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एसजीपीसी के पूर्व अध्यक्ष मक्कड़ सहित तीन को सिख ज्यूडिशियल का नोटिस

अमृतसर :दल खालसा के नेता बलदेव ¨सह सिरसा की ओर से दायर केस की सुनवाई करते हुए सिख ज्यूडिशियल कमिशन ने एसजीपीसी के पूर्व अध्यक्ष अवतार ¨सह मक्कड़, एसीपीसी के सदस्य करनैल ¨सह पंजौली और एसजीपीसी के पूर्व सचिव दिलमेघ ¨सह को नोटिस जारी कर दिया है। आदेश दिया है कि तीनों आरोपी 11 अक्टूबर को अदालत में पेश हों।

By JagranEdited By: Published: Sat, 15 Sep 2018 08:21 PM (IST)Updated: Sat, 15 Sep 2018 08:21 PM (IST)
एसजीपीसी के पूर्व अध्यक्ष मक्कड़ सहित तीन को सिख ज्यूडिशियल का नोटिस
एसजीपीसी के पूर्व अध्यक्ष मक्कड़ सहित तीन को सिख ज्यूडिशियल का नोटिस

जागरण संवाददाता, अमृतसर

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दल खालसा के नेता बलदेव ¨सह सिरसा की ओर से दायर केस की सुनवाई करते हुए सिख ज्यूडिशियल कमिशन ने एसजीपीसी के पूर्व अध्यक्ष अवतार ¨सह मक्कड़, एसीपीसी के सदस्य करनैल ¨सह पंजौली और एसजीपीसी के पूर्व सचिव दिलमेघ ¨सह को नोटिस जारी कर दिया है। आदेश दिया है कि तीनों आरोपी 11 अक्टूबर को अदालत में पेश हों। सिरसा ने एसजीपीसी के इन आरोपियों के खिलाफ गुरु की गोलक के करोड़ों रूपये के दुरूपयोग को लेकर सिख ज्यूडिशियल कमिशन में केस दायर किया था।

दायर केस के संबंध में सिरसा ने बताया कि अपने कार्यकाल के दौरान एसजीपीसी के उक्त तीनों अधिकारियों ने गुरु की गोलक पर बड़ा आर्थिक बोझ डालते हुए अपने पदों का दुरूपयोग कर सुप्रीम कोर्ट के वकीलों को टीए , डीए व गाड़ियों के अन्य खर्चों के नाम पर दो करोड़ रूपये से अधिक की राशि गुरु की गोलक में से लूटा दी थी। यह सारी राशि अदालत इन से वसूल कर ब्याज समेत गुरु की गोलक में जमा करवाए।

सिरसा ने बताया कि सहजधारी सिख फेडरेशन की ओर से एसजीपीसी चुनावों में वोट डालने का अधिकार लेने के लिए एसजीपीसी के खिलाफ हाईकोर्ट में रिट पटीशन नंबर 17771—2003 डाजी थी। अदालत ने यह पटीशन मंजूर करके 20 दिसंबर 2011 को सहजधारियों को वोट देने का अधिकार दे दिया था। इस फैसले के बाद एसजीपीसी के अक्टूबर 2011 में चुनाव हुए। जिस की सारी कार्रवाई मुकम्मल हो चुकी थी। परंतु इस फैसले से बाकी की कार्रवाई रूक गई। एसजीपीसी ने हाई कोर्ट की फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करके स्टे ले लिया। जिस के चलते पुरानी प्रबंधक कमेटी को ही रूटीन में काम करने के अधिकार मिल गए। परंतु मक्कड़ और उनके उक्त साथियों ने इस केस की पैरवी को सही ढंग से नही किया और केस को लटकाए रखने के लिए गुरु की गोलक में से करोड़ों के रूपये नजायज लूटाए जाते रहे। इस केस को लम्बा लटकाने के लिए एसजीपीसी के अधिकारी पैसे गलत ढंग से खर्च करते रहे। वही इन व्यक्तियों की ओर से वर्ष 2012 से लेकर 2016 तक करोड़ों रुपये अवैध रूप में खर्च किए। जिस का सारा रिकार्ड उनकी ओर से पेश किया गया है। उन्होंने कहा कि आयोग ने सारे मामले की सुनवाई करते हुए अधिकारियों को नोटिस जारी करते हुए 11 अक्टूबर को पेश होने के आदेश दे दिए है।


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