भगतावाला अनाज मंडी में धान की सरकारी खरीद धीमी
उत्तर भारत की बड़ी अनाज मंडी भगतावाला में एक अक्टूबर से धान की सरकारी खरीद शुरू करने का एलान किया गया था।
पंकज शर्मा , अमृतसर
उत्तर भारत की बड़ी अनाज मंडी भगतावाला में एक अक्टूबर से धान की सरकारी खरीद शुरू करने का एलान किया गया था। 14 दिन बीत जाने के बावजूद भी धान की सरकारी खरीद की गति अति धीमी चल रही है। सरकारी खरीद एजेंसियों के अधिकारी मंडी में एक अक्टूबर से ही पहुंचे हुए हैं, परंतु धान में नमी निर्धारित मात्रा से अधिक होने के कारण सरकारी एजेसियों ने अब तक पांच हजार क्विंटल की धान की खरीद की है, जबकि इसके विपरीत प्राइवेट एजेंसियों द्वारा निर्धारित मूल्य से पाच रुपये प्रति क्विंटल कम कीमत पर धान की खरीद की जा रही है। मंडियों में सबसे बड़ा विवाद यह बना हुआ है कि किसानों द्वारा अपने खातों और पैन कार्ड के रिकार्ड आढ़तियों को उपलब्ध नहीं करवाए जा रहे हैं, जिसके चलते सरकारी एजेंसियों को भी धान की खरीद में मुश्किल झेलनी पड़ रही है। यह डाटा उपलब्ध न होने से भी किसानों को धान की सरकारी खरीद में रुकावट आ रही है।
15 लाख क्विंटल से अधिक धान मंडी में पहुंचा
भगतावाला अनाज मंडी में धान की बासमती 1509 किस्म ही पहुंच रही है। अब तक 15 लाख 45 हजार क्विंटल धान भगतावाला अनाज मंडी में पहुंच चुका है, जिसमें अधिकतम खरीद प्राइवेट एजेंसियों द्वारा की गई है। निजी एजेसिया क्वालिटी के हिसाब से इस बासमती की खरीद 2400 रुपये से लेकर 2700 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से खरीद रही है। सरकार द्वारा धान की परमल किस्म का रेट 1840 रुपये तय किया गया है। परंतु निजी एजेंसिया धान में नमी निर्धारित नमी से अधिक होने के कारण 1750 रुपये से लेकर 1830 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से खरीद रही है। हर रोज डेढ़ से दो लाख के करीब धान की बोरिया मंडी में पहुंच रही हैं। भगतावाला मंडी में पनसप, पनग्रेन व मार्कफेड सरकारी एजेंसियों द्वारा खरीद की जा रही है। इन एजेंसियों के खरीद अधिकारी मंडियों में पहुंचे हुए हैं। सरकार द्वारा खरीद के लिए धान की नमी 17 प्रतिशत तय की है, पर किसान जो धान लेकर मंडिया में पहुंच रहे हैं उसकी नमी 20 से लेकर 25 प्रतिशत तक पाई जा रही है। किसान मंडी में अपने धान को सुखाने के लिए एक या दो दिन लगा भी देते हैं। इसके चलते कम रेट पर किसानों का धान निजी एजेंसियों द्वारा खरीदा जा रहा है।
खरीद बेच का मैनुअल रिकार्ड ही हो रहा तैयार
पिछले चार दिन से मंडियों में सरकारी एजेंसियों द्वारा जितनी भी धान की खरीद की गई है वह ऑनलाइन न होकर सिर्फ मैनुअल ढंग से ही की जा रही है। प्राइवेट एजेंसियों को अभी सरकार ने पोर्टल के माध्यम से खरीद करने के लिए बाध्य नहीं किया है। प्राइवेट एजेंसिया किसानों के धान की खरीद बेच का रिकार्ड मैनुअल ही तैयार कर रही है।
चैक से किसानों को रही है धान की पेमेंट
सरकारी एजेंसियों और प्राइवेट कंपनियों द्वारा जो भी धान की खरीद भगतावाला मंडी में की जा रही है उस खरीद की पेमेंट चेक के माध्यम से की जा रही है। सभी एजेंसियों द्वारा किसान के नाम पर या फिर किसान के हलफिया ब्यान पर आढती के नाम पर चैक काटकर दिए जा रहे है। चेक के जरिये होने वाली पेमेंट एक सप्ताह के भीतर हो जाती है।
किसान नहीं दे रहे अपना बैंक रिकार्ड : छीना
आढ़ती एसोसिएशन के अध्यक्ष अमनदीप सिंह छीना ने कहा कि केंद्र सरकार आढ़तियों के उपर दबाव बना रही है कि किसानों के बैंक खाते पीएफएमएस पोर्टल पर अपलोड किए जाएं। जिन किसानों ने अपना अनाज बेचा है, वहीं खरीदने वाले और बेचने वालों का ब्यौरा और रेट भी अपलोड किया जाए। अगर ऐसा नहीं होता तो आढतियों को मिलने वाला कमीशन नहीं मिलेगा। सरकार असल में आढ़तियों की बिचौलगी खत्म करके किसानों के साथ सीधा संपर्क बनाना चाहती है। अगर ऐसा होता है तो आढ़तियों और किसानों का पुराना रिश्ता खत्म हो जाएगा। वहीं किसान भी अपना सारा ब्यौरा व पहचान आदि सरकार को देने को तैयार नहीं है, जो सरकारी खरीद की धीमी गति का कारण बना है। सरकारी एजेसियों के अधिकारियों का कहना है कि जब तक किसानों के बैंक खातों रिकार्ड अउपलोड नहीं होगा तब तक सरकारी एजेंसियों भी खरीद नहीं कर सकती, परंतु स्थिति को मुख्य रख सरकारी एजेंसिया खरीदी बेच का रिकार्ड भी मैनुअल ढंग से ही दर्ज कर रहीं है।
सरकार सख्ती से लागू करे योजना : किसान अरमन
भगतावाला मंडी में अनाज बेचने के लिए गाव सोहिया से पहुंचे किसान अरमन गिल कहते हैं कि मंडी में धान बेचने में तो कोई मुश्किल नहीं आ रही है। नमी अधिक होने के कारण कुछ किसानों को रेट निर्धारित से कम मिल रहा है। सरकार ने जो योजना किसान के खातों में सीधे फसल के पैसे जमा करवाने की शुरू की है। वह बढिया योजना है। इसलिए इस को सख्ती से लागू किया जाना चाहिए।
किसान हितों वाली योजनाएं सख्ती से लागू हों : सुच्चा सिंह
ऑल इंडिया किसान सभा के वरिष्ठ नेता सुच्चा सिह अजनाला ने कहा कि सरकार की ओर से किसानों की बेची गई फसल के पैसे सीधे किसानों के खातों में जमा करवाने की जो योजना शुरू की है, वह एक बढि़या कदम है। इससे किसानों की होती आर्थिक लूट खत्म हो जाएगी। परंतु आढ़ती एसोसिएशन इतनी अधिक शक्तिशाली व सत्ताधारियों पर प्रभाव रखती है कि किसानों के हितों वाली नीतियों को लागू ही नहीं होने देती। बहुत सारे सत्ता के साथ जुड़े नेताओं के पैसे अवैध मनी लैंडरिग के तहम मोटे ब्याज पर आढ़तियों के माध्यम से इनवेस्ट होते हैं इसलिए सत्ता के साथ जुड़े नेता भी आढ़ती एसोसिएशनों के प्रभाव में रहते हैं। किसान चाहते हैं कि किसानों के हितों वाली योजनाएं सख्ती से लागू की जानी चाहिए।