संगीत से इनको प्यार, प्रतिभा को नहीं लगने दी जंग
मैंने साल-1990 में संगीत के क्षेत्र में कदम रखा था। इसके बाद सफलता के लिए लगभग हर रोज पांच-छह घंटे रियाज का समय होता था।
जागरण संवाददाता, अमृतसर: मैंने साल-1990 में संगीत के क्षेत्र में कदम रखा था। इसके बाद सफलता के लिए लगभग हर रोज पांच-छह घंटे रियाज का समय होता था। कोरोना के कारण 23 मार्च को पंजाब में कर्फ्यू लग गया। 25 मार्च से आधिकारिक रूप से देश में लाकडाउन लग गया। ऐसे में लोग घरों में कैद होकर रह गए। इनमें मैं भी था। इस मौके को मैंने धैर्य के साथ सकारात्मक रूप से इस्तेमाल किया।
यह कहना है शरीफ पुरा के रानी बाजार में रहने वाले गायक, लेखक, संगीतकार, एक्टर और डायरेक्टर हरिदर सोहल का। वह बताते हैं कि कोरोना काल में उनकी दिनचर्या में बदलाव जरूर आया। वह रुटीन की तरह सुबह पांच बजे उठते। मेडिटेशन करने के बाद पहले सुबह छह से आठ बजे तक और फिर दिनभर घर से ही काम निपटाने के बाद शाम चार से सात बजे तक रियाज करते थे। लाकडाउन व कर्फ्यू में काफी लोगों के कामकाज ठप हो गए। कई लोग तो वर्क फ्राम होम के तहत अपने घर से ही आफिशियल काम कर रहे थे। अब कार्यक्रम वगैरह सब कुछ बंद हो चुके थे। सोहल ने बताया कि वह स्टेज, शूटिग के सिलसिले में व्यस्त रहते थे। रिकार्डिग भी नहीं हो रही थी। इस कारण उनकी प्रतिभा को जंग न लगे इसलिए इस समय को अपने हुनर को और निखारने में इस्तेमाल किया।
लाकडाउन व कर्फ्यू के बीच उन्होंने घर में ही रहकर कई घंटे तक खूब रियाज की। अपने साथियों को भी इस अवसर का लाभ उठाने के लिए प्रेरित किया। उनका हौसला बढ़ाया। उनमें मायूसी नहीं आने दी। अब जब करीब दस महीने बाद आनलाइन के साथ-साथ आफलाइन कार्यक्रम शुरू हुए तो फिर से कोरोना संक्रमण के अधिक केस रिपोर्ट होने के बाद डर सता रहा है कि कहीं हालात पहले की तरह न हो जाएं। ऐसे में लोगों से अपील है कि वह इस महामारी को हराने में सहयोग करें।