बॉर्डर पर नहीं मना सकेंगी रक्षाबंधन तो जवानों को राखियां भेजीं
कोरोना ने मानवीय जीवन में उथल-पुथल मचा दी है। हर काम पर व्यावधान खड़ा किया पर बहनों के भावनात्मक प्रेम के सम्मुख कोरोना भी घुटने टेकने को मजबूर है।
जागरण संवाददाता, अमृतसर : कोरोना ने मानवीय जीवन में उथल-पुथल मचा दी है। हर काम पर व्यावधान खड़ा किया, पर बहनों के भावनात्मक प्रेम के सम्मुख कोरोना भी घुटने टेकने को मजबूर है। वर्ष 1968 से अटारी सीमा व बीएसएफ हेडक्वार्टर खासा में रक्षाबंधन के दिन पहुंचकर जवानों की कलाई पर रक्षासूत्र बांधने वाली पूर्व स्वास्थ्य मंत्री प्रो. लक्ष्मीकांता चावला ने रविवार को राखियां व मिठाइयां पैक कर इन जवानों के लिए भिजवाई। बेशक कोरोना की वजह से अटारी सीमा व बीएसएफ खासा में सामूहिक कार्यक्रम नहीं होगा, पर अमृतसर की बहनों द्वारा भेजी गई राखियां ये जवान अपनी कलाई पर जरूर सजाएंगे।
प्रो. चावला ने कहा कि यह बेहद भावुक करने वाला पल है। पिछले पचास वर्षों में कभी ऐसा नहीं हुआ कि हम अटारी सीमा व खासा हेडक्वॉर्टर न गई हों। कोरोना की वजह से हम सैनिक भाइयों की कलाई पर प्रत्यक्ष रूप से राखी बांधने नहीं जा सकेंगी, पर खुशी इस बात की है कि हमारी शुभकामनाएं और रक्षासूत्र उन तक पहुंचा दिया गया है। इसमें शक्ति महिला संगठन के कार्यकर्ताओं ने सहयोग दिया।
प्रो. चावला ने सभी बहनों से अपील की कि वे जहां भी रहती हैं, उनके निकट रहने वाले सुरक्षा कर्मियों को रक्षाबंधन जरूर भेजें।
इस अवसर पर अनिल पाठक, नवतेज सिंह, माला चावला, निशान सिंह, नरेंद्र कुमार, विनोद कुमार, गौरव कुमार, सतनाम सिंह उपस्थित थे।