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सेहत सेवाओं की 'तबीयत' बिगड़ी

दो प्रमुख अस्पतालों में चिकित्सा उपकरण खराब हैं। स्वास्थ्य विभाग की ओर से संचालित सिविल अस्पताल में अल्ट्रासाउंड मशीन बंद है तो गुरुनानक देव अस्पताल में सीटी स्कैन नहीं हो रहा।

By JagranEdited By: Published: Wed, 10 Feb 2021 06:17 PM (IST)Updated: Thu, 11 Feb 2021 08:59 AM (IST)
सेहत सेवाओं की 'तबीयत' बिगड़ी
सेहत सेवाओं की 'तबीयत' बिगड़ी

नितिन धीमान, अमृतसर : जिले में स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल हो चली हैं। दो प्रमुख अस्पतालों में चिकित्सा उपकरण खराब हैं। स्वास्थ्य विभाग की ओर से संचालित सिविल अस्पताल में अल्ट्रासाउंड मशीन बंद है तो गुरुनानक देव अस्पताल में सीटी स्कैन नहीं हो रहा। इसका दुष्परिणाम मरीजों की परेशानी के रूप में सामने आ रहा है।

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दरअसल, सिविल अस्पताल में रेडियोलाजिस्ट नहीं है। छह माह पूर्व यहां महिला रेडियोलाजिस्ट कार्यरत थी, पर पदोन्नति मिलने के बाद उसे मेडिकल कालेज में स्थानांतरित कर दिया गया। इसके बाद से रेडियोलाजिस्ट की नियुक्ति नहीं हुई, परिणामस्वरूप अल्ट्रासाउंड टेस्ट बंद हो गए। अल्ट्रासाउंड टेस्ट बेहद महत्वपूर्ण है। विशेषकर गर्भवती महिलाओं को तो नौ माह में तीन से चार बार यह टेस्ट करवाना ही पड़ता है। यह स्वास्थ्य विभाग की गाइडलाइन है, पर विभाग स्वत: ही इस गाइडलाइन का अनुपालन करवाने में असमर्थ सिद्ध हो रहा है। छह महीने से पद रिक्त है और विभाग सिर्फ कोरोना पाजिटिव मरीजों का आंकड़ा जुटाने और कोविशील्ड का अधूरा टीकाकरण करने तक ही सीमित है। यहां उल्लेख करना जरूरी है कि सिविल अस्पताल में गर्भवती महिलाओं के लिए अल्ट्रासाउंड सुविधा मुफ्त है। अब गर्भवतियों को यह टेस्ट निजी डायग्नोस्टिक सेंटर से करवाना पड़ रहा है।

हम प्रयास कर रहे हैं कि जल्द से जल्द रेडियोलाजिस्ट लगाया जाए। पूर्व में प्रतिनियुक्ति पर रेडियोलाजिस्ट लगाया गया था। ऐसी व्यवस्था हो जाए तो टेस्ट शुरू हो जाएंगे। इसके लिए विभाग से बातचीत की है।

-डा. चंद्रमोहन, एसएमओ सिविल अस्पताल

जीएनडीएच में सीटी स्कैन खराब चिकित्सा और शिक्षा प्रभावित

मेडिकल शिक्षा एवं खोज विभाग द्वारा संचालित गुरुनानक देव अस्पताल में चिकित्सा व शिक्षा दोनों प्रभावित हो रही हैं। पंजाब के इस प्रमुख चिकित्सा संस्थान में सीटी स्कैन मशीन काम नहीं कर रही। स्वास्थ्य सेवाओं के सबसे महत्वपूर्ण रेडियोलाजी विभाग में पड़ी यह मशीन पिछले कई दिनों से खराब है। मशीन खराब होने से जहां मरीजों को परेशानी आ रही है, वहीं एमबीबीएस छात्रों की शिक्षा पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। एमबीबीएस की शिक्षा में रेडियोलाजी का पाठ भी पढ़ाया जाता है। सीटी स्कैन बंद होने से यह क्रम भी थम गया है।

सीटी स्कैन मशीन का एक पुर्जा खराब है। इसे सीआरएएस कहा जाता है। भारत में यह पुर्जा उपलब्ध नहीं, इसलिए मेडिकल शिक्षा एवं खोज विभाग इसे सिगापुर से आयात करने जा रहा है। पुर्जा आने में महीनों का वक्त लग सकता है। इससे पूर्व अस्पताल की तकनीकी टीम ने अपने स्तर पर मशीन को ठीक करने का प्रयास किया था। मशीन आन तो हो गई, पर एक दो टेस्ट करने के बाद पुन: बंद हो गई। यहां सीटी स्कैन टेस्ट करवाने पर मरीजों से 1600 रुपये सरकारी शुल्क लिया जाता है, जबकि निजी डायग्नोस्टिक सेंटरों में यह चार हजार रुपये तक है।

इससे पूर्व इसी विभाग में इंस्टाल एमआरआइ मशीन भी खराब हुई थी। 5 नवंबर, 2020 को एमआरआइ मशीन से लोहे का आक्सीजन सिलेंडर टकराया था। इसके कारण मशीन क्षतिग्रस्त हो गई और इसे ठीक करवाने में पंद्रह लाख रुपये खर्च हुए थे। असल में आक्सीजन का सिलेंडर अस्पताल का दर्जा चार कर्मचारी स्ट्रेचर पर लाया था। स्ट्रेचर पर मरीज भी था, जिसका एमआरआइ टेस्ट करवाना था। चुंबकीय शक्ति से लैस एमआरआइ मशीन ने सिलेंडर को अपनी ओर खींच लिया था। मशीन आन करने के प्रयास किए जा रहे हैं। खराब पुर्जा बदलने के लिए सिगापुर से आर्डर किया गया है। जल्द ही मशीन आन होगी।

-डा. जेपी अत्री, मेडिकल सुपरिटेंडेंट।


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