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पत्र का जवाब देने में पीपीसीबी ने लगा दिया एक साल का समय

अमृतसर-जालंधर राजमार्ग तथा अमृतसर शहर से अटारी तक सड़कों को चौड़ा करने व विकास के नाम पर सैकड़ों पेड़ काट दिए गए।

By JagranEdited By: Published: Mon, 11 Jan 2021 11:28 PM (IST)Updated: Mon, 11 Jan 2021 11:28 PM (IST)
पत्र का जवाब देने में पीपीसीबी ने लगा दिया एक साल का समय
पत्र का जवाब देने में पीपीसीबी ने लगा दिया एक साल का समय

जागरण संवाददाता, अमृतसर : अमृतसर-जालंधर राजमार्ग तथा अमृतसर शहर से अटारी तक सड़कों को चौड़ा करने व विकास के नाम पर सैकड़ों पेड़ काट दिए गए। जब पूर्व कैबिनेट मंत्री व भाजपा नेता प्रो लक्ष्मीकांता चावला ने इसकी जानकारी लेनी चाही तो उन्हें किस विभाग से यह जानकारी मिलनी है, इसका जवाब देने में ही एक साल से अधिक का समय लगा दिया गया।

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अब प्रो. चावला ने सरकारी कार्यप्रणाली पर सवाल खडे़ करते हुए कहा कि किसी पत्र का सही व समय पर जवाब देना भी अधिकारी अपनी जिम्मेदारी नहीं समझते। यही कारण है कि लोग न्याय का इंतजार करते रहते हैं।

प्रो. चावला ने कहा कि अकाली दल की सरकार के कार्यकाल में विकास के नाम पर कई पेड़ काट दिए गए। इसकी शिकायत उन्होंने राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल के अध्यक्ष को की। शिकायत में कहा कि उनको बताया जाए कि यह वृक्ष किसके आदेश पर काटे गए है। शिकायत ट्रिब्यूनल से सरकते-सरकते एक वर्ष से अधिक समय के बाद पंजाब में पहुंची। 19 दिसंबर 2020 को पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीपीसीबी) की ओर से यह जवाब दिया गया कि वृक्ष कटने के बारे में जानकारी पंजाब का वन विभाग देगा।

प्रो. चावला ने कहा कि सरकारी काम में अफसरों की कितनी कुशलता है, इसकी मुंह बोलती उदाहरण यह है कि जो शिकायत सरकार को अगस्त 2019 में भेजी गई, उसका अमृतसर कार्यालय से ही उत्तर मिलने में एक वर्ष पांच महीने से ज्यादा समय लग गया। अगर प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने यही कहना था कि वृक्षों की कटाई के संबंध में कोई भी शिकायत वन विभाग से करें, वहीं जानकारी देगा तो यह पत्र भेजने में लगभग डेढ़ वर्ष का समय क्यों लगा दिया? वन अधिकारी बोले, प्रो. चावला का पत्र विभाग को नहीं मिला

जिला वन अधिकारी सुरजीत सिंह सहोता कहते है कि कोई भी वृक्ष काटने की प्रक्रिया काफी लम्बी है। इसके लिए विभाग के जोनल अधिकारियों और केंद्र सरकार से स्वीकृति लिए बिना कोई भी वृक्ष काटा नहीं जा सकता। प्रो. लक्ष्मी कांता चावला अगर उनसे सीधे ही फोन पर इस संबंध में पूछ लेती तो वह सारी जानकारी उपलब्ध करवा देते। उनका किसी भी तरह का पत्र वन विभाग के जिला कार्यालय को अभी तक नहीं मिला है।


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