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अफगानी सिख भी प्रकाश पर्व में लेंगे भाग

अमृतसर चौथे गुरु श्री गुरु रामदास जी के प्रकाश पर्व कार्यक्रमों में इस बार काबुली व खोसती संगत भी बड़ी संख्या में शामिल होगी।

By JagranEdited By: Published: Wed, 19 Sep 2018 09:54 PM (IST)Updated: Wed, 19 Sep 2018 09:54 PM (IST)
अफगानी सिख भी प्रकाश पर्व में लेंगे भाग
अफगानी सिख भी प्रकाश पर्व में लेंगे भाग

जागरण संवाददाता, अमृतसर

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चौथे गुरु श्री गुरु रामदास जी के प्रकाश पर्व कार्यक्रमों में इस बार काबुली व खोसती संगत भी बड़ी संख्या में शामिल होगी। यह जानकारी एसजीपीसी के मुख्य सचिव डा. रूप सिह ने बुधवार को दी। उन्होंने बताया कि श्री गुरु राम दास जी के प्रकाश पर्व के संबंध में श्री हरिमंदिर साहिब में आयोजित किए जाने वाले कार्यक्रम में शामिल करने के लिए विदेशी सिख संगत से भी संपर्क किया जा रहा है। इसी के तहत वह गत दिवस दिल्ली गए और वहां पर वह अफगानिस्तान से आए सिखों के एक जत्थे के सदस्यों से मिले और उनकों श्री गुरु रामदास जी के प्रकाश पर्व पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में शामिल होने के लिए अपील की है। उन्होंने बताया कि अफगानी सिखों का 200 सदस्यों वाला एक जत्था इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए पहुंचेगा। यह जत्था अपने रिवायती पहरावे सलवार कमीज पहने हुए कार्यक्रमों में हिस्सा लेगा। यह जत्था 24 अक्टूबर को रात्रि के समय होने वाले कार्यक्रमों , 24 अक्टूबर के नगर कीर्तन व राग दरबार, और 26 अक्टूबर को गुरुपर्व वाले दिन श्री हरिमंदिर साहिब में हाने वाले कार्यक्रमों में हिस्सा लेगा।

डा. रूप सिह ने बताया कि अफगानी सिखों ने आश्वासन दिया है कि वह इस पवित्र दिवस पर हर हाल में कार्यक्रमों में शामिल होंगे। दिल्ली में अफगानी सिखों के साथ हुई बैठक में मनोहर सिहं चेयरमैन खालसा दीवान सोसाइटी, हीरा ¨सह, ज्ञानी बलवंत ¨सह , जसपाल ¨सह, संतोख ¨सह , हंसराज ¨सह , भगवान ¨सह , बीबी परमजीत कौर ¨पकी, सतनाम सिह सलूजा व रमनदीप कौर आदि भी मौजूद थे। डा. रूप ¨सह ने बताया कि इस वक्त दिल्ली में ही 35 हजार सिख रह रहे हैं। जिस में काबुली और खेसती दोनों तरह के सिख हैं। 1922 में अकाली कौर ¨सह की ओर से खालसा दीवान सोसाइटी बनाई गई थी। जिस का कार्यालय हालात खराब होने के कारण 1992 में दिल्ली में तबदील कर दिया गया। सोसाइटी इस वक्त दिल्ली में 630 बच्चों को पढा रही है। उन्होंने बताया कि अफगानिस्तान में इस वक्त कुल 75 में से 5 गुरुद्वारे ही रह गए हैं।


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