत्याचार' हो रहा है। दो माह की एक गर्भवती महिला पेट में दर्द से छटपटाती रही, पर डाक्टरों ने उसे दाखिल नहीं किया। महिला के स्वजन रो रो कर डाक्टरों से गुहार लाते रहे, पर उनकी सुनवाई नहीं हुई। अंतत: परिजनों ने महिला को निजी अस्पताल पहुंचाया।

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मनीषा रानी नामक महिला ने बताया कि उसकी बेटी दो माह की गर्भवती है। 1 अक्टूबर को ससुरालियों ने उसकी पिटाई की। इसके बाद उसकी हालत बिगड़ गई। वह सिविल अस्पताल में ले आए। यहां मेडिको लीगल रिपोर्ट बनाकर उसे घर भेज दिया गया। इसके बाद 6 अक्टूबर को बेटी के पेट में तेज दर्द हुआ। हम उसे सिविल अस्पताल ले आए। इमरजेंसी ड्यूटी में तैनात स्टाफ ने उसे हाथ तक नहीं लगाया। वह स्ट्रेचर पर दर्द से तड़पती रही। डाक्टरों ने कहा कि यहां दाखिल नहीं करेंगे, इसे गुरुनानक देव अस्पताल ले जाओ। मनीषा के अनुसार मैंने डाक्टर से कहा कि इसकी हालत ठीक नहीं है। यदि आप अल्ट्रासाउंड कर देंगे तो मर्ज का पता चल जाएगा, पर डाक्टर टस से मस नहीं हुए। मनीषा ने बताया कि उसकी बेटी तड़पती रही और मैं रोती रही, पर डाक्टर नहीं पसीजे। हारकर मेरा बेटा उसे अपनी गोद में उठाकर एंबुलेंस तक ले गया और फिर हम निजी अस्पताल में चले गए। एक तरफ सरकार सरकारी अस्पतालों में सुरक्षित प्रसव के लिए महिलाओं को आने को प्रेरित करती है, दूसरी तरफ डाक्टरों का ऐसा व्यवहार मरीज की जान पर बन आता है। अस्पताल का तर्क : यह मेडिको लीगल केस था, महिला के शरीर पर चोटें थी

इधर, इस मामले में अस्पताल प्रशासन का तर्क है कि यह मेडिको लीगल केस था। महिला को जब यहां दाखिल करवाया गया था तो उसके शरीर पर चोटें थी। डाक्टरों ने रिपोर्ट तैयार कर दी। परिवार ने यह नहीं बताया कि महिला गर्भवती है। मेडिको लीगल केसों की रिपोर्ट अस्पताल में तैयार की जाती है। महिला को पेट दर्द की शिकायत थी। ऐसे में डाक्टर ने दर्द निवारक इंजेक्शन दिया था, पर परिवार की गलती यह रही कि उन्होंने बताया कि वह गर्भवती है। गर्भवती को किसी भी तरह की शारीरिक परेशानी होने पर गर्भावस्था को मुख्य रखते हुए ही दवा व इंजेक्शन दी जाती है। डाक्टरों ने महिला का उपचार किया, हमने दाखिल करने से कभी इंकार नहीं किया।


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