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अमृतसर हादसे का दर्द: न जिंदा होने का प्रमाण मिला अौर न मौत के निशां

अमृतसर में दशहरा के दिन हुए रेल हादसे में 62 परिवारों के चिराग बुझ गए। हादसे के करीब 19 दिन बाद भी कुछ लोगों का पता नहीं चला है। न तो उनके जिंदा होेने के सबूत हैं और न मौत के।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Wed, 07 Nov 2018 11:27 AM (IST)Updated: Thu, 08 Nov 2018 05:45 PM (IST)
अमृतसर हादसे का दर्द: न जिंदा होने का प्रमाण मिला अौर न मौत के निशां
अमृतसर हादसे का दर्द: न जिंदा होने का प्रमाण मिला अौर न मौत के निशां

अमृतसर, [नितिन धीमान]। अमृतसर हादसे के इतने दिन बाद भी इसका दर्द कायम है। दशहरे के दिन जौड़ा रेल फाटक के नजदीक हुए हादसे ने कई घरों के चिराग बुझा दिए। अपने-अपने घरों से लोग खुशी-खुशी निकले थे, लेकिन कई लोग लाशों में बदल गए। रेलवे ट्रैक पर जिंदगियां खामोश हो गईं। कई लोगों के बारे में अब तक नहीं पता चला कि वे जिंदा हैं या हादसे का शिकार हो गए। इन लापता लाेगों के न तो शव मिले अौर न ही उनके जिंदा होने के सुबूत मिल रहे हैं।

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इस दर्दनाक घटना के बाद जिला प्रशासन की ओर से मृतकों की सूची जारी की गई, लेकिन बक्कर मंडी क्षेत्र में रहने वाली मुन्नी को उसका बीस वर्षीय बेटा राजू आज तक नहीं मिला। न उसके जिंदा होने का कोई प्रमाण मिल पाया है और न ही अनहोनी की खबर। उनके परिजन आज भी तलाश में भटक रहे हैं।

दोस्त लौट आए पर राजू नहीं, बेबस मां दर-दर भटक रही है

बक्कर मंडी निवासी 20 वर्षीय राजू भी गया था जौड़ा रेल फाटक के नजदीक दशहरा देखने, आज तक पता नहीं

पचास वर्षीय मुन्नी का इकलौता सहारा राजू कहां है, इस विषय में किसी को कुछ मालूम नहीं। मुन्नी बताती है कि राजू 19 अक्टूबर को अपने तीन दोस्तों के साथ जौड़ा फाटक गया था। हादसे के बाद उसके तीनों दोस्त लौट आए, पर राजू घर नहीं पहुंचा। उसी दिन मैंने उसके दोस्तों से इस बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि रेल हादसे के बाद एकदम भगदड़ मच गई थी। हम सभी बिखर गए। फिर वहां से निकल आए। राजू कहां गया, हमें मालूम नहीं।

अमृतसर के रेल हादसे के बाद से गायब राजू की मां मुन्‍नी।

बेटे को तलाश रही मुन्नी की आंखों से आंसू भी सूख चुके हैं। हादसे के करीब 19 दिन बीत गए हैं। अमृतसर के एक निजी अस्पताल में पहुंची मुन्नी का ब्लड प्रेशर असामान्य है। कभी ब्‍लडप्रेश २५० तक चला जाता है तो कभी एकदम 80 से नीचे पहुंच जाता है। कई बार वह सुध-बुध खो देती है।

पूछने पर बताती है कि पति की मौत के बाद बेटा ही एकमात्र सहारा था। वह मेहनत करके मेरा व अपना पेट भर रहा था। जौड़ा फाटक हादसे के बाद उसकी कोई खोज-खबर नहीं मिल रही। जहां-जहां उसे ढूंढ सकती थी, ढूंढा पर पता नहीं वह कहां है, किस हाल में है।

दरअसल जौड़ा फाटक रेल हादसे के बाद अमृतसर में ऐसे कई परिवार सामने आए जो अपनों के गुम होने का दावा कर रहे हैं। इस हादसे के बाद अर्शदीप सिंह नामक 13 वर्षीय बच्चा भी गायब हुआ था। परिवार वाले उसे मृत समझकर बिलखते रहे, लेकिन वह दिल्ली से बरामद हुआ। अर्षदीप छोटी सी बात पर घर से नाराज होकर गया था।

इसी तरह, मुन्नी के मामले में अभी यह कह पाना कठिन है कि उसका बेटा रेल हादसे का शिकार बना या फिर कहीं और है। बहरहाल, यह महिला बीमार होने की वजह से पुलिस या जिला प्रशासन के पास जाने की स्थिति में नहीं है। उसने प्रशासन से गुहार लगाई है कि वह उसके बेटे को ढूंढने में उसकी मदद करे।


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