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अमृतसर में सरेआम चल रहा अवैध निर्माण का धंधा, पार्षद और पार्षद पतियों के बदले ठाठ-बाठ

अमृतसर में अवैध निर्माण ने पार्षद और पार्षद पतियों के ठाठ-बाठ ही बदल दिए हैं। पार्षदों को वार्ड के लोगों की परेशानी की जानकारी हो या न हो पर क्षेत्र में कौन सी इमारत का निर्माण शुरू हुआ है उसका नक्शा कितना पास है यह जानकारी होती है।

By Rohit KumarEdited By: Published: Wed, 06 Jan 2021 10:21 AM (IST)Updated: Wed, 06 Jan 2021 10:21 AM (IST)
अमृतसर में सरेआम चल रहा अवैध निर्माण का धंधा, पार्षद और पार्षद पतियों के बदले ठाठ-बाठ
महानगर में अवैध निर्माण नगर निगम के लिए फजीहत का सबब बना हुआ है।

अमृतसर, विपिन कुमार राणा। महानगर में अवैध निर्माण चाहे नगर निगम के लिए फजीहत का सबब बने हों, सदन की बैठकों में जमकर हंगामे हुए हों लेकिन कुछ लोगों का धंधा इससे अच्छा खासा चलने लगा है। कुछेक पार्षद और पार्षद पतियों के तो अवैध निर्माणों ने ठाठ-बाठ ही बदल दिए हैं। सत्ता के गलियारे में अपनी पकड़ और बतौर जनप्रतिनिधि अपने रुतबे का उपयोग करके ये लोग निर्माण करवा रहे हैं।

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खास बात यह है कि वार्ड के लोगों की परेशानी या समस्या क्या है, इन्हें यह जानकारी हो या न हो, पर क्षेत्र में कौन सी इमारत का निर्माण शुरू हुआ है, उसका नक्शा कितना पास है, वह कहां बिल्डिंग बायलाज का वायलेशन कर रहे हैं, यह इन्हें पता होता है। इसी कमी को आधार बनाकर ये उनकी पहले फोन पर शिकायत करते हैं, फिर सेटिंग करके अपनी जेब गर्म करते हैं। इसलिए उनके लिए तो यह चंगा धंधा बना हुआ है।

सिद्धू साहब, हवन करवा लो

पूर्व कैबिनेट मंत्री नवजोत सिद्धू के शायद ग्रह ठीक नहीं चल रहे। करने वह कुछ जाते हैं और हो कुछ जाता है। फील्ड में सिद्धू उतरते किसी और मकसद से, पर विवाद खड़ा कर वापस लौटते हैं। यही वजह है कि हर एक कदम के बाद उन्हें बैकफुट पर आना पड़ता है। पिछले दिनों जालंधर के शाहकोट में धार्मिक चिन्ह एक ओंकार व खंडा साहिब वाली शाल के मामले में भी ऐसा हुआ।

इसके बाद उन्होंने ट्वीट कर स्पष्ट किया कि बतौर सिख लोग इसे धारण करते हैं और उन्होंने भी सिख होने के नाते इन चिन्हों वाली शाल को ओढ़ा था। उन्होंने कहा था कि अगर सब ओढ़ते हैं तो उन्होंने क्या गलती कर दी। फिर भी सिद्धू ने लोगों की भावनाओं की कदर करते हुए माफी मांगी। सियासी गलियारे में चर्चा है कि सिद्धू खासे धर्मी-कर्मी हैं, उन्हें कोई हवन करवा लेना चाहिए, ताकि विवादों से बचे रहें।

स्थापना दिवस भूले कांग्रेसी

मंचों पर नेतागण हमेशा ही दावा करते हैं कि जो कौम अपने शहीदों और इतिहास को भूला देती है वो खत्म हो जाती है। 28 दिसंबर को कांग्रेस का स्थापना दिवस था, वैसे तो छोटे-छोटे आयोजनों की फोटो छपवाने में कांग्रेस पार्टी के नेता व वर्कर कोई कसर नहीं छोड़ते, पर कांग्रेस इतिहास का इतना बड़ा दिन ही कांग्रेसियों ने भूला दिया। शहर में न तो कोई आयोजन हुआ और न ही स्थापना दिवस को किसी ने याद रखा।

वैसे तो 21 जनवरी, 2020 से ही कांग्रेस पार्टी बिना प्रधान के चल रही है। ऐसे में वर्करों को भी हाईकमान पर कटाक्ष करने का मौका मिल गया कि जब सिर पर कोई माई-बाप ही नहीं होगा तो कौन याद रखेगा। कम से कम अगर प्रधान होता तो उसका दायित्व बन जाता है कि ऐसे दिन याद रखते हुए वर्करों को लामबंद किया जाए ताकि उनकी पार्टी को मजबूती मिल सके।

एमटीपी विभाग का मजाक बना

नगर निगम के म्यूनिसिपल टाउन प्लानिंग (एमटीपी) विभाग का मजाक बनकर रह गया है। विशेषकर अवैध निर्माणों को लेकर विभाग के रवैये पर सवालिया निशान स्पष्ट करते हैं कि दाल में कुछ काला जरूर है। हो कुछ यूं रहा है कि विभागीय अधिकारी दावा करते हुए कहते हैं कि जहां निर्माण बिल्डिंग बायलाज के मुताबिक नहीं होता, वहां पर काम रुकवाने के लिए स्टाफ भेज दिया गया है, लेकिन अगले दिन ही पता चलता है कि जिस जगह पर निगम के कर्मचारियों को काम रुकवाने के लिए भेजा गया था, वहां पर आगे का निर्माण कार्य भी पूरा कर दिया गया है।

अब तो निगम गलियारे में चर्चा छिड़ी हुई है कि कर्मचारी काम रुकवाने के लिए भेजे जाते हैं या फिर काम करवाने के लिए। खैर जो भी हो, मजाक बने एमटीपी विभाग को लेकर शहर ही नहीं बल्कि निगम परिसर में भी खूब चटकारे लिए जा रहे हैं।


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