सामूहिक आत्महत्या से दो माह पहले एसएसपी को बदलने के लिए डीजीपी ने लिखा था पत्र
साल 2004 में चौक मोनी में परिवार के पांच सदस्यों की तरफ से आत्महत्या के मामले में आज सोमवार को डीजीपी (इंटर्नल विजिलेंस सेल) जस¨मदर ¨सह ने अपनी गवाही दी। सामूहिक आत्महत्या प्रकरण से लगभग दो महीने पहले 12 अगस्त 2004 को तत्कालीन डीजीपी एए सद्दीकी की तरफ से पंजाब सरकार के ¨प्रसिपल सचिव एसके सिन्हा को लिखे गए पत्र में तत्कालीन एसएसपी कुलतार ¨सह द्वारा किए जा रहे भ्रष्टाचार के कारोबार का ब्यौरा दिया गया था।
जागरण संवाददाता, अमृतसर : साल 2004 में चौक मोनी में परिवार के पांच सदस्यों की तरफ से आत्महत्या के मामले में आज सोमवार को डीजीपी (इंटर्नल विजिलेंस सेल) जस¨मदर ¨सह ने अपनी गवाही दी। सामूहिक आत्महत्या प्रकरण से लगभग दो महीने पहले 12 अगस्त 2004 को तत्कालीन डीजीपी एए सद्दीकी की तरफ से पंजाब सरकार के ¨प्रसिपल सचिव एसके सिन्हा को लिखे गए पत्र में तत्कालीन एसएसपी कुलतार ¨सह द्वारा किए जा रहे भ्रष्टाचार के कारोबार का ब्यौरा दिया गया था। डीओ लेटर में तत्कालीन एसएसपी कुलतार ¨सह का तबादला तुरंत करने की सिफारिश की गई थी। यह भी लिखा गया था कि अगर विभाग उसे नहीं बदलता तो यह सरकार के लिए बड़ी परेशानी बन सकता है। बावजूद उक्त अधिकारी का तबादला नहीं किया गया। हालांकि आज अदालत की तरफ से सैकड़ों दस्तावेज आरोपित कुलतार ¨सह और डीएसपी हरदेव ¨सह को मुहैया करवा दिए गए हैं। जिसके बाद यह खुलासा हुआ है। फिलहाल अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश संदीप ¨सह बाजवा की अदालत ने केस की अगली सुनवाई 5 फरवरी सुनिश्चित की है। डीओ लेटर में यह लिखा था डीजीपी ने
12 अगस्त 2004 को तत्कालीन डीजीपी एए सद्दीकी ने पंजाब सरकार के मुख्य सचिव एसके सिन्हा को डीओ लेटर में लिखा था कि एसएसपी कुलतार ¨सह अमृतसर जिले में तैनात हैं। वह ट्रैफिक पुलिस के अधिकारियों से महीना वसूल रहा है। ट्रैफिक पुलिस के अधिकारी शहर के ट्रांसपोर्टरों से वसूली कर रहे हैं। शहर के थाना प्रभारी और चौकियों के प्रभारी भी आपराधिक तत्वों से पैसे वसूल कर एसएसपी को दे रहे हैं। बड़े मामलों में जांच के नाम पर रसूखदार लोगों से मोटे पैसों की वसूली एक एसपी के मार्फत की जा रही है। एक पेट्रोल पंप के मालिक से सात लाख रुपये वसूली की बात भी पत्र में लिखी गई है। इसके अलावा रामतीर्थ रोड पर किसी झगड़े की जमीन के संबंध में दो नेताओं के मार्फत रिश्वत लेने की बात भी कही गई है। यह है मामला
तत्कालीन आइजी जस¨मदर ¨सह ने सामूहिक आत्महत्या प्रकरण में जांच की थी। उस जांच को लेकर कोर्ट में वह गवाही देने पहुंचे थे। गौर रहे साल 2004 में चौक मोनी निवासी हरदीप ¨सह ने पत्नी रोमी, बेटे इश्मीत, इमरत और मां जसवंत कौर के साथ आत्महत्या कर ली थी। घर की दीवारों पर सुसाइड नोट लिख दिया था। घटना में जिम्मेदार तत्कालीन एएसएपी कुलतार ¨सह को बताया गया था। तत्कालीन कोतवाली थाना प्रभारी हरदेव ¨सह ने तुरंत घटना स्थल पर पहुंच कर दीवारों पर लिखे नोट मिटाने का प्रयास किया। एन मौके पर मीडिया कर्मी वहां पहुंच गए और शोर मच गया। आरोप है कि हरदीप ¨सह से अपने पिता की हत्या हो गई थी। रिश्तेदार पैसों के लिए ब्लैकमेल करने लगे थे। किसी करीबी दोस्त ने हरदीप की मुलाकात एसएसपी कुलतार ¨सह से करवा दी थी। इसके बाद कुलतार ¨सह ने भी पैसों को लेकर हरदीप ¨सह को ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया था। आरोप है कि घटना से कुछ पहले कुलतार ¨सह ने हरदीप ¨सह की पत्नी रोमी को अपने ही कार्यालय में हवस का शिकार भी बनाया था। पूर्व डीआइजी के साथी मीडिया से उलझे
सुनवाई के दौरान मीडिया कर्मियों को डीजीपी जस¨मदर ¨सह के आने की भनक लगी तो वह कवरेज करने के लिए कचहरी परिसर में पहुंच गए। वहां पूर्व डीआइजी कुलतार ¨सह के साथ पहुंचे उनके पुराने साथी मीडिया कर्मियों के साथ उलझ पड़े। उन्हें सबक सिखाने की बात कहने लगे और चेतावनी देकर कचहरी परिसर से बाहर निकल गए।