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पूर्व मंत्री ने नर्सिग होम की कार्यप्रणाली पर उठाए सवाल

। पूर्व मंत्री प्रो. लक्ष्मीकांता चावला ने मेडिकल कौंसिल आफ इंडिया (एमसीआइ) की अध्यक्ष डॉ. जयश्री बेन मेहता को पत्र लिख कर देश में चल रहे बड़े-बड़े नर्सिंग होम की कार्यप्रणाली को कटघरे में खड़ा किया है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 24 Jun 2020 05:14 PM (IST)Updated: Wed, 24 Jun 2020 05:14 PM (IST)
पूर्व मंत्री ने नर्सिग होम की 
कार्यप्रणाली पर उठाए सवाल
पूर्व मंत्री ने नर्सिग होम की कार्यप्रणाली पर उठाए सवाल

जागरण संवाददाता, अमृतसर

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पूर्व मंत्री प्रो. लक्ष्मीकांता चावला ने मेडिकल कौंसिल आफ इंडिया (एमसीआइ) की अध्यक्ष डॉ. जयश्री बेन मेहता को पत्र लिख कर देश में चल रहे बड़े-बड़े नर्सिंग होम की कार्यप्रणाली को कटघरे में खड़ा किया है।

उन्होंने अपने पत्र में कहा कि वे एक जानकारी चाहती हैं कि देश में जो बड़े-बड़े नर्सिंग होम चल रहे हैं वहां के डॉक्टर मरीजों के साथ क्या व्यवहार करते हैं और जहां मरीजों को आइसीयू में रखने के नाम पर मोटे नोट लेते हैं, क्या वहां आइसीयू जैसा कुछ है या नहीं। मरीजों को आइसीयू में रखने के नाम पर उनकी क्या दुर्गति होती है, यह देखना किसका काम है? क्या आइसीयू में एक चारपाई के साथ दूसरी चारपाई, चीखते मरीजों की आवाजें, दूसरों को निराशा और मौत के निकट ले जाने वाला वातावरण पैदा नहीं करती। एक रोगी आइसीयू में जिदगी की आशा में जाता है, जब उसके साथ लगे बेड के सामने दिन में चार-छह मौतें हो जाएं, चीख पुकार मची रहे तो क्या वहां रोगी स्वस्थ हो सकता है? कृपया यह बताइए कि इनके लिए आवश्यक दिशा निर्देश कौन तय करता है और कौन यह निरीक्षण करता है कि कौन सा अस्पताल आइसीयू निश्चित मानकों के अनुसार चला रहा है या नहीं। मजबूरी में लोग जाते हैं, कुछ लुटते तो हैं ही कुछ भाग्यशाली स्वस्थ होकर आ जाते हैं। शेष का क्या बनता है यह देखना आपका काम है। कृपया ध्यान दें यह पूरे देश की समस्या है पंजाब की तो है ही। क्या कभी यह सुना है कि 15-20 आइसीयू के मरीजों के लिए केवल एक नर्स और एक डॉक्टर ही सारी रात काम करे। आखिर किसके भरोसे यह रोगी छोड़े जाते हैं। गंभीर समस्या है। शीघ्र उत्तर भी दें और विचार भी करें। आइसीयू के लिए जो आवश्यक नियम 24 मई 2012 को एम्स द्वारा बनाई गई कमेटी द्वारा तैयार किए गए थे और अध्यक्ष एमके अरोड़ा डिपार्टमेंट ऑफ एनस्थोलॉजी ने अध्यक्षता की थी, क्या वह लागू हुए? जिस कमेटी ने आइसीयू के नियम तय किए क्या वह कभी देखने के लिए आई कि मरीजों की आइसीयू में हालत कितनी अच्छी है या बुरी है? अलग-अलग रेट हर अस्पताल उसी सेवा के लिए क्यों ले रहा है।


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