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जत्था हिम्मत-ए-खालसा व दमदमी टकसाल के कार्यकर्ताओं ने की किसानों की रिहाई की मांग

जत्था हिम्मत-ए-खालसा व दमदमी टकसाल के कार्यकर्ताओं की ओर से 26 जनवरी की घटनाओं में युवाओं की रिहाई के लिए स्कूटर मोटरसाइकल रोष मार्च का आयोजित किया गया।

By JagranEdited By: Published: Mon, 01 Mar 2021 12:00 PM (IST)Updated: Mon, 01 Mar 2021 12:00 PM (IST)
जत्था हिम्मत-ए-खालसा व दमदमी टकसाल के कार्यकर्ताओं 
ने की किसानों की रिहाई की मांग
जत्था हिम्मत-ए-खालसा व दमदमी टकसाल के कार्यकर्ताओं ने की किसानों की रिहाई की मांग

जागरण संवाददाता, अमृतसर : जत्था हिम्मत-ए-खालसा व दमदमी टकसाल के कार्यकर्ताओं की ओर से 26 जनवरी की घटनाओं में युवाओं की रिहाई के लिए स्कूटर मोटरसाइकल रोष मार्च का आयोजित किया गया। प्रदर्शनकारी युवाओं की ओर से हाल गेट के बाहर धरना देकर केंद्र सरकार की किसान व जनविरोधी नीतियों के खिलाफ नारेबाजी की गई। इसके बाद यह मार्च शहर के अलग अलग बाजारों और इलाकों से गुजरा। प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि दिल्ली में गिरफ्तार किए गए युवाओं को रिहा किया जाए और किसानों पर दर्ज मामलों को रद किया जाए।

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संगठनों के नेताओं पंजाब सिंह , अंग्रेज सिंह और दविदर सिंह ने कहा कि कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहा आंदोलन सिर्फ किसानों का आंदोलन नहीं है यह आंदोलन हर वर्ग का आंदोलन है। अगर राज्य की आर्थिकता की रीढ़ कृषि सेक्टर प्रभावित होता है तो इसका उलटा असर सभी कारोबार पर पड़ेगा। खानपान की व जरूरत की वस्तुओं के रेट बढ़ने से महंगी बढ़ेगी। आम व्यक्ति के लिए रोजी रोटी कमाना भी मुश्किल हो जाएगा। कृषि उत्पादों के रेट भी और अधिक बढ़ जाएंगे। आम लोगों के लिए अधिक से अधिक मुश्किलें पैदा हो जाएंगी। पेट्रोल व डीजल की कीमतें बढ़ने से महंगाई भी बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों की मांगों को स्वीकार करे और किसान नेताओं पर दर्ज मामले रद करे। किसानों पर दर्ज मामले रद करवाने के लिए की रोष रैली

वहीं कृषि आंदोलन के दौरान दिल्ली में हुई 26 जनवरी की घटना के दौरान किसानों व युवाओं पर दर्ज मामले रद करवाने के लिए किसान मजदूर संघर्ष कमेटी की ने रोष रैली निकाली। गांव लोपोके में आयोजित रैली के लिए गिरफ्तार सभी युवाओं व किसानों को रिहा करने की मांग उठाई गई। किसान केंद्र सरकार और कारपोरेट घरानों के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे। किसान नेताओं सरवण सिंह पंधेर और लखविदर सिंह वरियाम ने कहा कि केंद्र की सरकार विश्व व्यापार संगठन के दबाव में कृषि और मंडी सिस्टम को किसानों के हाथों से निकाल कर कारपोरेट घरानों को सौंपने जा रही है। कृषि राज्यों का मसला है परंतु स्टैप फूड के नाम पर देश के संविधान के उलट कृषि कानूनों को राज्यों की सुनवाई किए बिना ही लागू कर दिया गया है। दिल्ली मोर्चे को और अधिक मजबूत बनाने के लिए पांच मार्च को हजारों किसान ट्रैक्टर ट्रालियों के माध्यम से दिल्ली मोर्चे में शामिल होने के लिए पहुंचेंगे।


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