किसानों की आर्थिक हालत खराब हुई, कृषि लागत बढ़ी: औजला
सांसद गुरजीत सिंह औजला व विधायक डा. राज कुमार वेरका ने बुधवार को आमदनी न हुई दोगुनी दर्द हुआ सो गुना बुकलेट लांच करते हुए किसानों की व्यथा को बयां किया।
जागरण संवाददाता, अमृतसर : सांसद गुरजीत सिंह औजला व विधायक डा. राज कुमार वेरका ने बुधवार को 'आमदनी न हुई दोगुनी, दर्द हुआ सो गुना' बुकलेट लांच करते हुए किसानों की व्यथा को बयां किया। उन्होंने कहा कि भाजपा के राज में किसानों को आमदनी कुछ नहीं हुई और उन्हें दर्द कई झेलने पड़े हैं। पहले किसानों को खत्म करने के लिए तीन काले कानून पास कर दिए गए। किसानों ने कानून वापस लेने पर मजबूर कर दिया। उन्होंने कहा कि भाजपा ने जब से केंद्र में सत्ता संभाली थी, तभी से ही उनकी किसान विरोधी नीतियां थी। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय द्वारा ग्रामीण भारत में कृषि परिवारों की स्थिति को लेकर सितंबर 2021 में रिपोर्ट जारी की गई, जिसमें भारत के किसानों की जो दुर्दशा सामने आई है, उसे शब्दों में व्यक्त करना भी कठिन है। इस रिपोर्ट से पता चलता है कि खेती की लागत को कई गुना बढ़ा दिया गया है। भारत के 50.2 प्रतिशत किसान कर्ज में डूबे हुए हैं, जिनका प्रति परिवार औसतन कर्ज 74.121 रुपये है। कई राज्यों में तो यह स्थिति भयावह है। धान और गेहूं को छोड़ कर कोई भी फसल एमएसपी पर छह प्रतिशत से अधिक नहीं खरीदी जाती। इतना ही नहीं खुले बाजार में अच्छे दाम मिलने का दावा करने वाली मोदी सरकार की पोल खुल गई। इस रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि जनवरी 2018 से दिसंबर 2019 के बीच 0 से 0.5 प्रतिशत ही फसलों को समर्थन मूल्य से अधिक कीमत बाजार में मिली है। इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि बाजार मूल्य तो एमएसपी से भी कम था और 57.4 प्रतिशत किसानों को उस बाजार मूल्य से भी कम दाम मिले है।