अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस: कोरोना काल में मसीहा बनीं ये वीरांगनाएं त्याग और साहस की हैं प्रतिमूर्ति
हर साल आठ मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। निसंदेह ही महिलाएं त्याग बलिदान एवं साहस की प्रतिमूर्ति हैं। कोरोना महामारी के बीच महिलाओं ने अदम्य साहस और कुशलता का प्रमाण दिया है।
जागरण टीम, अमृतसर: हर साल आठ मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। नि:संदेह ही महिलाएं त्याग, बलिदान एवं साहस की प्रतिमूर्ति हैं। कोरोना महामारी के बीच महिलाओं ने अदम्य साहस और कुशलता का प्रमाण दिया है। महानगर की ऐसी कई वीरांगनाएं हैं जिन्होंने कोरोना काल में फील्ड में उतरकर जनसेवा का प्रेरणादायक उदाहरण प्रस्तुत किया। वह संकट में जरूरतमंदों के लिए मसीहा बनकर आईं। महिला दिवस पर आज हम इन्हीं महिलाओं से आपको रूबरू करवा रहे हैं। अध्यापिका डा. मंजू गुप्ता : लोगों की सेवा को समर्पित किया जीवन
सरकारी स्कूल वेरका की अध्यापिका डा. मंजू गुप्ता ने कोरोना काल में अपना जीवन लोगों की सेवा को समर्पित कर दिया। जिस वक्त लोग महामारी से जूझ रहे थे, घरों में बंद थे, तब मंजू गुप्ता लोगों के लिए काम कर रही थीं। एक अध्यापिका होने के बावजूद उन्होंने सिलाई मशीन उठाई और मास्क तैयार करने का क्रम शुरू कर दिया। सैकड़ों मास्क बनाए और अपने स्कूटर पर सवार होकर शहर के नाकों पर तैनात पुलिस जवानों और अलग-अलग स्थानों पर आम लोगों को वितरित किए। मंजू के अनुसार यह ऐसी महामारी है जिससे बचना तो जरूरी था ही, पर लोगों को बचाना भी अति आवश्यक था। उन्होंने अपने सामर्थ्य के अनुसार यह काम किया। एसीपी ऋचा अग्निहोत्री: महिलाओं को बंटवाए 30 हजार सेनेटरी पैड
कोरोना काल में पुलिस मुलाजिमों ने फ्रंट वारियर के तौर पर भूमिका निभाई। इनमें एसीपी डा. ऋचा अग्निहोत्री ने अपनी अलग पहचान बनाई। उन्होंने पिछड़ी बस्तियों में जाकर वहां रहने वाली महिलाओं की मुश्किलें सुनीं। फिर एसीपी ने तीस हजार से ज्यादा सेनेटरी पैड अपने वेतन से मंगवाए और जरूरतमंद महिलाओं में वितरित करवाए। बतौर डाक्टर होने के नाते एसीपी जानती थी कि महिलाओं को उस दौर में किस तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। डा. ऋचा ने बताया कि कोरोना काल में की गई सेवा उन्हें हमेशा याद रहेगी। उन पलों को आज भी वह पति और परिवार के साथ साझा करती हैं। निगम कमिश्नर कोमल मित्तल : फील्ड में निगरानी, सही हाथों में पहुंचाया राशन
नगर निगम की कमिश्नर कोमल मित्तल कोरोना काल में लगातार काम में जुटी रहीं। सरकार की ओर से गरीब लोगों के लिए भेजा गया राशन हर घर तक पहुंचे, इसके लिए वह खुद फील्ड में लगातार डटी रहीं। यहां तक कि हर राशन के हर एक थैले को सही हाथों में पहुंचाने के लिए फील्ड में मानिटरिग करती रहीं। इसके अलावा अपने काम के साथ उन्होंने बहुत सारी महिलाओं को भी प्रेरित किया, जो लोक सेवा के लिए आगे आई। हालांकि कोमल मित्तल के पति एडीसी हिमांशु अग्रवाल भी संक्रमण का शिकार हो गए थे। बावजूद इसके वह अपने काम में डटी रहीं। अध्यक्ष प्रणीत बब्बर : सहयोगियों संग कोरोना के खिलाफ जंग में उतरीं
कोरोना महामारी ने समाज के हर वर्ग को प्रभावित किया। फुलकारी वूमेंस आफ अमृतसर की अध्यक्ष प्रणीत बब्बर संगठन की सदस्यों के साथ महामारी के खिलाफ जंग में उतरीं। संक्रमण पर नियंत्रण के लिए हैंड वाश व हैंड रब का अभियान चलाया। फ्रंट लाइनर सेहत, पुलिस व निगम के कर्मचारियों को पर्सनल प्रोटेक्शन इक्विपमेंट्स (पीपीई) किटें मुहैया करवाई। विश्व सेहत संगठन के साथ मिलकर जागरूकता अभियान चलाकर लोगों को संक्रमण से बचाने के लिए प्रेरित किया। लाकडाउन में लोगों तक खाने-पीने की चीजें पहुंचाई। चेयरपर्सन मीता मेहरा : गांव बुआ नंगली को गोद लेकर सेहत व सुरक्षा का बीड़ा उठाया
फिक्की फ्लो एक ऐसी संस्था है जो हमेशा बढ़चढ़कर समाज के लिए सेवा निभाती आ रही है। इसकी चेयरपर्सन मीता मेहरा हैं। उन्होंने महामारी के बीच में खुद की सुरक्षा के साथ-साथ लोगो को भी बचाया। अप्रैल में संगठन का पदभार संभालने के बाद संस्था ने गांव बुआ नंगली को गोद लेकर सेहत व सुरक्षा का बीड़ा उठाया। महिलाओं को सर्विकल कैंसर से बचाने के लिए जागरूक अभियान शुरू किया। रोटरी क्लब के सहयोग से नौ से 14 साल तक की लड़कियों की वैक्सीनेशन करवाने का निर्णय लिया। इसके अलावा एक लड़की की पढ़ाई का खर्च उठाने की जिम्मेदारी भी ली। चेयरपर्सन जीवन जोत कौर : लाकडाउन में फंसे लोगों की मदद कर बनीं मसीहा
कोरोना काल में श्री हेमकुंट साहिब वेलफेयर सोसायटी ने भी लोगों की सेवा में अहम रोल निभाया। संस्था की चेयरपर्सन जीवन जोत कौर ने इस दौरान गुरुनगरी में रह रहे दूसरे राज्यों के 43 परिवारों के लिए चार माह तक उनको राशन, दवाओं का इंतजाम करके दिया। यह वो परिवार थे जिनका लाकडाउन के कारण रोजगार चला गया और वह उस दौरान वापस अपने गांवों को भी नहीं जा सकते थे। इसी तरह उत्तराखंड के 15 परिवारों को संस्थान की ओर से एक होटल में तीन माह के लिए रिहायश व खाने का प्रबंध करके दिया गया। यही नहीं जरूरतमंदों को हैंड सैनिटाइजर, मास्क व महिलाओं को सेनेटरी पैड भी बांटे गए।