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आर्थिक तंगी से गुलाम हुई स्वतंत्रता सेनानी गुरदीप सिंह की जिंदगी

देश की आजादी के संघर्ष को चरम सीमा पर पहुंचते-पहुंचते जब अंग्रेज भारत को छोड़ने को मजबूर हो गए तो उन्होंने सभी स्वतंत्रता सेनानियों को जेल से रिहा कर दिया था।

By JagranEdited By: Published: Fri, 14 Aug 2020 07:17 PM (IST)Updated: Fri, 14 Aug 2020 07:17 PM (IST)
आर्थिक तंगी से गुलाम हुई स्वतंत्रता सेनानी गुरदीप सिंह की जिंदगी
आर्थिक तंगी से गुलाम हुई स्वतंत्रता सेनानी गुरदीप सिंह की जिंदगी

हरदीप रंधावा, अमृतसर : देश की आजादी के संघर्ष को चरम सीमा पर पहुंचते-पहुंचते जब अंग्रेज भारत को छोड़ने को मजबूर हो गए, तो उन्होंने सभी स्वतंत्रता सेनानियों को जेल से रिहा कर दिया था। लाहौरी गेट स्थित सराय संत राम में रहने वाले स्वतंत्रता सेनानी गुरदीप सिंह ने बताया कि उन्हें आज भी याद है कि जब देश को स्वतंत्र करवाने के लिए संघर्ष शुरू हुआ था तो जिला अमृतसर की तहसील अजनाला के अंतर्गत पड़ते गांव भिट्टेवड से दो दर्जन के करीब लोग भर्ती हुए थे, उनमें वह भी शामिल थे। संघर्ष के दौरान एक दिन हमें अंग्रेजी सरकार ने लाहौर की जेल में भी बंद कर दिया था। आजादी से पहले देखे सपने नहीं हुए पूरे

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गुरदीप सिंह ने दुखी मन से कहा कि वह परिवार चलाने के लिए खेतों में हल चलाकर गुजारा कर रहे हैं। उन्हें अंग्रेजों की गुलामी से आजादी तो मिल गई, मगर उनकी रोजमर्रा जिदगी आर्थिक तंगी व परेशानियों से गुलाम हो गई है। भले ही गणतंत्र और स्वतंत्रता दिवस पर जिला प्रशासनिक अधिकारियों व राजनेताओं की ओर से उन्हें सम्मानित तो किया जाता है लेकिन उनकी आर्थिक तंगी को दूर करने के लिए प्रशासन या सरकार नें कोई प्रयास नहीं किया, जिसके कारण आजादी से पहले देखे सपने आज तक पूरे नहीं हुए हैं।

मंदलाही से परिवार संग गुजर रहा है वक्त

देश की आजादी के बाद भारत और पाकिस्तान के बंटवारा होने पर अमृतसर के लाहौरी गेट स्थित सराय संत राम में आकर बसने के बाद उन्होंने एक दूध की डेरी पर काम करना शुरू कर दिया था। आजादी में अहम रोल निभाने में पेंशन के साथ-साथ सिर्फ सम्मान चिन्ह ही मिले हैं। आज तक सरकार ने रहने को कोई मकान भी नहीं दिया है, जिसकी वजह से आज भी जिंदगी के आखिर पड़ाव में परिवार के साथ आर्थिक मंदहाली में गुजारा करना पड़ रहा है।


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