ऐसे काम करें जो जीवन में प्रेरणास्त्रोत हों : कपूर
परमेश्वर की स्थिति परम चेतना स्वरूप है।
संवाद सहयोगी, अमृतसर : परमेश्वर की स्थिति परम चेतना स्वरूप है। इस स्वरूप को जो भी व्यक्ति समझ सकता है, वह प्रभु धाम की प्राप्ति का लेता है। उक्त बात समाज सेवक अशोक कपूर ने की। उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत गीता में हमें ऐसी बातों का ज्ञान मिलता है जोकि प्रभु मार्ग की ओर लेकर जाती हैं। प्रभु के रहस्य को समझने के लिए जीव के भीतर ऐसी शक्ति होनी चाहिए, जोकि उनको प्रभु के बताए हुए मार्ग पर ले जा सके। प्रभु तब तक अपने भक्तों को दर्शन नहीं देते। जब तक मनुष्य के भीतर लालसा होती है। मनुष्य के भीतर सिर्फ प्रभु को पाने की लालसा होनी चाहिए। प्रभु उसके भीतर समा जाता है, जो निस्वार्थ भक्ति करते हैं। हमें ऐसे कर्म करने चाहिए, जोकि जीवन के लिए प्रेरणा स्त्रोत हो। श्रीमद्भागवत गीता भी एक ऐसा ग्रंथ है, जो हमें जीवन के रहस्यों को बताता है।