भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्था के लिए एमएसएमई रीढ़ की हड्डी : डा. अश्वथी
आइआइएम अमृतसर की ओर से माइक्रो स्माल एंड मीडियम इंटरप्राइजेज (एमएसएमई) के प्रबंधन पर पहले अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया।
जासं, अमृतसर : आइआइएम अमृतसर की ओर से माइक्रो स्माल एंड मीडियम इंटरप्राइजेज (एमएसएमई) के प्रबंधन पर पहले अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। दो दिवसीय सम्मेलन का विषय 'व्यवधानों के युग में व्यावसायिक प्रथाओं को फिर से संगठित करना' रहा। सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य एमएसएमई के नीति निर्माताओं, पेशेवरों, शिक्षाविदों और शोधकर्ताओं को एक मंच प्रदान करना था। सम्मेलन का उद्घाटन एमएसएमई मंत्रालय के संयुक्त सचिव अतीश कुमार सिंह ने किया।
मुख्य अतिथि अतीश कुमार सिंह ने पैनल चर्चा के लिए चुने गए विषयों की सराहना करते हुए कहा कि इसमें हुई चर्चा एमएसएमई के क्षेत्र में भविष्य में अत्यधिक लाभकारी साबित होगी। इसने एमएसएमई क्षेत्र में एक संक्षिप्त, लेकिन निर्णायक नजरिया प्रदान किया। उन्होंने कहा कि कोविड की पिछली लहरों के दौरान अर्थव्यवस्था के समक्ष खड़ी हुई चुनौतियों से कैसे निपटा जा सकता है, पिछले समय में काफी कुछ सीखने को मिला है। आइआइएम अमृतसर की बोर्ड आफ गवर्नर्स की सदस्य डा. महिमा गुप्ता ने कहा कि सम्मेलन ऐसे समय में हो रहा है जब बहुत सारे भारतीय पहले ही अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने और डिजिटलाइजेशन की दिशा में मदद कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि समय चुनौतीपूर्ण है, लेकिन यह उद्योगों के लिए एक उज्ज्वल स्तर पर चमकने के अपार अवसर भी प्रस्तुत करता है।
सम्मेलन के अध्यक्षा डा. अश्वथी अशोकन अजिता ने कहा कि भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्था के लिए एमएसएमई रीढ़ की हड्डी है। जीडीपी के साथ-साथ राष्ट्रव्यापी रोजगार प्रदान करने में भी इसकी अहम भूमिका है। मुख्य वक्ता अनिरुद्ध बागची ने एमएसएमई की अर्थव्यवस्था में भूमिका को परिभाषित करते हुए कहा कि एमएसएमई को लेकर सरकार की ओर से बनाई गई नीतियों का उद्देश्य समय-समय पर इस क्षेत्र में पैदा होने वाली रुकावटों को दूर करना है।