आसपास रखें सफाई, यहीं हैं तंदुरुस्ती की दवाई
बरसात के मौसम में डेंगू व मलेरिया जैसे खतरनाक मच्छर उत्पन्न होते हैं। साफ पानी में पैदा होने के बाद एडीज इंजिप्टी व मादा एनाफ्लीज मच्छर अब जीवन पर खतरा बनकर मंडरा रहे हैं।
जासं, अमृतसर : बरसात के मौसम में डेंगू व मलेरिया जैसे खतरनाक मच्छर उत्पन्न होते हैं। साफ पानी में पैदा होने के बाद एडीज इंजिप्टी व मादा एनाफ्लीज मच्छर अब जीवन पर खतरा बनकर मंडरा रहे हैं। एडीज मच्छर डेंगू रोग बांटता है, जबकि एनाफ्लीज मलेरिया। आमतौर पर लोग घर में लगे कूलरों, गमलों, पुराने बर्तनों, टायरों आदि से पानी नहीं निकालते जिससे इनमें एक सप्ताह के बाद डेंगू का लारवा पैदा होता है। डेंगू से भारत में प्रतिवर्ष हजारों लोगों की मौत हो जाती है इसलिए जरूरी है कि इस मच्छर को पनपने का मौका न दें। दैनिक जागरण के हैलो जागरण कार्यक्रम में जिला मलेरिया अधिकारी डॉ. मदन मोहन ने डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया, जापानी बुखार सहित कई उन बीमारियों के बचाव, उपचार एवं लक्षणों की जानकारी दी, जो जलजनित हैं। पाठकों ने उनसे फोन पर बात कर अपनी जिज्ञासा शांत की। पेश है कुछ अंश ..
सवाल : सर! मैं शक्ति नगर में रहता हूं। यहां बरसात में मच्छर बढ़ जाते हैं। लोगों को डर सताता है कि कहीं डेंगू का शिकार न बन जाएं। (सुनील खन्ना)
जवाब : सबसे पहले यह जान लें कि इस सीजन में हर बुखार डेंगू नहीं होता। यदि बुखार होता है तो तत्काल डॉक्टर के पास जाएं। किसी भी दवा का सेवन मर्जी से न करें। डेंगू बुखार एक वायरल डिसिस है। सामान्यत: इंसान के रक्त में 1.50 लाख से 4.50 लाख प्लेट्सलेट्स होते हैं। यदि सेल 1.50 लाख से नीचे आएं तो उसे बुखार चढ़ता है। शरीर कांपने लगता है। जुकाम, सिरदर्द व बदन दर्द रहता है। इसे डेंगू तब तक नहीं माना जा सकता जब तक प्लेट्लेट्स 10,000 तक न पहुंच जाए। आप आसपास साफ पानी जमा न होने दें।
सवाल : इलाके में कभी भी डेंगू व मलेरिया फैल सकता है। यहां दवा का छिड़काव करने कोई नहीं आता। निगम कर्मचारियों से कई बार कह चुके हैं। (अमित, रतन सिंह चौक)
जवाब : मच्छर मार दवा का छिड़काव करना निगम का काम है। स्वास्थ्य विभाग उस स्थिति में काम करता है जब किसी क्षेत्र में डेंगू, मलेरिया जैसे केस रिपोर्ट होने लगें। आपके इलाके में मच्छर मार दवा का छिड़काव कल ही करवा दिया जाएगा।
सवाल : बुखार है। दवा खाई थी, पर आराम नहीं मिला। क्या डेंगू है? (सर्बजीत कौर, वेरका)
जवाब : आप तत्काल सरकारी स्वास्थ्य केंद्र में जाकर एनएस1 टेस्ट करवाएं। इससे पुष्टि हो सकेगी कि डेंगू है या नहीं। सरकारी मेडिकल कॉलेज स्थित इंफ्लुएंजा लैब में यह टेस्ट निशुल्क है। अस्पताल में एडमिट होने की आवश्यकता तब पड़ती है जब डेंगू से रक्त में प्लेट्लेट्स 10,000 से कम रह जाएं। डेंगू का इलाज इंजेक्शन अथवा दवा से नहीं होता। चौदह दिन तक डेंगू शरीर में प्रकोप जारी रखता है। इस दौरान यदि ब्लीडिंग होती है, सांस उखड़ती है तो दवाओं व ऑक्सीजन से ट्रीटमेंट दिया जाता है।
सवाल : इस मौसम में बीमार पड़ जाता हूं। पेट में गड़बड़ रहती है। (मानव शर्मा, मजीठा रोड)
जवाब : आमतौर पर ऐसा तब होता है जब रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर पड़ जाती हो। ऐसी स्थिति में वायरस शरीर में प्रविष्ट कर जाते हैं और प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने की वजह से इंसान पर सीधा प्रहार करते हैं। आप आहार को संतुलित रखें। व्यायाम करें।
शहर में सर्वे कर रही हैं विभाग की टीमें
डॉ. मदन मोहन ने कहा कि डेंगू बुखार से पीड़ित लोगों के टेस्ट एवं उपचार सरकारी अस्पतालों में निशुल्क हैं। गुरु नानक देव अस्पताल एवं सिविल अस्पताल में अलग डेंगू वार्ड बने हैं। स्वास्थ्य विभाग की टीमें शहर में लगातार सर्वे कर रही है जहां भी संदिग्ध बुखार से पीड़ित लोगों की जानकारी मिलती है, वहां टीमें भेजकर सर्वे करवाया जाता है। मरीजों को सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में लाकर टेस्ट किए जाते हैं। इस साल अमृतसर में डेंगू का एक भी पॉजिटिव मरीज रिपोर्ट नहीं हुआ है।