पार्किंग के ठेके को लेकर वल्ला सब्जी मंडी में दो गुट भिड़े
सब्जी मंडी वल्ला में पार्किंग व कैंटीन के ठेके को लेकर दो गुट आमने-सामने आ गए। मौके पर पहुंचे थाना वल्ला के प्रभारी इंस्पेक्टर संजीव कुमार ने स्थिति को नियंत्रित किया
संस, अमृतसर : सब्जी मंडी वल्ला में पार्किंग व कैंटीन के ठेके को लेकर दो गुट आमने-सामने आ गए। मौके पर पहुंचे थाना वल्ला के प्रभारी इंस्पेक्टर संजीव कुमार ने स्थिति को नियंत्रित किया। करीब तीन घंटे तक वल्ला सब्जी मंडी में माहौल तनावपूर्ण रहा।
थाना प्रभारी ने दोनों गुटों के दो-दो सदस्यों के साथ बैठक कर मार्केट कमेटी के अधिकारियों के साथ बैठक का समय रखा।
सब्जी मंडी में मौजूदा पार्किंग का ठेका देख रहे बलबीर सोनू व जज्जी कुमार का आरोप है कि मार्केट कमेटी के चेयरमैन की शह पर ही यह सब कुछ हो रहा है। वह अकाली नेता को यह ठेका बिना किसी कागजी कार्रवाई के देना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना काल के समय में जिस पार्टी के पास यह ठेका था, वह भाग गई। इसके बाद मार्केट कमेटी की तरफ से यह ठेका उन्हें दिया गया, जिसकी हर महीने किश्त भी जमा करवाई जाती है। लेकिन, जब अरुण मेहरा पप्पल चेयरमैन बने हैं, तभी से ही उन्हें वह तंग परेशान कर रहे हैं। अब जब ठेका समाप्त होने में एक महीना ही रह गया है तो चेयरमैन अपने चहेते अकाली नेता को यह ठेका देना चाह रहे हैं। जबकि इस संबंधी दूसरे ग्रुप के पास इससे संबंधित कोई दस्तावेज तक नहीं है। उन्होंने कहा कि मार्च में पार्किंग के लिए टेंडरिग होनी है, लेकिन दूसरी पार्टी बिना टेंडरिग के ही यहां पर्ची काटने को लेकर पहुंच गई।
जो भी ज्यादा पैसे देगा, वह इसका ठेका ले सकता है : चेयरमैन
मार्केट कमेटी के चेयरमैन अरुण मेहरा पप्पल का कहना है कि उनका किसी पार्टी से कोई लेना देना नहीं है। जो भी ज्यादा पैसे देगा, वह इसका ठेका ले सकता है। वह चाहे कोई भी हो। उन्होंने कहा कि 31 मार्च से 2020 से यह ठेका खत्म हो जाना था, लेकिन मंडी बोर्ड ने इस संबंधी 31 अगस्त तक टेंडर को बढ़ा दिया। फिर 30 सितंबर तक यह ठेका बढ़ा दिया। इसके बाद एक दिसंबर 2020 को मोहाली दफ्तर से यह पत्र जारी कर दिया कि मार्केट कमेटी अपने स्तर पर जो भी अधिक पैसा दे, उसे ठेका दे सकती है। उन्होंने कहा कि यहां दो पार्टियां ठेका चला रही हैं, जिसमें से एक शरीफपुरा कोआपरेटिव सोसायटी है और दूसरी एक अन्य पार्टी है। शरीफपुरा कोआपरेटिव सोसायटी ने करीब 83 लाख रुपये बोर्ड का पैसा देना है। दूसरी पार्टी जो कंटीन का ठेका चला रही है, उसने 14 लाख 47 हजार रुपये देना है। इतना पैसा देने के बावजूद इन्हें कैसे ठेका दिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि अगर ठेका लेना है तो वह यह पैसा दे दें और ठेका ले लें। उन्होंने डिप्टी कमिश्नर से मांग की है कि इस मामले की जांच करवाई जाए और जो भी आरोपी पाया जाता है उसके खिलाफ क्रिमिनल केस दर्ज करवाया जाए।
एडवांस में जमा करवाई छह माह की किश्त : संजीव
वहीं कैंटीन के ठेकेदार संजीव कुमार का कहना है कि उसे कैंटीन का मार्च 2019 में ठेका लिया था। इसके लिए छह महीने की किश्त एडवांस में जमा करवाई गई थी, जिसकी कीमत करीब 14 लाख से भी अधिक बनती है। फीस लेने के बावजूद उसे यह ठेका दिया ही नहीं गया। गुंडागर्दी और अधिकारियों की मिलीभगत के कारण यह ठेका अभी भी पिछले ठेकेदार सन्नी महाजन के नाम ही है। उसी के वहां पर बोर्ड भी लगे हुए है। वह अपनी गुंडागर्दी से किसी को ठेका वहां नहीं चलाने देता। उन्होंने मांग की है कि मार्केट कमेटी उसके यह फीस वापिस दे।