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किसी एकेडमी से कम नहीं रिटायर्ड सूबेदार मेजर सरवन सिंह, हजारों युवाओं को सेना में भर्ती की दे चुके ट्रेनिंग

सेना के सूबेदार मेजर पद से रिटायर्ड हुए सरवन सिंह (69) किसी सैनिक एकेडमी से कम नहीं है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 22 Jan 2022 09:00 AM (IST)Updated: Sat, 22 Jan 2022 09:00 AM (IST)
किसी एकेडमी से कम नहीं रिटायर्ड सूबेदार मेजर सरवन सिंह, हजारों युवाओं को सेना में भर्ती की दे चुके ट्रेनिंग
किसी एकेडमी से कम नहीं रिटायर्ड सूबेदार मेजर सरवन सिंह, हजारों युवाओं को सेना में भर्ती की दे चुके ट्रेनिंग

नवीन राजपूत, अमृतसर: सेना के सूबेदार मेजर पद से रिटायर्ड हुए सरवन सिंह (69) किसी सैनिक एकेडमी से कम नहीं है। अपने दो भाइयों रिटायर्ड कर्नल गुरमुख सिंह, हवलदार महिदर सिंह के साथ मिलकर वह पिछले 45 साल से 20 हजार से ज्यादा युवाओं को सेना में भर्ती होने के लिए प्रेरित कर चुके हैं। यही नहीं वे तीनों भाई देश की सीमा की रखवाली करने वालों के इच्छुक नौजवनों को निश्शुल्क गाइड भी कर रहे हैं। उन्हें सेना में भर्ती के लिए कोचिग और परीक्षा के संबंध में जानकारी मुहैया करवा रहे हैं।

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गुरु अमरदास एवेन्यू की गली नंबर-चार में रहने वाले सरवन सिंह ने बताया कि उनके पिता दरबारा सिंह सेना में लांस नायक पद पर रहे थे। मां बलबीर कौर और पिता ने बचपन से ही चार भाइयों गुरमुख सिंह, महिदर सिंह, सरवन सिंह (खुद) और जोगिदर सिंह के दिल में देश प्रेम कूट-कूट कर भर दिया था। मां रात को सोते समय वीर-योद्धाओं की कहानियां सुनाती थी। इसी कारण तीन भाई सेना में भर्ती हुए। उन्होंने कारगिल की लड़ाई में पाकिस्तान के छक्के छुड़ाए। यही नहीं गुरमुख और महिदर 1971 की लड़ाई में दुश्मन को लोहे के चने चबाने पर मजबूर कर चुके हैं। जंग का वह मंजर आज भी उनकी आंखों के सामने जीवंत हो उठता है। अब बेटा हरप्रीत सिंह चीन बार्डर पर ड्रैगन से सीमा की रखवाली में जुटा है। भारत सरकार की तरफ से बेटे को साल 2018 में बेहतर सेवा के लिए सेना मेडल से सम्मानित भी किया जा चुका है। मां ने किया हरप्रीत को प्रेरित

सरनव सिंह ने बताया कि उनके घर और परिवार में देशभक्ति का माहौल है। पिता और तीन भाई सेना में रहते हुए देश की सेवा कर चुके हैं। उनकी पत्नी सुखविदर कौर ने बेटे हरप्रीत सिंह को बचपन से ही देश की सेवा के लिए प्रेरित करना शुरू कर दिया था ताकि वह भी सेना में भर्ती होकर देश, पंजाब और परिवार का नाम रोशन करे। जिदा रहेगा देश प्रेम

सरवन ने बताया कि सेना में 25 साल की नौकरी तो उन्होंने की लेकिन साल 2002 में रिटायर्ड होने के बाद उन्होंने एक मिशन की तरह देश के युवाओं को सेना में भर्ती के लिए प्रेरित करना शुरू कर दिया था। वह हजारों नौजवानों के मन में देशभक्ति जगाकर उन्हें सैन्य भर्ती के लिए भेज रहे हैं। मां को सरकार से बतौर जागीर मिली थी पेंशन

बकौल सरवन सिंह, जिस घर के तीन से ज्यादा सदस्यों को सेना में रहते हुए देश सेवा का मौका मिले तो सरकार की तरफ से उस मां को जागीर देकर नवाजा जाता है। सरकार के पास जमीन नहीं होने के कारण उनकी मां बलबीर कौर को जागीर के बदले पेंशन देकर नवाजा गया था। यह उनके परिवार के लिए आज भी फº की बात है।


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