Move to Jagran APP

सिविल अस्पताल में 11 दिनों से जन औषधि बंद, फार्मासिस्ट अब तक नहीं किया तैनात

देश की पहली जन औषधि जन-जन से दूर हो चुकी है। पिछले 11 दिनों से जन औषधि केंद्र में ताला जड़ा है

By JagranEdited By: Published: Mon, 26 Jul 2021 08:00 AM (IST)Updated: Mon, 26 Jul 2021 08:00 AM (IST)
सिविल अस्पताल में 11 दिनों से जन औषधि बंद, फार्मासिस्ट अब तक नहीं किया तैनात
सिविल अस्पताल में 11 दिनों से जन औषधि बंद, फार्मासिस्ट अब तक नहीं किया तैनात

नितिन धीमान, अमृतसर : देश की पहली जन औषधि जन-जन से दूर हो चुकी है। पिछले 11 दिनों से जन औषधि केंद्र में ताला जड़ा है और अभी इसके खुलने के आसार भी नजर नहीं आ रहे। सिविल अस्पताल स्थित जन औषधि केंद्र के कर्मचारी द्वारा बाथरूम में एलोपैथी दवाएं रखकर बेचने के मामले में बेशक जांच कमेटी ने रिपोर्ट तैयार कर ली है, पर यह सिविल सर्जन तक नहीं पहुंचाई।

loksabha election banner

डाक्टरों की हड़ताल की वजह से सिविल अस्पताल स्थित सरकारी डिस्पेंसरी भी बंद है। वहीं जन औषधि केंद्र न खुलने से अस्पताल में उपचाराधीन मरीजों खासकर गर्भवती महिलाओं के लिए जरूरी दवाओं का स्टाक निजी मेडिकल स्टोर्स से मंगवाना पड़ रहा है। जिला प्रशासन ने जन औषधि केंद्र बंद होने के बाद सिविल अस्पताल प्रशासन को ताकीद की थी कि वह अपने स्तर पर फार्मासिस्ट को जन औषधि केंद्र में नियुक्त करें। यह फार्मासिस्ट दिन के समय जन औषधि केंद्र में मरीजों को दवाएं उपलब्ध करवाए। दूसरी तरफ अस्पताल प्रशासन ने अभी ऐसा कुछ नहीं किया। इसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है।

13 जुलाई को सिविल अस्पताल की दूसरी मंजिल पर स्थित बाथरूम में एक लाख 55 हजार रुपये की एलोपैथी दवाएं मिलीं। ये दवाएं अस्पताल के एसएमओ डा. चंद्रमोहन व आप्थेलेमिक आफिसर राकेश शर्मा ने बरामद की थीं। अस्पताल प्रशासन के अनुसार जन औषधि केंद्र के कंप्यूटर आपरेटर ने यहां दवाएं रखी थीं। वह जन औषधि केंद्र में जेनरिक दवाओं की आड़ में एलोपैथी दवाएं बेच रहा था। इससे पूर्व 11 जुलाई को जिला प्रशासन ने जन औषधि केंद्र को घाटे में जाता देख यहां कार्यरत तीन फार्मासिस्टों सचिन कुमार, बलजीत सिंह व अमनप्रीत को नौकरी से टर्मिनेट कर दिया था। इनमें से सचिन ने ही अस्पताल प्रशासन को सूचना दी थी कि कंप्यूटर आपरेटर मलकीत दवाओं का कारोबार चला रहा है। बेची नहीं 70 हजार की दवाएं, हो गई एक्सपायर

इस मामले की जांच के लिए अस्पताल प्रशासन ने जांच कमेटी का गठन किया था। जांच कमेटी ने रिपोर्ट तैयार की है। इसमें दर्ज है कि जन औषधि केंद्र में 70 हजार रुपये की दवाएं एक्सपायर हो गईं, क्योंकि इन्हें बेचा नहीं गया। ऐसा इसलिए, क्योंकि ब्रांडेड दवाओं की सेल की जाती रही। प्राप्त जानकारी के अनुसार रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि केंद्र में जेनरिक दवाओं का स्टाक बहुत कम मंगवाया जाता था। रोगी कल्याण समिति करेगी जन औषधि का संचालन : सिविल सर्जन

सिविल सर्जन डा. चरणजीत सिंह ने कहा कि जांच रिपोर्ट अभी उन तक नहीं पहुंची है। जन औषधि केंद्र पूर्व में रेड क्रास की निगरानी में संचालित हो रहा था। अब वह इसे रोगी कल्याण समिति के तत्वावधान में चलाने का प्रयास कर रहे हैं। इसके लिए डिप्टी कमिश्नर की स्वीकृति ली जाएगी। डिप्टी कमिश्नर ही रोगी कल्याण समिति के चेयरमैन हैं। उनकी स्वीकृति के बाद रोगी कल्याण समिति की बैठक में प्रस्ताव पारित कर जन औषधि को खोला जाएगा। समिति ही जेनरिक दवाएं खरीदेगी, फार्मासिस्ट व कंप्यूटर आपरेटर की तैनाती करेगी। इसके बाद दवा वितरण की सारी प्रक्रिया पारदर्शी ढंग से शुरू होगी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.