सुख कहीं और नहीं, आपके अंदर ही है : अशोक कपूर
समाज सेवक अशोक कपूर लंगर वालों ने सिमरन के दौरान कहा कि सुख कहीं और नहीं आपके खुद के भीतर है।
संवाद सहयोगी, अमृतसर: समाज सेवक अशोक कपूर लंगर वालों ने सिमरन के दौरान कहा कि सुख कहीं और नहीं, आपके खुद के भीतर है। सुख की खोज खुद में करें।
श्रीमद्भागवत गीता में भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कि खुद को गिरने मत दो। हमेशा ऊपर उठाओ इसमें सबसे बड़ा सुख है। हर व्यक्ति सुख चाहता है, पर हर व्यक्ति सुखी नहीं रहता है। कोई सुखी है तो कोई दुखी है। आखिर सुख और दुख क्या है, इसके जवाब में जो इंद्रियों और मन के अनुकूल हो वह सुख है और जो प्रतिकूल हो वह दुख है। भगवान हमारे हाथ में रोज सुबह एक सोने का सिक्का देते हैं जिसका हमें दिन भर अपने मन के मुताबिक उपयोग करना है, लेकिन इस सिक्के को कोई सुख खरीदने में उपयोग करता है तो कोई दुख खरीदने में, तो कोई लापरवाही के कारण बिना सिक्का खर्च किए लौट आता है। भगवान का यह सिक्का हमारे रोजाना के दिन है। कुछ लोग बाहरी चीजों में अपना सुख खोजते हैं। लेकिन इस चक्कर में वह दुख के जाल में उलझ कर रह जाते हैं क्योंकि कोई सांसारिक चीज सुखी नहीं बना सकती। प्रभु को पाने के लिए मानव में श्रद्धा होनी चाहिए। जब तक अंत करण की निर्मलता प्राप्त नहीं होगी। तब तक मुक्ति नहीं मिल सकती।