नए व कमजोर खिलाड़ियों के लिए कोविड-19 बना नुक्सान
कोविड-19 ने नए और कमजोर खिलाड़ियों को खासा नुक्सान पहुंचाया है। महामारी में लाक डाउन व कर्फ्यू के चलते बंद स्पोर्ट्स सेंटरों को बंद हुए लगभग आठ महीने हो चुके हैं।
जागरण संवाददाता, अमृतसर
कोविड-19 ने नए और कमजोर खिलाड़ियों को खासा नुक्सान पहुंचाया है। महामारी में लाक डाउन व कर्फ्यू के चलते बंद स्पोर्ट्स सेंटरों को बंद हुए लगभग आठ महीने हो चुके हैं, जिसकी वजह से खिलाड़ी घरों में रहकर ऊब चुके हैं। खिलाड़ियों के कई माता-पिता भी अपने बच्चों को खेल के मैदान में भेजना चाहते हैं, क्योंकि उन्हें भय सता रहा है कि घर में अभ्यास करने से उनकी प्रतिभा निखरकर सामने नहीं आएगी, जोकि मैदान में मुकाबलों के लिए चाहिए।
कुछ खेलों को छोड़कर सरकार शारीरिक दूरी की पालन करने का निर्देश जारी करते हुए स्पोर्ट्स सेंटरों को खोलने में देरी कर रही है। हालांकि कुछ दिन पहले खेल विभाग के डायरेक्टर डीपीएस खरबंदा शीघ्र ही स्पोर्ट्स सेंटरों को खोलने की बात कह चुके हैं। कयास लगाया जा रहा है कि स्पोर्ट्स सेंटर नवंबर में खोले जा सकते हैं।
स्पोर्ट्स सेंटर खोले जाने चाहिएं
कोर्ट रोड स्थित सन स्टार ताइक्वांडो एंड कराटे ट्रेनिग सेंटर के कोच राज कुमार साहू का कहना है कि सरकार का हाई व सेकेंडरी स्कूलों को खोलना सराहनीय है। मगर खेल सेंटरों को भी खोलने की मंजूरी देनी चाहिए, ताकि खिलाड़ियों व कोचों को हो रहे नुक्सान से बचाया जा सके। खेल के मैदान के साथ-साथ खेल सेंटर में बच्चों के आने से उनका अभ्यास जारी रहेगा, जिसकी वजह से जिला व राज्य के साथ-साथ राष्ट्रीय खेल मुकाबलों में शानदार प्रदर्शन कर सकें।
मैदान में अभ्यास होता लाभकारी
ताइक्वांडो और कराटे की ट्रेनिग ले रहे खिलाड़ी सूरज के पिता प्रमोद कुमार का कहना है कि लाक डाउन में भले ही घरों में रहकर बच्चे सुरक्षित रहे हैं, मगर अब देश भर में चल रहे अनलाक के तहत अधिकांश एक्टिविटी शुरू हो चुकी है, जिसमें हाइ व सेकेंडरी स्कूलों का खुलना शामिल है। स्कूलों के खुलने के साथ-साथ खेल सेंटर भी खुलने चाहिए, ताकि बच्चे सेंटरों में आकर कोचों की मदद से अपनी प्रतिभा को निखार सकें। वर्चुअल ढंग से किया अभ्यास लाभकारी नहीं है।