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तांत्रिक के चक्‍कर में खतरे में पड़ी बच्‍ची की जान, इलाज के बजाए झाड़-फूंक कराते रहे

अमृतसर में नौ साल की बच्‍ची बीमार थी। परिजन उसका इलाज कराने की बजाए झाड़-फूंक कराने लगे। बच्‍ची के स्‍कूल के वाइस प्रिंसिपल को इस बारे में पता चला तो उसे अस्‍पताल में भर्ती कराया।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sun, 18 Mar 2018 01:05 PM (IST)Updated: Mon, 19 Mar 2018 02:43 PM (IST)
तांत्रिक के चक्‍कर में खतरे में पड़ी बच्‍ची की जान, इलाज के बजाए झाड़-फूंक कराते रहे
तांत्रिक के चक्‍कर में खतरे में पड़ी बच्‍ची की जान, इलाज के बजाए झाड़-फूंक कराते रहे

अमृतसर, [नितिन धीमाल]। आधुनिक समाज में भी लोग तंत्र-मंत्र और अंधविश्‍वास के चक्‍कर में फंस हुए हैं। ऐस में वे अपनों के जीवन को संकट में डाल देते हैं। यहां भी एक परिवार ने तंत्र-मंत्र के चक्‍कर में पड़ कर अपनी  बच्ची की जिंदगी खतरे में डाल दी। नौ साल की इस बच्‍ची का इलाज कराने की बजाए परिजन तांत्रिक से झाड़-फूंक कराते रहे। इससे, उसकी जान खतरे में पड़ गई और उसके शरीर का खून सूख गया। बच्‍ची के स्‍कूल के वाइस प्रिंसिपल को इस बारे में पता चला तो वह उसे अस्‍पताल लेकर गए। डॉक्‍टर उसकी हालत देख कर सन्‍न रह गए।

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अनमोल नाम की इस बच्‍ची को बुखार रहता था। अज्ञानता व अशिक्षा की वजह से अनमोल के मां-बाप उसको डॉक्‍टरों को दिखाने के बदले एक तांत्रिक से झाड़ फूंक कराने लगे। इस तांत्रिक ने तंत्र-मंत्र के फेर में बच्ची को फंसा दिया। परिजनों के अनुसार, तांत्रिक ने मोर के पंख से बच्‍ची को फांडे (झाड़-फूंक) किए। मंत्र फूंके, दवा के नाम पर भस्म पानी में घोलकर पिलाई। इस बच्ची के साथ एक महीना तक तांत्रिक ने अपनी तथाकथित साधना का इस्तेमाल किया।

मामले का खुलासा तब हुआ, जब अनमोल के लगातर स्कूल न आने पर वाइस प्रिंसिपल उसके घर पहुंचे। यह बच्‍ची झब्बाल रोड स्थित इंदिरा कॉलोनी में रहती है। पिता बिट्टू व राधिका दोनों ही मजदूरी करते हैं। दो माह पूर्व अनमोल की तबीयत बिगड़ गई। बुखार चढ़ा, जो उतरने का नाम नहीं ले रहा था। परिजन उसे इंदिरा कॉलोनी में ही रहने वाले एक तांत्रिक के यहां ले गए। तांत्रिक ने बताया कि अनमोल पर किसी का साया है। इसे मिटाने के लिए झाड़-फूंक करना पड़ेगा।

अशिक्षित परिजन तांत्रिक के झांसे में आ गए। धीरे-धीरे बच्ची कमजोर होने लगी और सूख कर कांटा हो गई। अनमोल दो महीने से स्कूल नहीं आ रही थी, इसलिए स्कूल के वाइस प्रिसिपल अमन खन्ना उसकी खैर-खबर लेने उसके घर पहुंचे। यहां आकर अनमोल के साथ हो रहे खेल के बारे में उनको जानकारी मिली।

इसके बाद अमन खन्ना ने बच्‍ची को तत्काल अमृतसर के सिविल अस्पताल में दाखिल करवाया। यहां चिकित्सकीय जांच के दौरान मालूम हुआ कि उसके शरीर में खून में महज दो ग्राम हीमोग्लोबिन बचा है और प्लेट्लेट्स भी निचले स्तर पर पहुंच गए हैं। डॉक्‍टरों ने बताया कि उसकी जान जोखिम में है।

वाइस प्रिंसिपल ने खून देकर बचाई जान

डॉक्टरों ने तुरंत ब्लड का प्रबंध करने को कहा। अनमोल का ब्लड ग्रुप ओ पॉजिटिव था। वाइस प्रिंसिपल अमन खन्ना का ब्लड ग्रुप भी यही था। उन्होंने तत्काल अनमोल के लिए रक्तदान किया। डॉक्टरों ने अनमोल के माता-पिता को कड़ी फटकार लगाई। डॉक्टरों ने कहा कि यदि अनमोल को लाने में जरा सी और देर हो जाती तो उसे बचाना संभव नहीं था।

तांत्रिकों व बाबाओं के चक्कर में न फंसें लोग : डॉ. संदीप अग्रवाल

सिविल अस्पताल के पीडिएट्रिक डॉ. संदीप अग्रवाल कहते हैं कि बिना डायग्नोस किए बीमारी का पता नहीं चलता। तांत्रिकों और बाबाओं के चक्‍कर में फंसने के बजाए सही से इलाज कराएं। बाबाओं के चक्कर में फंसकर जान भी जा सकती है।


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