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Punjab Election 2022: खेमकरण हलके को तीन बार मिली पंजाब की कैबिनेट में जगह

हलकाबंदी से पहले इस क्षेत्र को पहले वल्टोहा के नाम से जाना जाता था। 1972 से लेकर 2017 तक यहां पर कुल दस बार विधानसभा के चुनाव हुए। सबसे अधिक बार यहां पर शिअद (छह बार) काबिज रहा। जबकि तीन बार कांग्रेस के हाथ जीत आई।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Mon, 24 Jan 2022 11:59 AM (IST)Updated: Mon, 24 Jan 2022 11:59 AM (IST)
Punjab Election 2022: खेमकरण हलके को तीन बार मिली पंजाब की कैबिनेट में जगह
विरसा सिंह वल्टोहा दो बार सीपीएस रहे हैं।

धर्मबीर सिंह मल्हार, तरनतारन। विधानसभा हलका खेमकरण इन दिनों चर्चा का केंद्र बिंदु बना हुआ है। हलकाबंदी से पहले इस क्षेत्र को पहले वल्टोहा के नाम से जाना जाता था। 1972 से लेकर 2017 तक यहां पर कुल दस बार विधानसभा के चुनाव हुए। सबसे अधिक बार शिअद (छह बार) काबिज रहा जबकि तीन बार कांग्रेस के हाथ जीत आई। एक बार सीपीआइ का भी यहां पर कब्जा रहा। अब बात करें पंजाब सरकार में नुमाईंदगी की तो तीन बार इस क्षेत्र को पंजाब की कैबिनेट में स्थान मिला है। अगर कांग्रेस की बात करें तो दो बार गुरचेत सिंह भुल्लर मंत्री रहे जबकि एक बार शिअद के मेजर सिंह उबोके मंत्री रहे। शिअद के जगीर सिंह बरनाला एक बार राज्य मंत्री रहे जबकि विरसा सिंह वल्टोहा दो बार सीपीएस रहे।

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विधानसभा हलका वल्टोहा में 1972 के चुनाव में सीपीआइ कामरेड अर्जन सिंह ने शिअद के जगीर सिंह बरनाला को 13 हजार, 339 मतों से हराकर विधानसभा में प्रवेश किया था। उस समय ज्ञानी जैल सिंह की अगुआई में कांग्रेस पार्टी की सरकार बनी। वर्ष 1977 में शिअद के जगीर सिंह बरनाला ने आजाद प्रत्याशी कामरेड हजारा सिंह को 8085 मतों से हराकर विधानसभा में पहली बार प्रवेश किया तो प्रकाश सिंह बादल की अगुआई में अकाली दल की सरकार बनी। हालांकि जगीर सिंह वरनाला को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली। 1980 में शिअद के मेजर सिंह उबोके ने कांग्रेस के गुरसेवक सिंह नारली को 3618 मतों से हराया। इसके बाद 1985 में शिअद ने मेजर सिंह उबोके को दूसरी बार मैदान में उतारा। उबोके ने कांग्रेस के गुरसेवक सिंह नारली को दूसरी बार 2027 मतों से हराया। सुरजीत सिंह बरनाला की अगुआई में शिअद की सरकार में मेजर सिंह उबोके को माल मंत्री लिया गया।

1992 में आतंकवाद चर्म सीमा पर था तो शिअद ने चुनावों का बायकाट किया। गुरचेत सिंह भुल्लर ने बसपा के गोपाल सिंह को 16 हजार, 445 मतों से हराकर विधानसभा में पहली बार प्रवेश किया। प्रदेश में बेअंत सिंह की सरकार में भुल्लर ने मंत्री लिया गया। 1997 में जगीर सिंह वरनाला ने शिअद की ओर से चुनाव लड़ते हुए कांग्रेस के गुरचेत सिंह भुल्लर को 1154 मतों से मात दी। इसके बाद प्रकाश सिंह बादल की सरकार में उन्हें राज्य मंत्री के तौर पर नुमाईंदगी मिली। 2002 के चुनाव में कांग्रेस के गुरचेत सिंह भुल्लर ने शिअद के गुरदयाल सिंह अलगो को 4945 मतों से हराया।

कैप्टन अमरिंदर सिंह की अगुआई में सरकार दौरान भुल्लर को दोबारा कैबिनेट मंत्री लिया गया। 2007 चुनाव में शिअद ने भुल्लर के मुकाबले विरसा सिंह वल्टोहा को टिकट दी तो वल्टोहा 11 हजार, 350 मतों से चुनाव जीते। बादल की सरकार में वल्टोहा को चीफ पार्लीमेंटरी सचिव (सीपीएस) लिया गया। 2012 के चुनाव में नई हलकाबंदी के चलते वल्टोहा हलके का नाम खेमकरण रख दिया गया। इस चुनाव में शिअद के वल्टोहा ने कांग्रेस के भुल्लर को 13 हजार, 102 मतों से हराया व बादल की दोबारा बनी सरकार में सीपीएस बने। 2017 के चुनाव में पूर्व मंत्री गुरचेत सिंह भुल्लर के छोटे बेटे सुखपाल सिंह भुल्लर चुनावी रण में उतरे। उन्होंने शिअद के विरसा सिंह वल्टोहा को 19 हजार, 602 मतों से मात दी। राज्य में कैप्टन अमरिंदर सिंह की अगुआई में सरकार तो बनी, परंतु भुल्लर को मंत्री नहीं लिया गया।

इस बार कुल मतदाता : 2 लाख 11 हजार 817

पुरुष मतदाता : 1 लाख 10 हजार 417

महिला मतदाता : 1 लाख 1 हजार 390

थर्ड जेंडर : 10

नए वोटर : 1973 (नए पुरुष वोटर : 1958, नए महिला वोटर : 15)

कुल बूथ : 235

पिछले चुनाव में मतदान प्रतिशत : 78.22 प्रतिशत


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