ईयरफोन का करते हैं इस्तेमाल तो हो जाएं सावधान, नुकसान जाकर उड़ जाएंगे होश
यदि आप मोबाइल के साथ ईयरफोन का इस्तेमाल करते हैं तो सावधान हो जाएं। यह आदत आपके लिए बेहद खतरनाक हो सकता है। इससे मानसिक तनाव सहित अन्य रोग गिरफ्त में ले सकता है।
अमृतसर, जेएनएन। आज मोबाइल फोन हर व्यक्ति की जरूरत बन चुका है। खासकर युवाओं के लिए यह एक ऐसा जादुई बॉक्स है जिसमें वह पूरी दुनिया ढूंढते हैं। इसके साथ ही लोगों खासकर युवाओं द्वारा ईयरफोन का इस्तेमाल करना आम बात है। लोग कान पर ईयरफोन लगाकर आते-जाते हर जगह नजर आते हैं। यह दुर्घटनाओं का कारण तो बनता ही स्वास्थ्य के लिए बेहद नुकसानदेह है। यदि आप भी ईयरफोन का इस्तेमाल करते हैं तो सावधान हो जाएं। यह मानसिक तनाव देने के साथ बहरा भी बना सकता है।
अधिक इस्तेमाल देता है मानसिक तनाव, बहरेपन का भी बन सकते हैं शिकार
प्रसिद्ध मनोचिकित्सक डॉ. हरजोत सिंह मक्कड़ के अनुसार, ईयरफोन पर तेज आवाज में गाना सुनना तो सबसे अधिक नुकसानदायक है। ईयरफोन के ज्यादा इस्तेमाल से बहरेपन का खतरा तो रहता है, साथ ही व्यक्ति मानसिक तनाव का शिकार भी हो सकता है।
उनका कहना है कि कुछ सालों में ईयरफोन से कान खराब होने के मामले और सड़क पर ईयरफोन्स के इस्तेमाल से होने वाली दुर्घटनाएं का लेवल बढ़ गया है। हम इस बात से अनजान हैं कि युवाओं का यह शौक कुछ ही सालों में गंभीर परेशानी के रूप में सामने आ सकता है। ईयरफोन के लगातार प्रयोग से सुनने की क्षमता 40 से 50 डेसीबेल तक कम हो जाती है। कान का पर्दा वाइब्रेट होने लगता है। दूर की आवाज सुनने में परेशानी होने लगती है। यहां तक कि इससे बहरापन भी हो सकता है।
कान में दर्द, सिर दर्द और अनिद्रा की समस्याएं भी हो सकती हैं
डॉ. मक्कड़ ने कहा कि आज लगभग पचास प्रतिशत युवाओं में कान की समस्या का कारण ईयरफोन्स का अत्यधिक प्रयोग है। ईयरफोन्स के अत्यधिक प्रयोग से कान में दर्द, सिर दर्द या नींद न आने जैसी सामान्य समस्याएं हो सकती हैं। यह सारी परिस्थितियों युवाओं को साइकोटिक डिसआॅर्डर की ओर ले जाती हैं।
तेज आवाज में गीत सुनने से मानसिक समस्याओं के अलावा हृदय रोग और कैंसर होने का भी खतरा
उन्होंने बताया कि तेज आवाज में गीत सुनने से मानसिक समस्याओं के अलावा हृदय रोग और कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है। उम्र बढ़ने के साथ यह बीमारियां सामने आने लगती हैं। ईयरफोन बाहरी भाग के कान के परदे को नुकसान पहुंचाने के साथ-साथ अंदरूनी हेयरसेल्स को भी क्षतिग्रस्त करता है।
डाॅ. मक्कड़ ने बताया कि आमतौर पर कान 65 डेसिबल की ध्वनि को ही सहन कर सकता है। लेकिन ईयरफोन पर अगर 90 डेसिबल की ध्वनि अगर 40 घंटे से ज्यादा सुनी जाए तो कान की नसें पूरी तरह डेड हो जाती है। पिछले कुछ वर्षों में ऐसे अनेक हादसे हुए जब लोग ईयरफोन लगाकर सड़क अथवा रेल ट्रैक से गुजर रहे थे। गाड़ी आई और इन्हें मौत की नींद सुला गई