जो महिला जनप्रतिनिधि काम न संभालें, उन्हें पद से हटाएं : प्रो. चावला
पूर्व मंत्री प्रो. लक्ष्मीकांता चावला ने कहा है कि जो महिला जनप्रतिनिधि के रूप में अपना काम नहीं संभाल सकती उन्हें अपने पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है।
संवाद सहयोगी, अमृतसर : पूर्व मंत्री प्रो. लक्ष्मीकांता चावला ने कहा है कि जो महिला जनप्रतिनिधि के रूप में अपना काम नहीं संभाल सकती, उन्हें अपने पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि पंजाब की वर्तमान सरकार ने लोकल सेल्फ गवर्नमेंट के चुनावों के लिए महिलाओं को पचास प्रतिशत आरक्षण दिया है। वैसे तो समाज में महिलाओं का महत्व बढ़ाने के लिए यह अच्छा फैसला है, पर सरकर क्या यह नहीं जानती कि जितनी महिलाएं चुनाव लड़ेंगी उतने ही पार्षद, नगर पंचायत के सदस्य, सरपंच-पंच बढ़ जाएंगे, क्योंकि सरकार आज तक यह नहीं रोक पाई कि पार्षद पति, पार्षद पुत्र, सरपंच पति, पुत्र अपने परिवार की महिला जनप्रतिनिधि की सारी शक्तियों का उपयोग ही नहीं दुरुपयोग करते हैं और असली जनप्रतिनिधि महिलाएं घर की चारदीवारी में बंद रहती हैं। सरकार की अगर कोई एजेंसी है तो जांच करवाए कि कुछ महिला पार्षदों और सरपंचों, पंचों के पुरुष पारिवारिक सदस्य उनकी स्टैंप भी अपनी जेब में रखते हैं। उनके हस्ताक्षर भी कर देते हैं। वैसे कानून यह है कि जो नकली अधिकारी बनकर घूमता है उसे जेल में भेजा जाता है, पर यहां महिला पार्षदों, पंचों सरपंचों के पति स्वयं पार्षद या पंच सरपंच बनकर घूमते हैं उन पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं। इसका उत्तर पंजाब प्रशासन और पुलिस को देना होगा। सरकार यह सुनिश्चित करें कि जो महिलाएं जनप्रतिनिधि चुनी जाती हैं अगर वह अपना काम स्वयं नहीं करतीं तो उनका चुनाव रद किया जाए। महिलाओं को चुनाव जीतने के बाद राजनीति में सक्रिय रूप से भागीदारी निभानी चाहिए।