Move to Jagran APP

बेजानों में कला के ये जादूगर फूंकते हैं नई जान, वाकई गुरुनगरी अमृतसर में गीत गाते हैं पत्‍थर

पंजाब के अमृतसर में कला के जादूगर बेजानों में नई जान फूूंंक‍ देते हैं। एकबारगी तो उनके हुनर में ययकमीन नहीं होता। बेजान पत्‍थरों को तराश कर वे ऐसा सजीव रूप दे देते हैं कि लगता है वे बोल पड़ेंगी। वाकई यहां पत्‍थर भी गीत गाते हैं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Mon, 21 Sep 2020 05:57 PM (IST)Updated: Tue, 22 Sep 2020 07:33 AM (IST)
अमृतसर में एक मूर्ति को अंतिम रूप देता कलाकार।

अमृतसर, [हरदीप रंधावा]। बरसों पहले एक हिंदी फिल्‍म आई थी 'गीत गाया पत्‍थरों ने'। इस फिल्‍म में बेजान पत्‍थरों को सजीव रूप देने वाले शिल्‍पकार (मूूर्तिकार) की अनोखी कहानी दिखाई गई थी। गुरुनगरी अमृतसर मेें भी कला के ऐसे ही जादूगर बेजान संगमरमर के पत्‍थरों को सजीव करते हैं। इन्‍हें देखकर लगता है कि ये बोल उठेेंगे, गा उठेंगे। आप भी इन्‍हें देख कर कहेंगे- वाकई गुरुनगरी मेें पत्‍थर भी गीत गाते हैं।

loksabha election banner

जैसी इच्‍छा वैसी मूर्तियां बनाते हैं कलाकार, फोटो भेजकर पसंदीदा मूर्तियां बनाते हैं शिल्‍पकार

समाज में हरेक धर्म के देवताओं की मूर्तियों और अन्‍य प्रतीकों के प्रति लोगों की बड़ी आस्थाएं हैं। मंदिरों के साथ-साथ सार्वजनि‍क स्‍थलों पर मूर्तियां आमतौर पर आप देखते हैं, लेकिन इनमें कई ऐसी होती हैं किे बरबस मन माेह लेती हैं। गुरु नगरी अमृतसर में कला के ये अनोखे नमूने जगह-जगह लगे हैं। ऐसे में अमृतसर में पत्‍थरों को सजीव करने की कला की बहुत पुरानी परंपरा है। यहां के कलाकार देश भर में संगमरमर की कलात्‍मक मूर्तियां बनाकर भेजते हैं। यहां के कलाकारों की खास खूूबी है, ग्राहकों की इच्‍छा काे वे पत्‍थरों में ढाल देते हैं यानि इच्‍छा के अनुरूप भंगिमा व भाव प्रकट करने वाली मूूर्तियां बनाते हैं।

संगमरमर की मूर्तियां बनाने का केंद्र बना अमृतसर

इन मूर्तिकारों की कहानी भी बेहद अनोखी है। अमृतसर के राम तलाई चौक के नजदीक सिटी सेंटर स्थित भंडारी मार्बल एंड हैंडीक्राफ्ट से मकराणा मार्बल से बनी मूर्तियां राज्य सहित देश के विभिन्न हिस्सों में अपनी अलग पहचान रखती हैं।यह वास्‍तव में यह ऐसे कलाकारों की राज्य का धुरा बना हुआ है।

अमृतसर के भंडारी मार्बल एंड हैंडीक्राफ्ट के मालिक भंडारी लाल शर्मा।

राजस्थानी कारीगर बनाते हैं मार्बल की मूर्तियां

भंडारी मार्बल एंड हैंडीक्राफ्ट के मालिक भंडारी लाल शर्मा ने बताया कि लगभग 115 साल पहले उनके पिता पंडित अनंत राम ने हिमाचल प्रदेश के जिला ऊना स्थित गांव दौलतपुर से अमृतसर में आकर कुलचे व छोलों का कारोबार शुरू किया था। उन्होंने अनंत राम छोलियां वाले के नाम से शहर में अपना कारोबार चलाया। शहर के लोग आज भी उन्‍हें इसके लिए याद करते हैं।

भंडारी लाल शर्माने बताया कि साल 2000 हजार के करीब उन्होंने कारोबार बदला और मार्बल एंड हैंडीक्राफ्ट का काम शुरू किया। अभी कला के इस कार्य में उनका बड़ा बेटा अखिल शर्मा व छोटा बेटा निखिल शर्मा भी हाथ बंटा रहे हैं। उनके साथ करीब 12 संगमरमर को तराश कर उसे सजीव मूर्तियों का रूप देने वाले हुनरमंद कारीगर काम करते हैं। ये सभी राजस्थान से संबंधित हैं। मूर्तिकला के प्रति इन कलाकारों का समर्पण 'गीत गाया पत्‍थरों ने' फिल्‍म की याद दिला देता है।

अमृतसर में एक मूर्ति को अंतिम रूप देता कलाकार।

मूर्तियों में मार्बल व रंगों की है बेहतरीन क्वालिटी

भंडारी लाल शर्मा का कहना है कि शहर ही नहीं बाहर से भी लोग अपनी मन की इच्छा के मुताबिक साधु, संतों और देवताओं की फोटो भेजकर अपनी पसंद के मार्बल से मूर्तियां तैयार करवाते हैं। हिंदू धर्म से संबंधित श्रद्धालु अपनी आस्था के मुताबिक मूर्तियां तैयार करवाने का आर्डर देते हैं। हम उनकी इच्‍छाओं के अनुरूप भावपूर्ण म‍ूर्तियां तैयार कर तय समय में घर या मंदिर तक पहुंचाते हैं। उन्होंने कहा कि इन मूर्तियों को तैयार करने में बढ़िया क्वालिटी का मार्बल इस्तेमाल किया जाता है। इसके साथ बेहतरीन रंगों से मूर्तियों को सजाया जाता है।

भंडारी मार्बल एंड हैंडीक्राफ्ट के मालिक भंडारी लाल शर्मा म‍ूर्तियों के साथ।

12 इंच की मूर्ति बनाने में चार-पांच दिन लगते हैं

भंडारी मार्बल एंड हैंडीक्राफ्ट के साथ काम करने वाले राजस्थान के मकराना जिला नागौर निवासी कारीगर नेमी चंद स्वामी का कहना है कि साल-2001 से मूर्ति बनाने का काम कर रहे हैं। वह बताते हैं बाहरवीं कक्षा तक पढ़ाई करने के बाद मूर्तिकला के प्रति रुझान जागा। गांव में कलाकारों को मूर्तियां बनाते हुए देख तो मन में आया कि क्यों न वह भी इस कला को अपनाएं। बस इसके बाद संगमरमर की मूर्तियां बनाना सीखने लगा और खुद को इससे हमेशा के लिए जोड़ लिया।

वह बताते हैं, 12 इंच की मूर्ति बनाने में लगभग चार-पांच दिन का समय लग जाता है। कोविड-19 की महामारी में काम प्रभावित हुआ है और 70 फीसदी काम ठप हुआ था। अब देश में अनलॉक शुरू होने के बाद 30 फीसदी काम चल रहा है।

एक से लेकर पांच फीट की मूर्तियां होती हैं तैयार

भंडारी लाल शर्मा का कहना है कि वह होल सेलर हैं और पंजाब के विभिन्न जिलों के साथ-साथ हिमाचल प्रदेश और हरियाणा में भी मूर्तियां सप्लाई करते हैं। उनके पास एक फीट से लेकर साढ़े पांच फीट तक की मूर्तियां तैयार होती हैं। वैसे डिमांड पर किसी भी साइज की मूर्ति बनवा दी जाती है। इनमें अधिकतर लाल, सफेद और काला पत्थर इस्तेमाल होता है। मूर्तियों में श्री राम दरबार, मां दुर्गा, बावा बालक नाथ, बावा लाल दयाल, काली माता, श्री राधा-कृष्ण, बजरंग बली, शिव परिवार, श्रीचंद, भैरव नाथ आदि की मूर्तियां उनके पास हर समय उपलब्ध रहती हैं। 

यह भी पढ़ें: हरियाणा की महिला IAS अफसर काे त्रिपुरा बुलाने पर अड़ी वहां की सरकार, जानें क्‍या है पूरा मामला

यह भी पढ़ें: पंजाब के इस शख्‍स के पास है धर्मेंद्र की अनमोल धरोहर, किसी कीमत पर बेचने को तैयार नहीं

यह भी पढ़ें: रुक जाना न कहीं हार के: 10 लाख पैकेज की जाॅब छाेड़ी, पकाैड़े व दूध बेच रहे हैं हरियाणा के प्रदीप


पंजाब की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

हरियाणा की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.