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आíकटेक्ट्स बोले, सिखों के पास वास्तुशिल्प विरासत है, इसे अगली पीढि़यों के लिये संरक्षित करने की जरूरत

सिख वास्तुकला की विरासत को संरक्षित करने की आवश्यकता है ताकि भावी पीढि़यां कार्यक्षेत्र में वास्तुकला में नए आयाम स्थापित कर सकें।

By JagranEdited By: Published: Wed, 15 Sep 2021 02:00 AM (IST)Updated: Wed, 15 Sep 2021 02:00 AM (IST)
आíकटेक्ट्स बोले, सिखों के पास वास्तुशिल्प विरासत है, इसे अगली पीढि़यों के लिये संरक्षित करने की जरूरत
आíकटेक्ट्स बोले, सिखों के पास वास्तुशिल्प विरासत है, इसे अगली पीढि़यों के लिये संरक्षित करने की जरूरत

जासं, अमृतसर: सिख वास्तुकला की विरासत को संरक्षित करने की आवश्यकता है, ताकि भावी पीढि़यां कार्यक्षेत्र में वास्तुकला में नए आयाम स्थापित कर सकें। यह चर्चा मंगलवार को सिख आíकटेक्चर पर पहली बार वर्चुअली आयोजित अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के दूसरे सत्र के दौरान हुई। संगोष्ठी में भारत व पाकिस्तान के एक हजार से भी अधिक आíकटेक्ट ने सिख वास्तुकला पर मंथन किया।

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दरअसल, साकार फाउंडेशन द्वारा आयोजित इस संगोष्ठी को सिख चेंबर आफ कामर्स द्वारा समर्थन प्राप्त है। पवित्र गुरु ग्रंथ साहिब के प्रकाशोत्सव के उपलक्ष्य में यह कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है, जिसमें उत्तर भारत के आठ आíकटेक्ट कालेज से जुड़े वरिष्ठ जनों ने भाग लिया। अमृतसर स्थित गुरु नानक देव यूनिवíसटी के पूर्व प्रोफेसर डा. बलविंदर सिंह ने इस बात पर बल दिया कि सिख वास्तुकला की विरासत को संजोये रखने के लिए हमें कंजरवेशन प्रोफेशनल्स की सेवाएं लेने की जरूरत है।

उत्तर पश्चिम भारत की वास्तुकला पर ऐतिहासिक शोध के लिए प्रसिद्ध डा. सुभाष परिहार ने निष्कर्ष निकाला कि पंजाब की वास्तुकला अभी तक पढ़ाई नहीं जा सकी है। इसी उद्देश्य से उन्होंने फरीदकोट स्टेट को अपनी रिसर्च के माध्यम से लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया है। पाकिस्तान स्थित लाहौर से आíकटेक्ट परवेज वंडल और उनकी पत्नी प्रोफेसर साजिदा वंडल ने महान वास्तुकार भाई राम सिंह के आíकटेक्चरल कार्यो पर चर्चा की। आíकटेक्ट परवेज ने बताया कि भारतीय उपमहाद्वीप का उत्तर पश्चिम क्षेत्र पंजाब कई धर्मो और लोगों की भूमि है लेकिन सभी पंजाबी भाषा और संस्कृति में एक साथ जुड़े हुए हैं। भाई राम सिंह इस क्षेत्र के पहले वास्तुकार हैं। स्कूल आफ प्लानिंग एंड आíकटेक्चर के आíकटेक्चर विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डा. जतिंदर कौर ने कहा कि सिखों के पास अन्य धर्मो की तरह महान वास्तुशिल्प विरासत है। इसे अगली पीढि़यों के लिए संरक्षित और सही तरीके से संजोये रखने की आवश्यकता है। इस अवसर पर आíकटेक्ट गुनीत खुराना, रमनीक घडियाल, दीपिका शर्मा और डा हरवीन भंडारी ने भी विचार व्यक्त किए।


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