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यह सम्मान नहीं बहादुरी का अपमान है, मुझे प्रशासन से मलाल है

। तरनतारन रोड पर दुर्घटना के बाद तड़प रहे एक शख्स को बचाते वक्त अपनी दोनों टांगें गवाने वाली डॉ. अनुपमा को जिला प्रशासन से दर्द मिला है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 29 Jan 2020 12:32 AM (IST)Updated: Wed, 29 Jan 2020 12:32 AM (IST)
यह सम्मान नहीं बहादुरी का  अपमान है, मुझे प्रशासन से मलाल है
यह सम्मान नहीं बहादुरी का अपमान है, मुझे प्रशासन से मलाल है

जागरण संवाददाता, अमृतसर

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तरनतारन रोड पर दुर्घटना के बाद तड़प रहे एक शख्स को बचाते वक्त अपनी दोनों टांगें गवाने वाली डॉ. अनुपमा को जिला प्रशासन से दर्द मिला है। इस बहादुर महिला को जिला प्रशासन ने गणतंत्र दिवस पर सम्मानित करने का निर्णय लिया था। हादसे में दोनों टांगें कटने के बाद डॉ. अनुपमा ने समारोह में आने पर असमर्थता जाहिर की। ऐसे में जिला प्रशासन ने उसके घर पर ही सम्मान भेजा। यह सम्मान एक क्लर्क व ड्राइवर के हाथों भिजवाया गया। इस बात का डॉ. अनुपमा को रंज है। उन्होंने साफ कहा कि प्रशासन ने उन्हें सम्मान नहीं दिया, अपितु उनका अपमान किया है। यह सम्मान प्रशासन को लौटा देंगी।

मंगलवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए दशमेश डेंटल कॉलेज फरीदकोट में बतौर प्रोफेसर कार्यरत डॉ. अनुपमा ने कहा कि जिस तरह प्रशासनिक अधिकारी का ड्राइवर व क्लर्क मेरे घर आकर पति को सर्टिफिकेट पकड़ा गए, उससे तो अच्छा था कि प्रशासन मेरा नाम सम्मान पाने वालों की सूची में शामिल ही न करता। प्रशासन ने ड्राइवर को भेजकर यह सम्मान मंगवा ले।

दरअसल, 10 दिसंबर 2019 को तरनतारन रोड स्थित गांव बंडाला के नजदीक हुए सड़क हादसे में जख्मी युवक को देखकर डॉ. अनुपमा अपनी कार से उतरीं। वह एक डॉक्टर का कर्तव्य निभाने के लिए इस युवक को सड़क पर ही प्राथमिक उपचार देना चाहती थीं कि अचानक एक तेज रफ्तार ट्राला काल बनकर आया और डॉ. अनुपमा को टक्कर मार दी। ट्राला उनकी टांगों के ऊपर से गुजर गया। डॉ. अनुपमा को फौरन एक निजी अस्पताल में दाखिल करवाया गया। दोनों टांगों में मल्टीपल इंजरी हुई थी। डॉक्टरों के पास टांगें काटने के सिवाय और कोई विकल्प न था। दस दिन तक बेहोश रहीं डॉ. अनुपमा को मालूम न था कि वह अपने पैरों पर चल भी नहीं सकेंगी। उनकी इस बहादुरी का चर्चा पंजाब भर में हुआ, तो जिला प्रशासन ने उन्हें गणतंत्र दिवस पर सम्मानित करने का निर्णय लिया।

26 जनवरी को डॉ. अनुपमा को समारोह स्थल तक पहुंचाने के लिए जिला प्रशासन ने स्वास्थ्य विभाग की एक एंबुलेंस के साथ पूरी टीम की व्यवस्था कर दी। हालांकि डॉ. अनुपमा ने उस वक्त कहा कि वह समारोह स्थल तक नहीं आ पाएंगी, क्योंकि अभी उनके जख्म भरने में वक्त लगेगा। ऐसे में जिला प्रशासन ने तय किया कि समारोह की समाप्ति के पश्चात डॉ. अनुपमा का सम्मान उनके घर भेजा जाएगा। 27 जनवरी को डीसी कार्यालय का एक ड्राइवर व क्लर्क उनके घर सर्टिफिकेट लेकर पहुंचा। यह सर्टिफिकेट डॉ. अनुपमा के पति डॉ. रमन गुप्ता को थमाकर दोनों चलते बने। जब डॉ. अनुपमा को इस बात की जानकारी मिली तो उन्हें बहुत बुरा लगा।

डॉ. अनुपमा ने कहा कि उन्होंने 10 दिसंबर को जो किया वह उनकी ड्यूटी थी। मैंने सम्मान की चाह में ऐसा नहीं किया। जिला प्रशासन ने मुझे सम्मानित करने की बात कही थी, लेकिन जिस तरीके से सम्मान भेजा गया वह अपमानजनक था। सम्मान देने के लिए प्रशासनिक अधिकारी घर आते तो और बात थी। मैं यह सम्मान प्रशासन को लौटा दूंगी। कर्मचारी से जवाबतलबी होगी : एडीसी

एडीसी डॉ. हिमांशु अग्रवाल ने कहा कि डिप्टी कमिश्नर शिवदुलार सिंह ढिल्लों के स्पष्ट आदेश थे कि डॉ. अनुपमा को सम्मान देने के लिए वह खुद जाएंगे। डिप्टी कमिश्नर के साथ सिविल सर्जन भी सम्मान देने के लिए जाने वाले थे। जो कर्मचारी डॉ. अनुपमा के घर सम्मान देने गया, उससे जवाब तलब किया जाएगा।


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