पांच एमएम बारिश से ठंड से मिली राहत, गेहूं और सब्जियों के लिए लाभदायक
ठंड से लगातार कराह रहे शहरवासियों को रविवार को कुछ राहत मिली। बारिश के बाद गुरुनगरी के तापमान में कुछ वृद्धि दर्ज की गई है।
जागरण संवाददाता, अमृतसर : ठंड से लगातार कराह रहे शहरवासियों को रविवार को कुछ राहत मिली। बारिश के बाद गुरुनगरी के तापमान में कुछ वृद्धि दर्ज की गई है। शहर का न्यूनतम तापमान 11 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया, जबकि बीते शनिवार को यह 2.6 डिग्री सेल्सियस था। 20 नवंबर, 2020 के बाद यह पहली बार है जब तापमान बढ़ा हो, अन्यथा पिछले 23 दिनों से जिले का तापमान 5 डिग्री से कम ही रिकार्ड किया गया। दरअसल, रविवार को पांच मिलीमीटर बरसात के बाद तापमान में गिरावट पाई गई। दोपहर बारह बजे धूप निकली, पर एक घंटे बाद बादल छा गए। रविवार को कंपा देने वाली सर्दी नहीं थी। 6 जनवरी तक गुरु नगरी का तापमान 5 डिग्री से कम ही रहेगा।
वहीं कृषि विकास अधिकारी डा. मस्तेंद्र सिंह ने कहा कि दिसंबर व जनवरी में होने वाली बारिश राज्य की मुख्य फसल गेहूं के लिए अधिक लाभदायक होती है। अब तक जितनी बारिश हुई है वह गेहूं और सब्जियों दोनों के लिए फायदेमंद है। जिले में 1.88 लाख हेक्टेयर भूमि पर गेहूं की खेती की जाती है। सर्दी की बारिश के कारण कोहरा और धुंध कम हो जाती है जो फसलों के लिए लाभदायक है। जिले में इस वक्त गोभी, मटर, आलू, टमाटम, मूली, गाजर, पालक, सरसों का साग, फलियां, बाथू, मेथी, शलगम आदि सब्जियां उपलब्ध है। अगर बारिश 22 एमएम से अधिक होती है तो पत्तेदार सब्जियों को नुकसान होता है। वही खेतों में पानी खड़ा होने से किसानों को सब्जियां खेतों से तोड़ने में मुश्किल होती है। परंतु मौसम विभाग के अनुसार रविवार को शाम तक 5 मिलीमीटर बारिश हुई। इस कारण यह बारिश सब्जियों को कोहरे और धुंध के नकारात्मक प्रभाव से भी बचाने के लिए सहायक है। गेहूं की फसल के लिए प्राकृतिक खाद का काम करती है बारिश
डा. मस्तेंद्र सिंह ने कहा कि रविवार को हुई बारिश सब्जियों को ठंड की सीधी मार और सर्दी के मौसम के कीटों से भी बचाने में सहायक है। अगर आने वाले दिनों में बहुत अधिक बारिश होती है तो इससे गेहूं की फसल के बजाय कुछ पत्तेदार सब्जियों को नुकसान पहुंच सकता है। उन्होंने बताया कि जनवरी की हल्की बारिश गेहूं की फसल के लिए प्राकृतिक खाद का काम करती है। इससे गेहूं की भरपूर पैदावार होती है और गेहूं की बल्लियां भी पौधे के उपर अधिक लगती है। वहीं बारिश होने के कारण पौधे को लगने वाली बल्लियों पर दानों का साइज भी बड़ा होता है।