जेईई-एडवांस : लड़कों ने फिर जमाई धाक, व्यापारी के बेटे चैतन्य गुप्ता का आल इंडिया 219वां रैंक
संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई-एडवांस) में शहर के लड़कों ने एक बार फिर से धाक जमाई है।
अखिलेश सिंह यादव, अमृतसर: संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई-एडवांस) में शहर के लड़कों ने एक बार फिर से धाक जमाई है। विद्यार्थियों को घरेलू कार्यक्रम त्यागने का फल परीक्षा में अव्वल आने के रूप में मिला है। सुबह आठ बजे से देर शाम तक करीब 12-12 घंटे लगातार पढ़ाई को इन विद्यार्थियों ने अपनी सफलता का मंत्र बताया। हालांकि इन टापर्स का कहना है कि परिणाम अपेक्षा अनुरूप नहीं रहा। उन्होंने सोचा था कि इससे बेहतर परिणाम आएगा, हालांकि वह संतुष्ट है। अब भविष्य में और कड़ी मेहनत करेंगे।
शुक्रवार को घोषित हुए परिणाम में माल रोड स्थित टैगोर कालोनी निवासी शाल व्यापारी के बेटे चैतन्य गुप्ता, वैभव सोबती व मानव गोयल ने स्वर्णिम सफलता का अनुसरण करते हुए जेईई एडवांस में सफलता के झंडे गाड़ दिए। चैतन्य गुप्ता ने आल इंडिया 219वां रैंक हासिल किया है। इसके अलावा वैभत सोबती ने 528वां रैंक तथा मानव गोयल ने 1893वां रैंक हासिल करने में कामयाबी हासिल की है। खास बात यह है कि इन विद्यार्थियों ने जेईई मेन के चारों चरण अटेंप्ट किए थे, जिसमें चैतन्य गुप्ता सर्वाधिक पर्सेटाइल के साथ जिले में प्रथम स्थान पाने में कामयाब रहा था और यही सफलता उसने जेईई एडवांस में भी अर्जित की। उसके अलावा वैभव व मानव कुछेक अंकों के हेरफेर में एक-दूसरे के साथ प्रतिस्पर्धा करते नजर आए थे। चैतन्य आकाश इंस्टीट्यूट के विद्यार्थी हैं और वैभव व मानव फिटजी इंस्टीट्यूट के छात्र हैं। दैनिक जागरण ने इन होनहार विद्यार्थियों से बातचीत की। पेश है प्रमुख अंश : चैतन्य को अखर रहा परिणाम, शीर्ष 50 में चाहते थे स्थान
जेईई एडवांस में 219वां रैंक हासिल करने वाले चैतन्य गुप्ता को परीक्षा परिणाम अखर रहा है। उन्होंने सुबह आठ बजे से देर शाम तक निरंतर पढ़ाई की। माता-पिता ने उसे कभी घर के काम के लिए दबाव नहीं डाला। उन्होंने बताया कि वह शीर्ष 50 में जगह चाहते थे इसीलिए यह परीक्षा दी थी लेकिन इसकी चूक हुई। इस बात का उन्हें मलाल है। अब भविष्य के लिए वह और मेहनत करेंगे। उनका सपना आइआइटी मुंबई में दाखिला लेने का है, लेकिन वहां शीर्ष 50 को ही जगह मिलेगी। उनका सपना रोबोटिक्स इंजीनियर बनना है। वह इसरो के साथ जुड़ना चाहते हैं। उन्हें मशीनों में दिलचस्पी है। उनको क्रिकेट का शौक है। उसने बताया कि पढ़ाई में निरंतरता बनाए रखने के लिए कड़ी मेहनत का कोई विकल्प नहीं है। पिता रिषी गुप्ता शास्त्री मार्केट में शाल व्यापारी हैं। मां शिल्पी गुप्ता गृहिणी है। उनकी एक बहन दीक्षा है। कंप्यूटर इंजीनियर बनेंगे वैभव सोबती
जेईई एडवांस में 528वां रैंक हासिल करने वाले वैभव सोबती ने बताया कि माता-पिता के सहयोग और अपनी कड़ी मेहनत के बलबूते पर वह अच्छा रैंक लाने में कामयाब हुए हैं। तनाव से राहत पाने के लिए अपनी पसंदीदा गेम्स खेलते हैं। पढ़ाई में निरंतरता बनाए रखने के लिए वह हमेशा पढ़ाई में जुटे रहते हैं। वैभव ने बताया कि उनका सपना कंप्यूटर इंजीनियर बन कर अपना करियर संवारने का है। इस क्रम में उन्होंने अपना बेस्ट स्कोर जेईई मेन में भी दिए थे। अपने रैंक को लेकर वह काफी उत्साहित हैं। वैभव को क्रिकेट का शौक है। मां पूजा सोबती ने कहा कि उन्हें अपने बेटे पर नाज है। वैभव ने अपनी कामयाबी का श्रेय कारोबारी पिता मनीष सोबती व मां गृहिणी पूजा के साथ-साथ अपने अध्यापकों को दिया। घरेलू कार्यक्रम त्यागने और मेहनत का फल मिला
श्री राम आश्रम पब्लिक स्कूल के छात्र मानव गोयल ने आल इंडिया 1893वां रैंक हासिल किया है। उन्होंने सोचा था कि 1500 के करीब उनका रैंक आएगा, लेकिन परीक्षा परिणाम इसके अनुरूप नहीं रहा। फिलहाल उन्हें कुछ संतुष्टि है। आगे और कड़ी मेहनत करेंगे। मानव ने बताया कि पढ़ाई के लिए उन्होंने अपने कई घरेलू कार्यक्रम को नजरअंदाज किया।इसी का फल उन्हें अब मिला है। वह कंप्यूटर इंजीनियर के क्षेत्र में करियर बनाएंगे। गणित और फिजिक्स उनके पसंदीदा विषय है। मां शिल्पा गोयल गृहिणी और पिता नीलेश गोयल कपड़े के कारोबारी हैं। दादी मीना गोयल भी साथ रहती हैं। भाई रिशब कंप्यूटर इंजीनियरिग कर रहा है। उन्होंने जेईई एडवांस की परीक्षा के लिए कड़ी मेहनत की और अपनी निरंतरता बनाए रखी। मां शिल्पा अपने होनहार सपूत की सफलता पर खुशी से फूले नहीं समा रही थी।