बिना कोच की सफाई रवाना की जा रही ट्रेनें
। लॉकडाउन के दौरान देश भर में ट्रेनों की आवाजाही ठप रही। मगर करीब एक महीना पहला रेल मंत्रालय ने देश भर में कुछ स्पेशल ट्रेनों को चलाने की अनुमति दी।
हरीश शर्मा, अमृतसर
लॉकडाउन के दौरान देश भर में ट्रेनों की आवाजाही ठप रही। मगर करीब एक महीना पहला रेल मंत्रालय ने देश भर में कुछ स्पेशल ट्रेनों को चलाने की अनुमति दी। इनमें छह ट्रेनें अमृतसर रेलवे स्टेशन से भी चलाई गई। ऐसे में ट्रेन को रवाना करने से पहले उसकी अच्छी तरह से वाशिग करनी होती है। ट्रेन को पूरी तरह से साफ करना जरूरी है। इसके लिए स्टेशन के अटारी एंड की तरफ वाशिग लाइन भी है। जहां पर ट्रेनों की साफ-सफाई की जाती है। मगर रोजाना ही ट्रेनें गंदी ही यहां से रवाना हो रही हैं। संबंधित ठेकेदार के कारिदे सफाई की तरफ ज्यादा ध्यान नहीं दे रहे। ट्रेनों की सीटें धूल-मिट्टी से भरी होती हैं। ट्रेन के कोच में जमा गंदगी आदि आम बात हो गई है। क्योंकि ठेकेदार सफाई के नाम पर केवल औपचारिकता ही पूरी कर रहा है। जबकि बदले में ठेकेदार रेलवे से पूरे पैसे वसूल रहा हैं।
कई बार यात्रियों ने इस संबंधी शिकायत भी की है। मगर रेलवे अधिकारियों के सिर पर भी जूं नहीं रेंगी। एक तरफ तो कोरोना से बचने की कोशिश हो रही हैं। दूसरी तरफ ट्रेनों को गंदा ही रवाना किया जा रहा है। अधिकारी सबकुछ जानते हुए भी आंखे मूंदें बैठे हैं।
बिल पास करने वाले अधिकारी के पास नहीं जवाब
ट्रेनों की वाशिग का सारा बिल ठेकेदार ने एडीएमई को जमा करवाना होता है। अस्सिटेंट डिवीजनल मैकेनिकल इंजीनियर (एडीएमई) की ही ड्यूटी रहती है कि चेक करके तसल्ली की जाए कि सारा काम ठीक से हुआ है या नहीं। उसके बाद ही बिल की पेमेंट की जाती है। इस बारे में जब एडीएमई अंकन गुप्ता के साथ बात की तो आगे से वह कोई भी जवाब नहीं दे पाए। उल्टा उनका कहना था कि मुझे क्यों पूछा जा रहा है। यूं भी कह सकते हैं कि अधिकारियों की मिलीभगत के साथ ही सारा खेल चल रहा है। हो सकता है कि बिल में से हिस्सा उनके पास भी पहुंच रहा है। तभी इस मामले में कार्रवाई करना तो दूर, जांच करवाने की बात कहने से भी अधिकारी गुरेज कर रहे हैं।