डेंगू मच्छर की पहली शिकार बनी डॉक्टर
कोरोना वायरस के बीच अब एडीज़ व एनाफ्लीज मच्छर भी फन उठा चुके हैं।
जागरण संवाददाता, अमृतसर: कोरोना वायरस के बीच अब एडीज़ व एनाफ्लीज मच्छर भी फन उठा चुके हैं। जिले में डेंगू व मलेरिया के दो मरीज रिपोर्ट हुए हैं। डेंगू मच्छर ने तो इस सीजन में पहला डंक ही डॉक्टर को मारा है। श्री गुरु रामदास अस्पताल वल्ला में इंटर्नशिप कर रही लुधियाना की एक महिला डॉक्टर डेगू पॉजिटिव पाई गई है। वह एक सप्ताह पूर्व ही अमृतसर आई थी। बीते सोमवार को संदिग्ध बुखार के चलते उसने सिविल अस्पताल अमृतसर से रेपिड कार्ड टेस्ट करवाया, जिसमें डेंगू पॉजिटिव निकला। वह सोमवार को ही लुधियाना लौट गई थीं। मंगलवार को उसका कंफमेंट्री टेस्ट भी पॉजिटिव निकला है। इसी प्रकार अमृतसर के भगतांवाला क्षेत्र में रहने वाला एक शख्स मलेरिया ग्रसित पाया गया है। उसे उपचार के लिए ईएसआइ अस्पताल में दाखिल करवाया गया है। इसकी पुष्टि सिविल सर्जन डॉ. नवदीप सिंह ने करते हुए बताया कि स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना काल में मलेरिया व डेंगू से निपटने के लिए टीमों का गठन कर दिया है।
कोरोना के कोहराम के बीच अगस्त माह में डेंगू व मलेरिया के केस रिपोर्ट होने से स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया है। डेंगू मलेरिया का सीजन जुलाई माह में शुरू हो जाता है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग का सारा ध्यान कोरोना पर ही केंद्रित है। इसलिए डेंगू और मलेरिया की जांच का क्रम 22 जुलाई को शुरू हो पाया। टेस्टिग की रफ्तार बेहद सुस्त है। मच्छरों के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए नियमानुसार प्रतिदिन 50 से अधिक सैंपलों की जांच होनी चाहिए, पर स्वास्थ्य विभाग अब तक चार लोगों के टेस्ट ही करवा पाया है। इसमें दो निगेटिव हैं, जबकि दो डेंगू व मलेरिया पॉजिटिव निकले हैं। यदि तरीके से टेस्ट किए जाएं तो निश्चित ही डेंगू व मलेरिया पॉजिटिव असंख्य लोग मिलेंगे।
कोरोना की आड़ में डेंगू व मलेरिया नजरअंदाज
निसंदेह कोरोना काल में डॉक्टरों की भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, पर स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारी कोरोना की आड़ में अन्य प्रोग्रामों से किनारा कर रहे हैं। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण यह है कि डेंगू व मलेरिया को लेकर अब तक अवेयरनेस तक शुरू नहीं की गई। जुलाई-अगस्त माह में स्वास्थ्य विभाग की टीमें शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में पहुंचकर मलेरिया की जांच के लिए स्लाइडें तैयार करती थीं। डेंगू की रोकथाम के लिए डेंगू टास्क फोर्स की बैठकें हर पखवाड़े की जाती थीं। जिले के सभी ब्लॉकों के एसएमओ बैठकें कर इन मच्छरों से लोगों को बचाने के लिए प्रभावी योजनाएं तैयार करते थे। दुर्भाग्यवश कोरोना महामारी की आड़ में यह सब बंद है। यहां तक कि स्वास्थ्य विभाग की एंटी लार्वा टीमें भी सुस्त हैं। शहरी आबादी में मच्छर मार दवा का छिड़काव धीमी गति से चल रहा है। यह स्पष्ट संकेत है कि इस बार डेंगू व मलेरिया बुरी तरह प्रहार करेगा।