उद्योगपतियों की पांच करोड़ की सब्सिडी रिलीज करने के दिए आदेश
बार्डर जिले में इंडस्ट्री लगाने के लिए पंजाब सरकार की 2003 में शुरू हुई स्कीम के तहत बनती सब्सिडी के करीब पांच करोड़ रुपये की राशि को पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने रिलीज करने के आदेश जार कर दिए है।
जागरण संवाददाता, अमृतसर : बार्डर जिले में इंडस्ट्री लगाने के लिए पंजाब सरकार की 2003 में शुरू हुई स्कीम के तहत बनती सब्सिडी के करीब पांच करोड़ रुपये की राशि को पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने रिलीज करने के आदेश जार कर दिए है। सरकार की ओर यह सब्सिडी पिछले करीब 16 साल से रोक रखी थी। हालांकि इन आदेशों को जारी हुए भी कई दिन हो चुके हैं। पंजाब प्रदेश व्यापार मंडल के प्रधान प्यारे लाल सेठ ने बताया कि 2002 में कैप्टन अमरिदर सिंह की सरकार बनने पर मंडल की ओर से उनके समक्ष प्रस्ताव रखा था। इसके बाद एक अप्रैल, 2003 को बार्डर जिले के लिए पालिसी बनाई थी। इस पालिसी में उद्योगपतियों को बार्डर जिले में इंडस्ट्री लगाने के लिए 30 प्रतिशत सब्सिडी देने का एलान किया गया था। इस दौरान सैकड़ों ही उद्योगपतियों ने अपनी इंडस्ट्री बार्डर इलाकों में लगानी शुरू की थी। उन्होंने ने भी माया शाल के नाम से अपना यूनिट लगाया था। मगर बाद में सरकार की ओर से सब्सिडी रिलीज नहीं की गई। करीब 30 उद्योगपतियों की सब्सिडी रूक गई थी। उन सबने हाईकोर्ट में पटीशन दायर की थी। इस पर हाईकोर्ट ने आदेश जारी कर सब्सिडी रिलीज करने को कह दिया है। एनके सिंह के आदेश पर सरकार
को मिलेंगे 18 हजार करोड़ प्यारे लाल सेठ ने बताया कि कोविड-19 के दौरान इंडस्ट्री बुरी तरह से प्रभावित हुई है। वहीं 2017 में बनी नई पालिसी के मुताबिक बार्डर जिले को जोन में बांट दिया है। 15 वीं कमीशन के चेयरमैन एनके सिंह ने पंजाब की इंडस्ट्री की हालत को समझते हुए 18 हजार करोड़ रुपये पंजाब सरकार को ग्रांट देने के आदेश जारी किए हैं। ऐसे में पंजाब सरकार को अब इंडस्ट्री की आर्थिक हालत के बारे सोचना चाहिए और 2017 में बनी पालिसी को रद कर पहले की ही तरह सब्सिडी पर इंडस्ट्री लगाने की पालिसी बनानी चाहिए। व्यापारियों का बीमा बढ़ाकर
किया जाए दस लाख
लघु उद्योग भारती के प्रधान अमित कपूर ने कहा कि उनकी लंबे समय से मांग चली आ रही है कि उद्योगपतियों के लिए दस लाख रूपये का बीमा किया जाए। क्योंकि उद्योगपति सरकार को टैक्स जमा करवाते है। जबकि पांच लाख रुपये तक का बीमा सरकार ने हर किसी का कर रखा है। इसलिए जरूरी है कि उद्योगपतियों के लिए बीमा लिमिट बढ़ा कर दस लाख की जाए।