सब्सिडी वाले उपभोक्ताओं पर भी लटकेगी बिल की तलवार
केंद्र सरकार का बिजली शोध बिल-2020 आने वाले समय में उपभोक्ताओं पर भारी पड़ सकता है।
हरदीप रंधावा, अमृतसर : केंद्र सरकार का बिजली शोध बिल-2020 आने वाले समय में उपभोक्ताओं पर भारी पड़ सकता है। बिल के लागू होने से एक तरफ जहां बिजली के रेट निर्धारित करने के सभी अधिकार निजी कंपनियों के पास चले जाएंगे। वहीं दूसरी तरफ सब्सिडी वाले उपभोक्ताओं पर भी तलवार लटकना तय है। बिजली बोर्ड का पंजाब स्टेट पावर काक्वरपोरेशन लिमिटेड बनने से पहले जो मुनाफा तीन फीसद था। उसे बढ़ाकर 16 फीसद कर दिया गया है। इसकी भरपाई करने के लिए बिजली के रेट में बढ़ोतरी होना भी निश्चित है। वर्तमान समय में 6.50 रुपये प्रति यूनिट मिलने वाली राज्य में बिजली के रेट भी 8 रुपये को भी पार हो जाएंगे। बजली शोध बिल-2020 से निजी कंपनियों द्वारा हरेक उपभोक्ता को एक ही मूल्य पर बिजली सप्लाई की जाएगी। राज्य सरकारों की दखलअंदाजी भी होगी बंद
बिजली शोध बिल-2020 के जरिए बिजली के करारों को लागू करने वाली संस्था इलेक्ट्रिसिटी कांट्रैक्ट एनफोर्समेटं अथॉरिटी (ईसीईए) का गठन केंद्र सरकार करेगी। उसके जरिए राज्य सरकारों से निजी कंपनियों के साथ बिजली समझौते करवाकर उन्हें लागू करवाया जाएगा। निजी कंपनियों के साथ हुए समझौतों में हुई उल्लंघना पर बड़े-बड़े जुर्माने भी लगेंगे। बिजली शोध बिल-2020 राज्यों के बिजली उत्पादन, बिजली संचार, बिजली वितरण, बिजली के रेट निर्धारित करने, बिजली खरीदने के समझौते करने और राज्य रेगुलेटरी कमिशन के सदस्यों से फैसले लेने के अधिकार भी छिन जाएंगे।
मुलाजिमों की डयूटी भी बढ़ जाएगी
टेक्निकल सर्विस यूनियन (टीएसयू) के सर्किल प्रधान मदन लाल शर्मा का कहना है कि बिजली बिल-2020 पारित होने से जहां आम जनता और किसानों को मिल रही बिजली की मुफ्त सुविधा बिल्कुल बंद होगी। वहीं दूसरी तरफ बिजली महंगी हो जाएगी। मुलाजिमों की डयूटी भी आठ से बढ़कर बारह घंटे होगी। मध्यम वर्गीय लोगों के साथ है धोखा
सामाजिक कार्यकर्ता व अधिवक्ता पीसी शर्मा का कहना है कि निजी कंपनियां आने से उपभोक्ताओं के लिए मार्केट में मुकाबलेबाजी आएगी। इससे उपभोक्ताओं को बिजली संबंधी बेहतर सेवाएं हासिल करने का मौका मिलेगा। उपभोक्ताओं को सस्ती बिजली मिलने के आसार भी बन सकते हैं, क्योंकि सब्सिडी नाम पर मध्यम वर्गीय लोगों के साथ धोखा है।