पूर्व प्रिंसिपल का आरोप, राजनीतिक हस्तक्षेप में दी गई चढ्डा को क्लीन चिट
चीफ खालसा दीवान के पूर्व अध्यक्ष चरणजीत सिंह चड्ढा को श्री अकाल तख्त साहिब की ओेर से दी गई क्लीन चिट से पीड़ित दीवान के स्कूल की पूर्व प्रिसिपल संतुष्ट नहीं है।
जासं, अमृतसर : चीफ खालसा दीवान के पूर्व अध्यक्ष चरणजीत सिंह चड्ढा को श्री अकाल तख्त साहिब की ओेर से दी गई क्लीन चिट से पीड़ित दीवान के स्कूल की पूर्व प्रिसिपल संतुष्ट नहीं है। वहीं दीवान के सभी मेंबर और मौजूदा नेतृत्व के कई सदस्य भी इस फैसले को लेकर खुश नहीं हैं। दीवान में चर्चा है कि चड्ढा को क्लीन चिट कथित राजनीतिक हस्तक्षेप के चलते दी गई है। वहीं चड्ढा को क्लीन चिट दिए जाने पर पीड़िता की ओर से अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार को लिखा पत्र आने वाले समय में उनके लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है।
पूर्व प्रिसिपल जो चड्ढा से पीड़ित थी और उसके साथ अश्लील हरकतें करने की चड्ढा की वीडियो वायरल हुई थी, उसने अकाल तख्त साहिब के कार्यवाहक जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह को लिखे पत्र में स्पष्ट किया है कि उसका पक्ष सुने बिना ही अकाल तख्त साहिब की ओर से चड्ढा को आरोपमुक्त करना पक्षपात वाला फैसला है जबकि इस मामले में अभी केस अदालत में विचाराधीन है।
उधर चड्ढा के पक्ष वाले दीवान के सदस्यों का कहना है कि चड्ढा पर दो वर्ष के लिए पाबंदियां लगाई गई थीं। यह समय पूरा होने पर चड्ढा ने पत्र लिखा था। इसी कारण उन्हें इन आरोपों से मुक्ति मिली है।
पीड़िता ने पत्र में लिखा है कि उसने अकाल तख्त को अपना पक्ष रखने के लिए कई बार पत्र भेजे। परंतु उसे एक बार भी बुलाया नहीं गया। उसने कहा कि चड्ढा ने आरोपमुक्त होने के लिए अकाल तख्त को गुमराह किया है। यह मामला अभी अदालत में चल रहा है। जज कमल वरिदर की अदालत में चल रहे केस संबंधी 24 फरवरी को चरणजीत चड्ढा के खिलाफ गवाहिीयां करवाने के आदेश दिए गए। इसकी अगली तिथि 13 मई है। पीड़िता ने आगे लिखा है कि चड्ढा को दी गई क्लीन चिट अदालत में चले रहे केस को प्रभावित कर सकती है। लगता है यह आदेश एक सुनियोजित राजनीति करते हुए जारी करवाया गया है। पीड़िता ने अपील की कि जब तक अदालत से कोई फैसला नही हो जाता तब तक अकाल तख्त साहिब के आदेश पर रोक लगाई जाए। वैसे भी जो मामले अदालतों में चल रहे होते हैं, उन पर कभी भी अकाल तख्त साहिब की ओर से फैसले नहीं सुनाए जाते। अदालत के फैसले के बाद ही अकाल तख्त की ओर से मुद्दों पर फैसले सुनाए जाते रहे हैं।