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जीएनडीएच में रैबीज इंजेक्शन का स्टॉक था, पर डॉक्टर ने बाहर से मंगवाया

अमृतसर गुरुनानक देव अस्पताल (जीएनडीएच) में एंटी रैबीज इंजेक्शन का स्टॉक तो है, पर मरीजों को मिल नहीं रहा।

By JagranEdited By: Published: Mon, 17 Sep 2018 06:43 PM (IST)Updated: Mon, 17 Sep 2018 06:43 PM (IST)
जीएनडीएच में रैबीज इंजेक्शन का स्टॉक था, पर डॉक्टर ने बाहर से मंगवाया

जागरण संवाददाता, अमृतसर

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गुरुनानक देव अस्पताल (जीएनडीएच) में एंटी रैबीज इंजेक्शन का स्टॉक तो है, पर मरीजों को मिल नहीं रहा। आवारा कुत्ते द्वारा काटे गए एक बच्चे को एंटी रैबीज इंजेक्शन नहीं दिया गया। डॉक्टर ने साफ कह दिया कि उनके पास इंजेक्शन हैं नहीं, जबकि एंटी रैबीज विभाग और इमरजेंसी वार्ड में एंटी रैबीज इंजेक्शन्स का स्टॉक उपलब्ध था। डॉक्टरों ने जानबूझकर बच्चे के परिजनों से निजी मेडिकल स्टोर से इंजेक्शन मंगवाया और फिर लगाया गया।

दरअसल, आवारा कुत्तों के आतंक के आगे नगर निगम घुटने टेक चुका है। वहीं इन कुत्तों द्वारा काटे गए लोगों को सरकारी अस्पतालों में एंटी रैबीज इंजेक्शन नहीं मिल रहा। लोहगढ़ गेट स्थित गली बदराओ में रहने वाले राकेश कुमार ने बताया कि उनके साढ़े पांच वर्षीय पुत्र सक्षम कुमार को गली में खेलते वक्त आवारा कुत्ते ने काट लिया। वह उसे गुरुनानक देव अस्पताल ले आए। यहां डॉक्टर ने कहा कि उनके पास एंटी रैबीज इंजेक्शन नहीं है, इसलिए निजी मेडिकल स्टोर से खरीदकर ले आओ। राकेश के अनुसार मैंने डॉक्टर से कहा कि सरकारी अस्पताल में तो इंजेक्शन आते हैं, पर जवाब मिला कि फिलहाल खत्म हैं। मैं निजी मेडिकल स्टोर से 300 रुपये का इंजेक्शन खरीद लाया और बच्चे को लगवाया। मुझे नहीं मालूम कि इंजेक्शन हैं या नहीं : डॉ. मोहन लाल

'दैनिक जागरण' के पास पहुंचे राकेश कुमार ने कहा कि अस्पताल में एंटी रैबीज इंजेक्शन उपलब्ध थे, पर डॉक्टर ने नहीं दिए। उनके इस कथन की पुष्टि के लिए जब एसपीएम विभाग सोशल प्रिवेंशन मेडिसिन के डॉ. मोहन लाल से फोन पर बात की तो उन्होंने कहा कि मुझे मालूम नहीं कि इंजेक्शन हैं या नहीं। जब उन्हें बताया गया कि आप विभाग को लीड करते हैं और एंटी रैबीज इंजेक्शन आपके जरिए ही मरीजों तक पहुंचते हैं। इस पर वह बोले मैं अभी पता करवाकर देता हूं कि इंजेक्शन हैं या नहीं। देर शाम तक उनका फोन नहीं आया।

इमरजेंसी वार्ड व एंटी रैबीज विभाग में हैं इंजेक्शन : राजकुमार

दूसरी तरफ अस्पताल के चीफ फार्मासिस्ट राजकुमार शर्मा से दैनिक जागरण ने बात की तो उन्होंने कहा कि मैंने इमरजेंसी वार्ड व एंटी रैबीज विभाग में 50 एंटी रैबीज इंजेक्शन भेजे। चूंकि एंटी रैबीज विभाग दो बजे के बाद बंद हो जाता है और कई बार रात को आवारा कुत्ता काट ले तो लोग इंजेक्शन लगवाने आते हैं, इसलिए इमरजेंसी में भी इंजेक्शन रखे गए हैं। लोगों को गुमराह कर रहे हैं डॉक्टर

इस सारे घटनाक्रम से यह स्पष्ट हो जाता है कि अस्पताल में एंटी रैबीज इंजेक्शन होने के बावजूद भी मरीजों को नहीं लगाए जा रहे। मरीजों को सी¨रज, कॉटन तक बाहर से खरीदना पड़ रहा है। यहां उल्लेख करना जरूरी है कि पंजाब सरकार ने दो वर्ष पूर्व एंटी रैबीज इंजेक्शन बिल्कुल निशुल्क उपलब्ध करवाने की बात कही थी। अक्सर इंजेक्शन का स्टॉक शॉर्ट हो जाता है, लेकिन सरकारी डॉक्टर हमेशा ही मरीजों से कहते हैं कि इंजेक्शन नहीं है। विश्वस्त सूत्र बताते हैं कि निजी मेडिकल स्टोर से सांठ-गांठ होने की वजह से डॉक्टर सरकारी इंजेक्शन नहीं देते। उन्हें मेडिकल स्टोर से कमीशन मिल जाता है। वहीं यह भी कहा जा रहा है कि काम न करने की प्रवृत्ति के कारण डॉक्टर लोगों को गुमराह करते हैं।


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