अपनों ने अपनों की जिदगी बचाने के लिए लगाई किडनी देने की गुहार
। बुधवार को किडनी कमेटी की बैठक गुरु नानक देव अस्पताल में हुई।
जागरण संवाददाता, अमृतसर
बेशक आज रिश्तों की परिभाषा बदल चुकी है। अपने ही अपनों के दुश्मन बन रहे हैं। संपत्ति के लोभ में अपनों का तिरस्कार कर रहे हैं, मगर अमृतसर में किडनी ट्रांसप्लांट ऑथोराइजेशन कमेटी के समक्ष रिश्तों की नई परिभाषा गढ़ी जाती है। बुधवार को किडनी कमेटी की बैठक गुरु नानक देव अस्पताल में हुई। इस दौरान किडनी फैल्योर का शिकार लोगों को उनके अपनों ने किडनी देने के लिए अपनी जान दांव पर लगाने की बात कही।
किडनी कमेटी के समक्ष प्रस्तुत हुई 33 वर्षीय कंवलजीत कौर की दोनों किडनियां जवाब दे चुकी हैं। डायलिसिस करवाकर अपनी सांसें सहेजती रहीं, लेकिन अब डॉक्टरों ने किडनी ट्रांसप्लांट की सलाह दी। कंवलजीत कौर को किडनी देने के लिए उसका पति जगदीश लाल निवासी धर्मकोट बग्गा तहसील बटाला गुरदासपुर ने कमेटी के समक्ष पेशकश रखी।
इसी तरह उदय वीर सिंह निवासी नरोट जैमल सिंह पठानकोट को उसके पिता शिवदेव सिंह ने, 56 वर्षीय राजिदर सिंह को उनकी पत्नी नीलम निवासी गांव चक्क मधु पठानकोट ने, 51 वर्षीय चरणजीत सिंह को उसके छोटा भाई रमनजीत सिंह निवासी गांव कुड्डूवाल जालंधर ने, 24 वर्षीय जसप्रीत सिंह को उसके पिता ओंकार सिंह निवासी गांव जगपालपुरा कपूरथला ने किडनी देने की पेशकश रखी। कमेटी ने सभी मरीजों एवं किडनी दाता के दस्तावेज की गहन जांच करने के बाद इन्हें किडनी ट्रांसप्लांट की स्वीकृति प्रदान कर दी।
इधर, किडनी रोग का शिकार सतनाम सिंह निवासी गांव तूत कलां तहसील नकोदर जालंधर एवं उनका परिवार कमेटी के सम्मुख पेश नहीं हुआ। लिहाजा कमेटी ने इस केस को पेंडिग रख लिया।
किडनी कमेटी के चेयरमैन एवं गुरु नानक देव अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. जगदेव सिंह कुलार ने कहा कि किडनी ट्रांसप्लांट के मामलों में दस्तावेजों की जांच के बाद ही अनुमति प्रदान की जाती है। ट्रांसप्लांट ऑफ ह्यूमन ऑर्गन एक्ट 1994 की नियमावली को आधार बनाया जाता है। इस अवसर पर सहायक सिविल सर्जन डॉ. रमेश कुमार, एसीपी क्राइम पलविदर सिंह भी उपस्थित थे।