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अमृतसर में कोरोना के फर्जी रिपोर्ट पर फर्जी इलाज में मिले अहम सुराग, हुआ 8.83 लाख ट्रांसफर

पंजाब के अमृतसर के फर्जी कोरोना रिपोर्ट पर फर्जी इलाज के मामले में बड़ा खुलासा हुआ है इस मामले में खुलासा हुआ है कि ईएमसी अस्‍पताल के बैंक खाते से तुली जांच लैब को 8.83 लाख रुपये ट्रांसफर किए गए थे।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Mon, 21 Sep 2020 11:32 PM (IST)Updated: Tue, 22 Sep 2020 07:32 AM (IST)
अमृतसर में कोरोना के फर्जी रिपोर्ट पर फर्जी इलाज में मिले अहम सुराग, हुआ 8.83 लाख ट्रांसफर
पंजाब के अमृतसर में कोरोना टेस्‍ट के नाम पर फर्जीवाड़ा सामने आया है। कोरोना टेस्‍ट की फाइल फोटो।

अमृतसर, [नवीन राजपूत]। कोरोना वायरस की फर्जी रिपोर्ट तैयार कर लोगों के इलाज के नाम पर लाखों रुपये ठगने के मामले में स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआइटी) ने अपनी रिपोर्ट पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट को सौंप दी है। एसआइटी को जांच में कई अहम सुबूत मिले हैं। ईएमसी अस्पताल के बैंक खाते से तुली लैब के बैंक खाते में 8,83,315 रुपये ट्रांसफर किए गए हैं।

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अस्पताल के खाते से लैब के अकाउंट में ट्रांसफर हुए थे 8.83 लाख

रिपोर्ट में सामने आया है कि अमृतसर की तुली लैब ने कोरोना काल में 1720 टेस्ट किए थे, जिनमें 1608 की रिपोर्ट नेगेटिव व 112 की पॉजीटिव आई। 75 मरीजों को सरकारी व निजी अस्पतालों में भेजा गया। 30 मरीजों को प्राइवेट ईएमसी अस्पताल रेफर किया। अमृतसर के पुलिस कमिश्नर डॉ. सुखचैन ¨सह गिल, एडीसी डॉ. हिमांशु अग्रवाल और सिविल सर्जन ने अपनी रिपोर्ट में आरोपितों की कॉल डिटेल्स, बैंक खातों और कोविड-19 की रिपोर्टो को आधार बनाया है

एसआइटी ने हाई कोर्ट को सौंपी रिपोर्ट

तुली लैब के मालिक रोबिन तुली और ईएमसी अस्पताल के चेयरमैन पवन अरोड़ा के बीच 50 दिनों में 177 बार फोन पर बात हुई। एसआइटी ने अपनी रिपोर्ट में 1 मई से 20 जून तक की कॉल्स की जांच की है। 1 जनवरी से लेकर 30 अप्रैल तक दोनों आरोपितों में केवल नौ बार ही फोन से बात हुई है। इसलिए एसआइटी को गड़बड़ी का शक है।

ईएमसी अस्पताल के चेयरमैन व तुली लैब के मालिक के बीच 50 दिन में हुई 177 कॉल्स

विजिलेंस ने 23 जून, 2020 की शाम तुली लैब के मालिक डॉ. मो¨हदर तुली, उसके बेटे रोबिन तुली, बहू रिधिमा तुली, ईएमसी अस्पताल के चेयरमैन पवन अरोड़ा, डॉ. पकंज सोनी और डॉ. पीपलानी के खिलाफ केस दर्ज किया था। इन पर आरोप था कि वह फर्जी रिपोर्ट बनाकर लोगों से लाखों रुपये वसूल रहे हैं। एफआइआर में दहशत फैलाने, जालसाजी करने और षड्यंत्र रचने की धाराएं भी शामिल की गई थी। हाई कोर्ट ने सभी छह आरोपितों की गिरफ्तारी पर रोक लगा रखी है। कोर्ट के आदेश पर सरकार ने विजिलेंस से केस लेकर एसआइटी को जांच के लिए सौपा था। मामले की सुनवाई जनवरी में होगी।

यह है मामला

एक एनआरआइ 26 मई को अपनी पत्नी व बेटे के साथ इंग्लैंड से अमृतसर लौटे। एक निजी होटल में खुद को क्वारंटाइन किया। कोविड-19 टेस्ट तुली लैब से करवाया। उनको व बेटे को पॉजिटिव बताया गया। 31 मई को ईएमसी अस्पताल में दाखिल कर लिया गया। कई बार कहने पर भी दोबारा कोविड-19 टेस्ट नहीं करवाया गया। किसी तरह एक और निजी लैब से टेस्ट करवाया। रिपोर्ट निगेटिव आई।

पूरी तरह पुष्टि के लिए किसी तरह से मेडिकल कॉलेज स्थित इंफ्लुएंजा लैब में टेस्ट करवाया, जिसमें भी रिपोर्ट निगेटिव आई। उन्हें तीन लाख रुपये का बिल सौंप दिया गया। वहीं, जय हो क्लब के प्रधान विक्की दत्ता ने भी अपने परिवार के सदस्यों की रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद जब सरकारी लैब से टेस्ट करवाया तो सभी निगेटिव निकले थे। स्वास्थ्य विभाग ने तुली लैब में कोविड-19 टेस्ट करने पर रोक लगा दी थी।

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