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सुखबीर को गद्दार कहने वाले दीप सिद्धू का शिअद के जिलाध्यक्ष ने किया स्वागत

दो मामलों में जमानत मिलने के बाद अभिनेता दीप सिद्धू अपने परिवारिक सदस्यों के साथ श्री हरिमंदिर साहिब में वाहेगुरु के सामने माथा टेकने पहुंचे

By JagranEdited By: Published: Fri, 30 Apr 2021 08:07 PM (IST)Updated: Fri, 30 Apr 2021 08:45 PM (IST)
सुखबीर को गद्दार कहने वाले दीप सिद्धू का शिअद के जिलाध्यक्ष ने किया स्वागत
सुखबीर को गद्दार कहने वाले दीप सिद्धू का शिअद के जिलाध्यक्ष ने किया स्वागत

जासं, अमृतसर : दो अलग-अलग मामलों में जमानत मिलने के बाद अभिनेता दीप सिद्धू अपने परिवारिक सदस्यों के साथ श्री हरिमंदिर साहिब में वाहेगुरु के सामने माथा टेकने पहुंचे। इस दौरान उनके साथ अकाली दल बादल के जिला अध्यक्ष गुरप्रताप सिंह टिक्का और सिख यूथ पावर आफ पंजाब के नेता परमजीत सिंह अकाली भी मौजूद थे।

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दीप सिद्धू वही व्यक्ति हैं उन्होंने शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल और उनकी पत्नी व पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल को गद्दार कहा था, लेकिन आज (शुक्रवार को) शिअद के ही जिला अध्यक्ष गुरप्रताप सिंह टिक्का ने न केवल सिद्धू का स्वागत किया, बल्कि उसे श्री हरिमंदिर साहिब में माथा टिकवाया और अपने घर लेजाकर कृपाण व सिरोपा देकर सम्मानित भी किया, जिसको लेकर अकाली दल के अंदर खासी चर्चा चल रही है।

दीप सिद्धू ने कहा कि वह जमानत मिलने के बाद वाहेगुरु का शुकराना करने आए हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद नहीं थी कि उनको जमानत मिलेगी। आज उसने किसान मोर्चे की जीत के लिए भी अरदास की है। सिद्धू ने कहा कि अदालत ने भी उसके उपर डाले गए झूठे केसों के लिए पुलिस को फटकार लगाई है। जबकि उसने किसी भी तरह किसानों को उग्र होने के लिए नहीं उकसाया था। सिद्धू ने कहा कि उसपर हमले की साजिश की गई थी इसलिए उसे मोटरसाइकल से वहां के लोगों ने भागने को कहा था, परंतु इसकी वीडियो को मीडिया ने गलत ढंग से पेश किया था।

लक्खा सिधाना के सवाल पर चुप्पी साध गए दीप सिद्धू

एक सवाल के जवाब में सिद्धू ने कहा कि पंजाब के भविष्य की रक्षा के लिए एक क्षेत्रीय पार्टी की जरूरत है। जो पंजाब के मसलों और युवाओं व किसानों मजदूरों के दर्द को समझ सके। लक्खा सिधाना उसका साथ क्यों छोड़ दिया। इस सवाल पर सिद्धू चुप्पी साध गए। इस दौरान दीप सिद्धू ने कहा कि वह दोबारा संघर्ष के मैदान में उतरेंगे और कृषि सुधार कानून रद होने तक किसान आंदोलन का हिस्सा बने रहेंगे।


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