दो करोड़ से अफसरों के लिए बनाया रेस्ट हाउस पर वर्षा जल सहेजने के लिए नहीं किया प्रबंध
भूजल स्तर गिरना चिंता का विषय है। गुरुनगरी डार्क जोन में आ चुकी है। इसके बावजूद सरकारी विभाग जल के दुरुपयोग या वर्षा जल को सहेजने के लिए गंभीर नहीं हैं।
हरदीप रंधावा, अमृतसर
भूजल स्तर गिरना चिंता का विषय है। गुरुनगरी डार्क जोन में आ चुकी है। इसके बावजूद सरकारी विभाग जल के दुरुपयोग या वर्षा जल को सहेजने के लिए गंभीर नहीं हैं। सरकारी के मुकाबले प्राइवेट इमारतों में बारिश के पानी को सहेजने के लिए लोग रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम (आरडब्ल्यूएचएस) को इंस्टाल करवाते हैं, क्योंकि वे जानते हैं कि उनके इस प्रयास से गिर रहे भूजल स्तर में कुछ सुधार जरूर किया जा सकता है।
दूसरा कई लोग बारिश के पानी को स्टोर करके बागबानी आदि के लिए इस्तेमाल करते हैं। मगर पावरकाम का हाल देखिए। पावरकाम मैनेजमेंट ने विभागीय अधिकारियों के आराम फरमाने व उनके ठहरने की व्यवस्था के लिए साल 2018 में बटाला रोड पर एक रेस्ट हाउस बनवाया। उसमें नौ कमरे, एक कान्फ्रेंस रूम और एक डायनिग हाल तैयार करवाया। इस पर करीब दो करोड़ की लागत आई। मगर चिंता की बात यह है कि इस रेस्ट हाउस में आरडब्ल्यूएचएस नहीं लगवाया गया। ऐसे में पिछले करीब तीन साल से वहां पर हजारों लीटर बारिश का पानी बर्बाद हो चुका है। यदि विभाग ने धरती के गर्भ में वर्षा जल पहुंचाने के लिए यह सिस्टम लगवाया होता तो भूजल स्तर में कुछ सुधार हो सकता था। भले ही सरकार ने पानी की बचत करने के मकसद से पांच छह साल पहले ही आरडब्ल्यूएचएस को गंभीरता लिया है, मगर पावरकाम की इस इमारत को तो वर्ष 2018 में तैयार करवाया गया। तब इसमें यह वर्षा जल धरती के गर्भ में पहुंचाने के लिए प्रबंध किया जाना चाहिए था।
यह समझ से परे है कि इस रेस्ट हाउस के निर्माण के समय नक्शा तैयार करते समय ही क्यों आरडब्ल्यूएचएस नहीं लगवाया गया। यहां तक कि पावरकाम मैनेजमेंट ने इस तरफ ध्यान क्यों नहीं दिया। हालांकि पानी की कीमत पावरकाम मैनेजमेंट से बेहतर कोई नहीं समझ सकता है, क्योंकि पानी से ही बिजली पैदा होती है, जोकि लोगों के घरों के साथ साथ बिजली घरों और मैनेजमेंट के कार्यालयों में रोशनी करती है। इस्तेमाल होना चाहिए बारिश का पानी
मिशन जिदगी के अध्यक्ष पंकज शोरी का कहना है कि पानी प्रकृति की अमूल्य देन है। इसकी हम सब को कदर करनी चाहिए। एक समय था जब धरती मे कुछ ही फीट की गहराई पर पानी मिल जाता था जबकि इस समय भूजल स्तर गिरने से सैकड़ों फीट गहरा बोर करना पड़ता है। इसके बाद जाकर पीने का पानी मिलता है। पावरकाम के रेस्ट हाउस में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम (आरडब्ल्यूएचएस) का होना बहुत जरूरी था। इसके तहत बारिश के पानी को स्टोर करके बागवनी आदि के लिए इस्तेमाल किया जा सकता था। सरकार को खास तौर पर सरकारी विभागों की सभी इमारतों में आरडब्ल्यूएचएस को जरूर इंस्टाल करवाना चाहिए। इनका ऐसा हाल: फोन करने पर अधिकारी हो गए मौन
पावरकाम के एक्सईएन सिविल इंजीनियर गुरइकबाल सिंह का कहना है कि साल 2018 में बटाला रोड पर बनाए गए रेस्ट हाउस की सिर्फ मेंटेनेंस ही उनके पास है। जबकि रेस्ट हाउस पायलट वर्कशाप सरना ने बना कर उन्हें हेड ओवर किया था। रेस्ट हाउस की इमारत के विषय में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम की इंस्टालेशन संबंधी या कुछ नहीं कह सकते हैं। हालांकि जब पायलट वर्कशॉप सरना के एक्सईएन परमिदर सिंह संधू से संपर्क किया तो उन्होंने एसडीओ केवल कृष्ण का मोबाइल नंबर दिया। मगर एसडीओ केवल कृष्ण ने बार-बार फोन करने पर जवाब नहीं दिया।