चार माह से बंद जन औषधि केंद्र जल्द खुलेगा, सस्ते मे मिलेंगी जेनरिक दवाएं
स्वास्थ्य विभाग द्वारा संचालित सिविल अस्पताल में जन औषधि केंद्र के खुलने की उम्मीद जग गई है। जिला प्रशासन ने अब इस केंद्र को रोगी कल्याण समिति के हवाले करने का आदेश जारी किया है।
नितिन धीमान, अमृतसर
स्वास्थ्य विभाग द्वारा संचालित सिविल अस्पताल में जन औषधि केंद्र के खुलने की उम्मीद जग गई है। जिला प्रशासन ने अब इस केंद्र को रोगी कल्याण समिति के हवाले करने का आदेश जारी किया है। रोगी कल्याण समिति के सदस्य ही जन औषधि में स्टाफ की नियुक्ति करेंगे। दवाओं की खरीद का जिम्मा भी इन्हीं पर होगा।
दरअसल, इसी वर्ष जुलाई में जन औषधि केंद्र के एक कर्मचारी पर ब्रांडेड दवाएं बेचने के आरोप लगे थे। इस कर्मचारी ने ब्रांडेड दवाइयां अस्पताल की पहली मंजिल पर स्थित बाथरूम में रखी थीं। तब तत्कालीन एसएमओ डा. चंद्रमोहन व इंप्लाइज वेलफेयर एसोसिएशन के चेयरमैन राकेश शर्मा ने दवाएं जब्त की थीं। इन दवाओं की कीमत लाखों में थी। आरोप था कि जन औषधि केंद्र का कर्मचारी ब्रांडेड दवाएं मरीजों को बेच रहा था। नियम अनुसार जन औषधि केंद्र में जेनरिक दवाएं ही बेची जा सकती हैं, पर कर्मचारी द्वारा ब्रांडेड दवाएं बेचकर मोटी कमाई की जा रही थी। वर्ष 2010 में देश का पहला जन औषधि केंद्र सिविल अस्पताल में ही खोला गया था। उस समय जिला प्रशासन ने रेड क्रास सोसायटी को इसके संचालन का दायित्व सौंपा था। दैनिक जागरण ने उठाई थी समस्या
इस जन औषधि केंद्र के बंद होने से मरीजों को बाहर से दवाएं महंगे दाम पर खरीदनी पड़ रही थीं। इसको लेकर दैनिक जागरण की ओर से समय समय पर समस्या को उठाया गया। आखिर अब जिला प्रशासन ने इसे जल्द फिर से शुरू करने के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी है ताकि लोगों को यहां से कम रेट पर दवाएं मिल सके। क्या है रोगी कल्याण समिति
रोगी कल्याण समिति का गठन अस्पताल में बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए किया गया था। इस कमेटी में एसएमओ के अलावा डाक्टर व एक सामाजिक कार्यकर्ता को शामिल किया गया। सरकार द्वारा कमेटी को फंड जारी किया जाता है। इस फंड से अस्पताल का विकास व आर्थिक दृष्टि से कमजोर लोगों को फ्री चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध करवाई जाती हैं। तीन फार्मासिस्ट हो चुके हैं बर्खास्त
रेड क्रास के तत्वावधान में चल रहा जन औषधि केंद्र घाटे में जा रहा था। लिहाजा जिला प्रशासन ने तीन फार्मासिस्टों की जून में ही प्रशासन ने छुट्टी कर दी थी। इसके बाद एक कंप्यूटर आपरेटर ही शेष। निकाले गए तीन कर्मचारियों में से एक ने कंप्यूटर आपरेटर पर आरोप लगाए थे कि वह ब्रांडेड दवाओं का कारोबार चला रहा है। इसके बाद अस्पताल प्रशासन ने ब्रांडेड दवाएं जब्त कर डीसी को जानकारी दी और इस केंद्र को बंद कर दिया गया था। अस्पताल के सीनियर मेडिकल आफिसर डा. राजू चौहान का कहना है कि जल्द ही जन औषधि को रोगी कल्याण समिति के हवाले किया जाएगा। इसके बाद यहां स्टाफ की तैनाती की जाएगी। मरीजों को वाजिब मूल्य पर जेनरिक दवाएं जल्द ही उपलब्ध करवाई जाएंगी। मेडिकल स्टोर से दवाएं मंगवाने वालों पर होगी कार्रवाई : एसएमओ
डा. राजू चौहान ने कहा कि सिविल अस्पताल में आने वाले मरीजों को यदि डाक्टरों ने निजी मेडिकल स्टोर से दवाएं मंगवाईं तो उनके खिलाफ कार्रवाई तय है। सिविल अस्पताल में डिस्पेंसरी कार्यान्वित हैं। वहां सभी जरूरी दवाएं उपलब्ध हैं। इसके अलावा जल्द ही जन औषधि केंद्र भी शुरू हो जाएगा। ऐसे में कोई भी डाक्टर बाहर की दवा नहीं लिखेगा।